इस्‍लामाबाद: एक पाकिस्‍तानी ब्‍लॉगर आसिम सईद का इस साल की शुरुआत में अपहरण कर लिया गया था. कुछ हफ्ते बाद जब रिहा किया गया तो उसने अपहरणकर्ताओं पर आरोप लगाया कि उन्‍होंने उससे भारतीय खुफिया एजेंसी रिसर्च एवं एनेलिसिस विंग (RAW) के साथ संबंधों के बारे में पूछा. इस दौरान उनको बेहद यातनाएं दी गई. 


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आसिम सईद पाकिस्‍तान के उदारवादी विचारों के सोशल मीडिया कार्यकर्ता माने जाते हैं. सईद पांच उन उदारवादी कार्यकर्ताओं में शामिल हैं जिनका इस साल जनवरी में अपहरण हो गया था. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक अब इन्‍होंने अपनी जान का खतरा बताते हुए ब्रिटेन में शरण मांगी है. आसिम सईद पाकिस्‍तान में Mochi नाम से एक फेसबुक पेज से जुड़े हैं, जिसको पाकिस्‍तानी सेना का आलोचक माना जाता है. इनका मानना है कि जब से पाकिस्‍तान अस्तित्‍व में आया है तब से यहां की सेना किसी न किसी रूप में सीधे या परोक्ष रूप से शासन कर रही है. 


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आसिम ने बताया कि जब जनवरी में अपने भाई की शादी में शिरकत करने के लिए वह सिंगापुर से पाकिस्‍तान आए तो सादे कपड़ों में कुछ लोगों ने उनको एक कार में बैठने के लिए मजबूर किया. उसके बाद एक आदमी ने पूछा कि मालूम है तुमको क्‍यों पकड़ा गया? जब मैंने कहा कि मुझे नहीं पता तो उसने मुझे एक थप्‍पड़ मारा. उसके बाद मेरे फेसबुक पेज Mochi के बारे में बात करने लगा. सईद ने बीबीसी को बताया कि उसको अपने ईमेल अकाउंट और मोबाइल फोन के पासवर्ड शेयर करने को कहा गया. उसको कैद में आतंकवादियों के साथ रखा गया. वहां उसको बहुत बुरी यातनाएं दी गईं. उसका पोलीग्राफ टेस्‍ट किया गया. उसमें लगातार रॉ के साथ संबंधों के बारे में पूछा जाता रहा? मसलन क्‍या आप कभी रॉ से जुड़े रहे? आपका हैंडलर कौन है? क्‍या रॉ ने आपको धन मुहैया कराया? उससे यह भी पूछा गया कि वह पाक सेना का इतना आलोचक क्‍यों है? 


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सईद ने कहा इस तरह की यातनाओं के बीच उसको लगने लगा था कि वह अब कभी घर नहीं जा पाएगा क्‍योंकि आमतौर पर पाकिस्‍तान में इस तरह के लापता लोगों को मार दिया जाता है. हालांकि कुछ हफ्तों के बाद उसको छोड़ दिया गया. जब वह घर पहुंचा तो मालूम हुआ कि उसके ऊपर ईशनिंदा का आरोप लगाया गया है. पाकिस्‍तान में इस तरह के कार्यकर्ताओं पर ईशनिंदा के आरोप लगाए जाना आम बात है. रिहाई के बाद वह सिंगापुर वापस लौटा और वहां से ब्रिटेन चला गया. वहां उसने शरणार्थी के रूप में आवेदन करने का फैसला किया है. दरअसल उसका कहना है कि सिंगापुर में उसकी नौकरी की शर्तों के मुताबिक वह तब तक ही उस देश में रह सकता है, जब तक वहां उसकी नौकरी है. ऐसे में उसको आशंका है कि जब भी कभी उसको नौकरी से हाथ धोना पड़ा तो वापस पाकिस्‍तान लौटना होगा. वहां उसको अपनी जान का खतरा महसूस होता है.