Noida builders: नोएडा अथॉरिटी खत्म करेगा बिल्डर्स की मोनोपॉली! यहां से देख सकेंगे उनकी पूरी कुंडली
Noida authority website: नोएडा में घर खरीदने वालों की चांदी होने वाली है क्योंकि अब यहां के बिल्डर्स की पूरी कुंडली आपके मोबाइल पर मिलने लगेगी. जिससे आप बहुत ही आसानी से फ्लैट के बारे में सभी जानकारी प्राप्त कर सकेंगे.
Property builders details: अगर आप नोएडा में फ्लैट खरीदने की प्लानिंग कर रहे हैं तो आपके लिए एक अच्छी खबर है. नोएडा अथॉरिटी अब बिल्डर्स की मनमानी खत्म करने के लिए पूरी जानकारी पब्लिक करने वाला है. ऐसा होने पर कोई भी बिल्डर खरीदारों को अपनी चंगुल में फंसा नहीं सकेगा क्योंकि नोएडा अथॉरिटी वेबसाइट पर नक्शा, स्वीकृत फ्लैट की संख्या, बिल्डर का बकाया, ऑक्युपेंसी व कंप्लीशन सर्टिफिकेट जैसी सभी जानकारी पब्लिक करने वाला है. इससे जिन लोगों ने फ्लैट खरीद लिए हैं. उन्हें भी आसानी होगी और जो भविष्य में घर खरीदने की प्लानिंग कर रहे हैं. वे भी बिल्डर के बारे में सभी जानकारी प्राप्त कर सकेंगे.
डिफाल्टर बिल्डरों का कर सकेंगे पता
इस वेबसाइट पर डिफाल्टर बिल्डरों का ब्यौरा डाला जाएगा. इसमें यह भी बताया जाएगा कि बिल्डर पर कितना बकाया है. उन्हें कितने फ्लैट बनाने थे और कितने फ्लैट बन चुके हैं. यहां तक की यह भी बताया जाएगा कि मौके पर कब से काम नहीं चल रहा है? ऐसे में ये जानकारी खरीदारों के लिए बहुत ही फायदेमंद होगी. इससे खरीदार प्रोजेक्ट में फ्लैट बुक कराने से पहले सब पता कर सकेंगे और बिल्डर्स की चंगुल से बचने में मदद मिलेगी.
वेबसाइट का काम होने वाला है पूरा
नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों के मुताबिक, वेबसाइट पर बिल्डरों की सूचनाएं डाली जा रही हैं और ट्रायल के अंतिम चरण में है. जल्द ही वेबसाइट ( https://noidaauthorityonline.in) पर फाइनल लिस्ट अपलोड की जाएगी. इस लिस्ट में उन लोगों का नाम होगा जिनका कोई बकाया नहीं है और उनके प्रोजेक्ट के सभी नक्शे पास है.
1 लाख से ज्यादा खरीदार के पैसे फंसे
नोएडा में बिल्डरों ने एक तरह का आतंक मचा रखा है. कई बिल्डर्स ने लोगों को फ्लैट बेचकर अपनी चंगुल में फंसा लिया है. एक रिपोर्ट की माने तो लगभग 70 हजार से ज्यादा खरीदार 10-12 साल से फ्लैट मिलने का इंतजार कर रहे हैं. वहीं 30 हजार से भी ज्यादा खरीदार ऐसे हैं. जो रजिस्ट्री के इंतजार में सालों से परेशान हो रहे हैं. अगर बिल्डर की परियोजना के बारे में प्राधिकरण को पहले से ही जानकारी होती तो खरीदारों को नियमों के तहत कभी के फ्लैट मिल जाते.
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