पद्म श्री, भारत सरकार की ओर से नागरिकों को दिया जाना देश का प्रतिष्ठित सम्मान है. जिसे भी यह मिलता है, उसकी समाज में प्रतिष्ठा बढ़ जाती है. हालांकि एक मामले की सुनवाई के दौरान बॉम्बे हाई कोर्ट काफी नाराज हो गया. जस्टिस गौतम पटेल और कमल खाता को कहना पड़ा, 'यह एक फर्जी याचिका है जो सिर्फ पद्म श्री की पावर दिखाने के लिए लगाई गई है.' दरअसल, हुआ यूं कि एक पद्म श्री अवॉर्डी अपनी हाउसिंग सोसाइटी के अंदरूनी विवाद को कोर्ट लेकर गए थे. सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने मामले में दखल देने से इनकार कर दिया. यह कोलाबा में एक कॉफी शॉप और खाने-पीने की दुकान के खुलने को लेकर था. अब इसका रास्ता साफ हो गया है. 


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पद्म श्री अवॉर्डी कौन थे


मुस्तनसिर बर्मा टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के पूर्व निदेशक हैं, जिन्हें 2013 में पद्म श्री अवॉर्ड मिला था. वह मेरेवेदर रोड पर ताज महल होटल के पीछे सन्नी हाउस में रहते हैं. 


क्या था मामला


उन्होंने आरोप लगाया कि लैंबसन होटल और रेस्टोरेंट सर्विसेज अनधिकृत तरीके से काम कर रही है और ग्राउंड फ्लोर पर अवैध कार्यों से पूरी बिल्डिंग की मजबूती को खतरा हो सकता है. बीच के फ्लोर को हटा दिया गया. उन्होंने आग्रह किया था कि बीएमसी को यह निर्देश दिया जाए कि वह काम रोकवाए और एक सर्वे करे. पूरे स्ट्रक्चर को नुकसान की आशंका से इनकार करते हुए लैंबसन के वकील ने कहा कि बीएमसी ने ही उन्हें रिपेयर के लिए परमिशन दी है. बर्मा के वकील ने दलील दी कि कई इमारतें इस तरह के काम के कारण गिर चुकी हैं. 


... पर सोसाइटी साथ क्यों नहीं?


इस बात पर गौर करते हुए कि यह एक आंतरिक मामला है जज ने सवाल किया कि सोसाइटी ने पिटिशन क्यों नहीं डाली या बर्मा के साथ क्यों नहीं आई? सोसाइटी के वकील ने एक ऑडिट रिपोर्ट का जिक्र करते हुए अपनी बात रखी. सुनवाई करते हुए जज इस बात से नाराज हो गए कि मामले में बार-बार यह कहा जा रहा था कि बिल्डिंग 100 साल पुरानी है और बर्मा एक पद्म श्री अवॉर्डी हैं. 


TOI की रिपोर्ट के मुताबिक आखिर में जस्टिस पटेल ने कहा कि उन्हें कोई भी अवॉर्ड मिला हो लेकिन इस अदालत में आपको जीरो अवॉर्ड मिला है... बार-बार हमें बताने की कोशिश हो रही है कि एक पद्म श्री कोर्ट आया है.