Action Plan for Narendra Modi 3.0: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को चुरू की रैली में कहा कि अभी तक हमारा कार्यकाल कमोबेश उसी तरह रहा है जिस तरह किसी बड़े होटल में खाना खाने के लिए जब जाते हैं तो पहले स्‍टार्टर यानी एपेटाइजर (appetizer) पेश किया जाता है. यानी ये तो एक ट्रेलर है और असली पिक्‍चर तीसरे टर्म में शुरू होगी. सवाल ये उठ रहा है कि पीएम मोदी के पास ऐसी क्‍या योजनाएं हैं जो तीसरी टर्म में शुरू हो सकती हैं या यूं कहें कि उनका फोकस किस प्रमुख विषयों पर होगा. इस संबंध में टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक शीर्ष सरकार के शीर्ष अधिकारी इस बारे में एक एक्‍शन प्‍लान तैयार कर रहे हैं.


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रिपोर्ट के मुताबिक इस एक्शन प्लान में जिन बातों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है उनमें मंत्रालयों की संख्या कम करना शामिल है. फिलहाल 54 मंत्रालय है. इसके अलावा विदेश में भारतीय मिशनों की संख्या 20 फीसदी बढ़ाकर 150 करना भी शामिल है. इंफ्रास्ट्रक्चर में अधिक प्राइवेट इनवेस्टमेंट और प्राथमिकता वाली प्रोजेक्ट्स के लिए आसान भूमि अधिग्रहण के लिए एक सिस्टम बनाना शामिल है.


वर्कफोर्स में महिलाओं की हिस्सेदारी में बढ़ोतरी
इस महीने कैबिनेट सचिव द्वारा बुलाई गई बैठकों के दौरान चर्चा किए जाने वाले एक ड्राफ्ट में 2030 तक पेंशन लाभ के साथ वरिष्ठ नागरिकों की हिस्सेदारी को 22% से दोगुना कर 50% करने का लक्ष्य रखा गया है. जबकि वर्कफोर्स में महिलाओं की भागीदारी को 37% से 50% तक बढ़ाकर वर्तमान ग्लोबल एवरेज 47% से अधिक करने का प्लान है.


नए एक्शन प्लान में ई-वाहनों पर जोर देकर व्हीकल बिक्री में उनकी हिस्सेदारी 7% से बढ़ाकर 30% से अधिक करने का टारगेट ऱखा गया है.


2030 तक अदालतों में लंबित मामलों की संख्या को वर्तमान 5 करोड़ से घटाकर 1 करोड़ से कम करने और निचली न्यायिक प्रणाली में मामलों के टर्नअराउंड को 2,184 दिन से घटाकर 1,000 दिन करने के लक्ष्य पर चर्चा चल रही है.


उच्च न्यायालयों के मामले में, 2030 तक टर्नअराउंड समय को वर्तमान 1,128 दिनों से घटाकर 500 दिनों से कम करने का लक्ष्य है, जिसके लिए अदालतों में अधिक जजों की जरूरत होगी. अगले छह वर्षों में न्यायपालिका में रिक्तियों को 22% से घटाकर 10% करने की योजना है.


रक्षा क्षेत्र
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक वर्तमान में, रक्षा खर्च को सकल घरेलू उत्पाद के 2.4% से बढ़ाकर 3% करने और अनुसंधान एवं विकास के लिए रक्षा बजट का हिस्सा 2% से बढ़ाकर 3% करने पर भी चर्चा चल रही है. विज़न दस्तावेज़ में इस अवधि के दौरान दुनिया भर में हथियारों के आयात में भारत की हिस्सेदारी आधी करने की परिकल्पना की गई है. इससे पता चलता है कि सरकार रक्षा उपकरणों के स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देने के अपने प्रयासों को दोगुना करने का इरादा रखती है.


अर्थव्यवस्था
आर्थिक मोर्चे पर, लक्ष्य ऑटोमोबाइल, कपड़ा, फार्मा, पर्यटन और सर्विस जैसे सेक्टर पर ध्यान केंद्रित करने और विनिर्माण और निर्यात में हिस्सेदारी बढ़ाने पर केंद्रित हैं. लक्ष्य 2030 तक सकल घरेलू उत्पाद में औद्योगिक क्षेत्र का योगदान 28% से बढ़ाकर 32.5% करना है.


हालांकि इनमें से कई मुद्दों पर पहले भी चर्चा हो चुकी है, लेकिन चुनाव की घोषणा से पहले पीएम के साथ चर्चा ने उन्हें फिर से एजेंडे में ला दिया है. उदाहरण के लिए, सचिवों और मंत्रालयों के साथ अपनी बैठक के दौरान, सिविल सेवकों ने परिवहन क्षेत्र के मंत्रालयों के बीच तालमेल का आह्वान किया था. कैबिनेट सचिव स्तर की चर्चा में बताया गया है कि चीन (26), ब्राजील (23) और अमेरिका (15) जैसे देश कम मंत्रालयों के साथ कैसे काम करते हैं. 


हालांकि नौकरशाह एक योजना पर काम कर सकते हैं, लेकिन अंतिम फैसला राजनीतिक होगा क्योंकि सांसदों और गठबंधन सहयोगियों को समायोजित करने के लिए मंत्रालयों की संख्या बढ़ जाती है.