पटना में होने वाली विपक्षी दलों की बैठक की तारीख तय हो गई है और इस बैठक में आने वाले व नहीं आने वाले विपक्षी नेताओं के नाम भी तय हो गए हैं. जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष ललन सिंह ने बताया कि विपक्षी दलों की बैठक पटना में 23 जून को होगी. इस बैठक में जेडीयू और आरजेडी नेताओं के अलावा, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे, एनसीपी से शरद पवार, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव, हेमंत सोरेन, लेफ्ट के नेता सीताराम येचुरी, डी राजा, दीपांकर भट्टाचार्य और स्टालिन जैसे नेता शामिल होंगे. हालांकि, केसीआर और नवीन पटनायक विपक्षी दलों की इस बैठक में शामिल नहीं होंगे.


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इस बैठक को लेकर बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा, 'डेट फिक्स हो गई है. 12 जून को कुछ नेता आने में असमर्थ थे इस वजह से बैठक नहीं हो पाई. सबकी राय थी कि जिस दिन सभी पार्टियों के प्रमुख मौजूद रहें उसी दिन इस बैठक को बुलाई जाए. बैठक पटना में होगी. सभी नेताओं ने अपनी सहमति दे दी है.'


उन्होंने कहा, 'जो महागठबंधन की सरकार बनी है, उसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद नेता लालू यादव समेत सभी नेताओं की ये मंशा थी कि विपक्ष के ज्यादा से ज्यादा नेता इस बैठक में शामिल हों. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ मैं खुद कई नेताओं के यहां गया और बात की. हमको लगता है कि सब लोग एक मंच पर आ रहे हैं, तो देश के जो हालात हैं, लोकतंत्र पर प्रहार किया जा रहा है, संविधान के साथ छेड़छाड़ की जा रही है. मुद्दे की बात नहीं की जा रही है. एकतरफा तानाशाह रवैया अपनाया जा रहा है, इसे देखते हुए पटना में ये बैठक होने जा रही है. हमें लगता है कि इस बैठक के सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेगा, कुछ बेहतर निकलकर सामने आएगा.'


बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लंबे समय से विपक्षी एकता की मशाल लेकर चल रहे हैं. इस बाबत उन्होंने घूम-घूमकर विपक्षी नेताओं से मुलाकात की और इस बैठक से लिए मनाने में सफलता हासिल की. उन्होंने मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, ममता बनर्जी, अखिलेश यादव, शरद पवार, स्टालिन समेत तमाम विपक्षी नेताओं के यहां जाकर मुलाकात की और एक मंच पर एकत्रित होने के लिए तैयार किया.


नीतीश कुमार के प्रयास से 23 जून को पटना में विपक्षी दल अपनी ताकत दिखाएंगे. विपक्षी दलों के शक्ति प्रदर्शन का ये अपनी तरह का पहला मौका होगा. नीतीश कुमार आगामी लोकसभा चुनाव में 100 सीटों पर बीजेपी को हराने की बात कह रहे हैं. वहीं, ममता बनर्जी और अखिलेश यादव ये बात कह चुके हैं कि जो पार्टी जिस राज्य में मजबूत है वहीं उसी पार्टी को लोकसभा चुनाव की कमान दी जाए. ऐसे में बीजेपी को उस राज्य में हराना आसान हो सकता है. हालांकि, 23 जून को होने वाली बैठक पर सबकी नजरें होंगी. ये भी देखने वाली बात होगी कि इस बैठक में विपक्ष अपने लिए कोई फार्मूला तय कर पाता है या नहीं.