Tirupati Balaji Temple: आंध्रप्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर जाने वाले भक्तों के लिए एक बड़ी संवेदनशील खबर आई है. क्या आपने तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद की शुद्धता या गुणवत्ता में बदलाव महसूस किया है? अगर आपका जवाब हां में है, तो फिर आपको हमारी ये रिपोर्ट जरूर पढ़नी चाहिए.


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खबर ये है कि तिरुपति बालाजी मंदिर में हुआ है महापाप. तिरुपति बालाजी के भक्तों के साथ हुआ है सबसे बड़ा छल. आरोप है कि मंदिर में प्रसाद के रूप में जो लड्डू दिया जा रहा था, उसमें जानवरों की चर्बी से मिलाई गई थी. आरोपी है कि गाय के शुद्ध घी की जगह लड्डू बनाने के लिए जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया जा रहा था. ये विस्फोटक खुलासा आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने किया है.


प्राण प्रतिष्ठा में भेजे गए थे 1 लाख लड्डू


हैरानी की बात ये है कि अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के दौरान 22 जनवरी को तिरुपति मंदिर से 1 लाख लड्डू भेजे गए थे. तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (TTD) ने ऐलान किया था कि वह राम मंदिर उद्घाटन समारोह के लिए 1 लाख लड्डू भेजेगा. अब सवाल उठ रहा है कि क्या ये भी मिलावटी लड्डू थे, जो राम मंदिर के भक्तों के लिए भेजे गए थे.


धर्म स्थल श्रद्धा और शुद्धता की गारंटी होते हैं. ईश्वर की आराधना में श्रद्धा जरूरी है और भक्तों को मिलने वाली प्रसाद की शुद्धता जरूरी है. लेकिन तिरुपति बालाजी के भक्तों को प्रसाद के रूप में छल परोसा जा रहा है.


प्रसाद को लेकर सामने आए गंभीर आरोप


आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने तिरुपति बालाजी मंदिर में मिलने वाले प्रसाद को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं. आरोप है कि जगन मोहन सरकार में तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में जानवरों की चर्बी मिलाई जाती थी.


तिरुपति बालाजी मंदिर में प्रसाद के रूप में एक लड्डू दिया जाता है. इस लड्डू को बनाने की एक खास विधि और निश्चित सामग्री होती है. लड्डू तैयार होने की मुख्य सामग्री है गाय का घी. आरोप है कि पिछली सरकार में इसकी जगह एनिमल फैट का इस्तेमाल किया गया. भक्तों का कहना है कि स्वाद और क्वालिटी खराब हो गई है. प्रसाद के साथ ऐसा नहीं होना चाहिए. अगर ऐसा होता था तो अब नहीं हो चाहिए.


वैसे तो प्रसाद तैयार की पूरी विधि में शुद्धता और गुणवत्ता का पूरा ख्याल रखा जाता है. इसमें लड्डू का रॉ मटीरियल मशीनों के बेसिक इस्तेमाल से तैयार होती है. लेकिन लड्डू बनाने का काम, मुख्य रूप से मंदिर के ब्राह्मण पुजारी करते हैं. ये लोग अपने हाथों से लड्डू तैयार करते हैं. लड्डू बनाने के लिए हाथों का घी में डूबा रहना जरूरी है, इसलिए घी का ज्यादा इस्तेमाल होता है. आरोप है कि सारे खेल यहीं हुआ है.


क्या बोले बोर्ड के पूर्व सदस्य


टीटीडी ट्रस्ट बोर्ड के पूर्व सदस्य ओवी रमण ने कहा, 'लड्डू में क्या पड़ता है ये बता रहे हैं. घी में टच करना रहता है. हाथ से लड्डू बनते हैं. पिछले 5 साल में घी में गड़बड़ हुई है. मिलावट से क्वालिटी पर असर पड़ा है.


तिरुपति बालाजी मंदिर, आंध्र प्रदेश ही नहीं, विश्वभर के हिंदूओं के लिए पूजनीय है. ऐसे में प्रसाद की शुद्धता से हुए खिलवाड़ ने राज्य की राजनीति को हिलाकर रख दिया है. प्रसाद में इस्तेमाल होने वाला घी, शुद्ध है, या फिर उसमें जानवरों की चर्बी मिलाई गई है, इसको लेकर एक जांच करवाई गई.


घी में मिलावट की बात आई सामने


प्रसाद में इस्तेमाल होने वाले घी का सैंपल National Dairy Development Board को भेजा गया था. NDDB ने अपनी जांच रिपोर्ट में घी में मिलावट की बात कही है. लेकिन इस रिपोर्ट में ये नहीं बताया गया है कि मिलावट जानवरों की चर्बी की है या किसी और चीज़ की.


NDDB को घी का जो सैंपल दिया गया था. उसकी जांच में मिलावट की बात सामने आई है. लेकिन एक सवाल ये है कि घी में मिलावट किस चीज़ की थी. NDDB की रिपोर्ट में कही भी ये नहीं बताया गया है कि मिलावट किस चीज की है. लेकिन मिलावट किस चीज़ की हो सकती हैं, इसको लेकर कुछ चीजों पर शक जताया गया है. जैसे सोयाबीन, सूरजमुखी, ऑलिव, सफेद सरसों, अलसी, बिनौला, पाम ऑयल, मछली का तेल, जानवरों की चर्बी.