AAP on One Nation One Election: देश में 'एक राष्ट्र,एक चुनाव' की अवधारण को अमलीजामा पहनाने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनाई कमेटी की कोशिशें जारी हैं. सूत्रों के मुताबिक वन नेशन वन इलेक्शन पर लॉ कमिशन की रिपोर्ट लगभग तैयार हो गई है. ये रिपोर्ट जल्द पेश की जा सकती है. जानकारी के मुताबिक अगले हफ्ते लॉ कमीशन One Nation, One Election समिति को अपना पक्ष और तथ्यों से अवगत कराएगा. इस बीच आम आदमी पार्टी (AAP) ने इस विचार पर आपत्ति जताई है.


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पहले कांग्रेस फिर आप का 'इनकार'


AAP ने 'वन नेशन, वन इलेक्शन' पर अपने विचार हाईलेवल कमेटी को भेज दिए हैं. AAP के राष्ट्रीय सचिव पंकज गुप्ता ने कमेटी के सचिव नितेन चंद्रा के नाम पत्र में लिखा, 'आम आदमी पार्टी, 'एक राष्ट्र एक चुनाव' के विचार का कड़ा विरोध करती है. 'एक राष्ट्र एक चुनाव' संसदीय लोकतंत्र के विचार, संविधान की मूल संरचना और देश की संघीय राजनीति को नुकसान पहुंचाएगा.' 


होगा कितना घाटा ये भी बताया


AAP के पत्र में ये भी लिखा है कि 'वन नेशन वन इलेक्शन' का विचार त्रिशंकु विधायिका की स्थिति से निपटने में असमर्थ है. ये सक्रिय रूप से दल-बदल मामलों और विधायकों/सांसदों की खुली खरीद-फरोख्त जैसी बुराई को प्रोत्साहित करेगा. एक साथ चुनाव कराने से जो लागत बचाने की कोशिश की जा रही है वह भारत सरकार के सालाना बजट के लागत का 1 फीसदी भी नहीं है.'


कांग्रेस ने भी किया विरोध


आपको बताते चलें कि शुक्रवार को कांग्रेस पार्टी की ओर से जारी हुए बयान में इस विचार से किनारा किया गया था. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने वन नेशन वन इलेक्शन कमेटी को पत्र लिखकर कहा है कि यह विचार संविधान के संघीय ढांचे के खिलाफ है. देश में पीएम मोदी की वजह से विकास कार्य रुकते हैं.


कैसे हुई शुरुआत?


केंद्र सरकार ने इस आइडिये पर आगे बढ़ने के लिए एक कमेटी बनाई. 27 सितंबर को 22वें लॉ कमीशन की बैठक में वन नेशन-वन इलेक्शन पर चर्चा हुई थी. आपको बताते चलें कि देश का विधि आयोग मौजूदा विधानसभाओं का कार्यकाल बढ़ाकर या घटाकर 2029 से लोकसभा चुनाव के साथ सभी के चुनाव एक साथ कराने के फॉर्मूले पर काम कर रहा है. साल 2029 से राज्यों की विधानसभाओं और लोकसभा, दोनों चुनाव एक साथ कराना सुनिश्चित करने के लिए जस्टिस ऋतुराज अवस्थी के तहत आयोग विधानसभाओं के कार्यकाल को कम करने या बढ़ाने का सुझाव दे सकता है. 


इसी सिलसिले में राजनीतिक दलों से भी रायशुमारी की जा रही है.