श्रीनगर: जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने आज कहा कि एक राज्य के मुख्यमंत्री पर इस बात का फैसला करने के लिए भरोसा किया जाना चाहिए कि उसके राज्य का क्या हित है, अन्यथा, बेहतर यह होगा कि राज्य सरकार को हटा दिया जाए और केंद्र राज्य पर सीधे शासन करे।


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उन्होंने, हालांकि, कहा कि अलगाववादी नेता मसर्रत आलम की रिहाई जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की यह सुनिश्चित करने की चाल है कि चर्चा का मुद्दा भाजपा पीडीपी गठबंधन नहीं हो बेशक बाकी कुछ भी हो ।


उमर ने ट्वीटर पर पोस्ट किया है, ‘ अल्लाह जानता है कि मुझे मुफ्ती सईद के बारे में जानकारी नहीं है लेकिन एक मुख्यमंत्री पर इस बारे में फैसला करने के लिए भरोसा किया जाना चाहिए कि उसके राज्य के हित में क्या है और क्या नहीं है।’ उन्होंने लिखा कि, ‘क्या सही है इसका फैसला करने के लिए अगर आप मुख्यमंत्री पर विश्वास नहीं कर सकते हैं तो बेहतर यह होगा कि राज्य सरकार को हटा दिया जाए और दिल्ली से सीधे शासन किया जाए।’ नेशनल कांफ्रेंस के कार्यकारी अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री के संसद में दिए गए बयान का सीधा जिक्र किया जिसमें उन्होंने कहा था कि आलम की रिहाई के बारे में न तो केंद्र से सलाह ली गई थी और न ही जानकारी दी गई थी।


उमर ने कहा कि सईद नहीं चाहते हैं कि राज्य में हुए पीडीपी और भाजपा के गठबंधन को लेकर चर्चा हो और आलम की रिहाई को लेकर मचे हंगामे की वजह से मुख्यमंत्री अपनी योजना में कामयाब रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘ मुफ्ती चाहते हैं कि भाजपा के साथ उनका गठबंधन, नमो (नरेंद्र मोदी) के साथ उनका गले मिलना, और खोखले सीएमपी ( न्यूनतम साझा कार्यक्रम) पर कोई बात न करे और अभी तक उनकी यह पटकथा काम कर रही है।’