CM बनने के बाद भी आसान नहीं नीतीश कुमार की राह, सामने हैं ये चुनौतियां
20 साल पहले 3 मार्च 2000 को नीतीश कुमार ने पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी और 20 साल बाद 16 नवंबर 2020 को 7वीं बार फिर बिहार के मुख्यमंत्री बने हैं नीतीश कुमार. लेकिन इस बार हालात कुछ ऐसे हैं कि बतौर मुख्यमंत्री नीतीश के पास चुनौतियां पहले से ज्यादा हैं.
पटना: नीतीश कुमार 7वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री (Bihar CM Nitish Kumar) बन गए हैं. सोमवार को नीतीश ने अपने 14 मंत्रियों के साथ मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. आज नीतीश कैबिनेट की पहली बैठक है. सुबह 11 बजे बुलाई गई इस बैठक में कोरोना (Coronavirus) समेत कई अहम मुद्दों पर चर्चा हो सकती है. साथ ही आज ही 14 मंत्रियों के विभागों का भी बंटवारा किया जा सकता है. बिहार में पहली बार 2 उप मुख्यमंत्री बनाए गए हैं.
मुख्यमंत्री नीतीश के पास चुनौतियां पहले से ज्यादा
20 साल पहले 3 मार्च 2000 को नीतीश कुमार ने पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी और 20 साल बाद 16 नवंबर 2020 को 7वीं बार फिर बिहार के मुख्यमंत्री बने हैं नीतीश कुमार. लेकिन इस बार हालात कुछ ऐसे हैं कि बतौर मुख्यमंत्री नीतीश के पास चुनौतियां पहले से ज्यादा हैं. वजह इन चुनावों में उनकी पार्टी का प्रदर्शन है जिसके बाद नीतीश की पार्टी जेडीयू (JDU) बिहार में नंबर 3 और एनडीए में नंबर 2 की हैसियत पर है. जाहिर है ऐसे में सरकार के मुखिया भले ही नीतीश कुमार हों, उन्हें बीजेपी (BJP) का दबाव हर पल महसूस होता रहेगा और इसका स्पष्ट संदेश शपथ ग्रहण में भी दिखा.
नीतीश कुमार के साथ 14 मंत्रियों ने भी शपथ ली जिसमें बीजेपी के 7 मंत्रियों में 2 उप मुख्यमंत्री भी शामिल हैं जबकि जेडीयू के 5 मंत्रियों ने शपथ ली.
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दिक्कतें सिर्फ यहीं खत्म नहीं हो रहीं
-नीतीश कुमार की दिक्कतें सिर्फ यहीं खत्म नहीं हो रही हैं. इन चुनावों में नीतीश को नंबर 1 से नंबर 2 बनाने में सबसे खास भूमिका चिराग पासवान की रही.
-33 सीटों पर जेडीयू की हार LJP की वजह से हुई है. इन 33 में से 28 सीटें ऐसी हैं जहां जेडीयू दूसरे नंबर पर रही और हार का अंतर LJP को मिले वोटों से कम रहा. अगर इन सीटों पर LJP एनडीए से अलग नहीं होती तो जनता दल यूनाईटेड यहां चुनाव जीत जाती. इन 33 सीटों में 5 सीटें ऐसी हैं जहां LJP दूसरे नंबर रही और यहां पर JDU का नंबर तीसरा रहा है. मतलब यहां भी JDU और LJP की लड़ाई में महागठबंधन का फायदा हुआ है.
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-चिराग की वजह से बिहार में नंबर 2 हुए नीतीश की निगाहें अब दिल्ली पर हैं. जहां जल्द ही केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार की संभावना है और ऐसी संभावना है कि रामविलास पासवान के निधन के बाद खाली हुआ एलजेपी कोटे का मंत्री पद चिराग पासवान को मिल सकता है. यदि चिराग पासवान केंद्र सरकार में मंत्री बनते हैं तो ये जेडीयू और नीतीश कुमार के लिए एक और झटका होगा.
-नीतीश कुमार ने लगभग 47 वर्ष पहले जयप्रकाश नारायण के आंदोलन से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी. पिछले 20 वर्षों में वो 13 साल बिहार के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाल चुके हैं और पिछले 20 वर्षों में नीतीश ने हर चुनौतियों का सामना करते हुए खुद को साबित भी किया है. लेकिन इस बार चुनौती घर में है और दबाव भी नैतिकता का है. ऐसे में अब इससे पार पाना नीतीश की सबसे अहम परीक्षा है.