Pangong Lake पर भारत ने कर दिया ऐसा काम, चीन को मिर्ची लगना है तय!
Pangong Lake Dispute: पैंगोंग झील (Pangong Lake) और उसके आसपास के इलाके में टूरिस्ट अब अपनी बाइक लेकर जा सकेंगे. इसकी अनुमति भारतीय सेना (Indian Army) ने दे दी है. आइए जानते हैं कि इससे ड्रैगन परेशान क्यों हो सकता है?
Pangong Lake Tourism: टूरिस्ट (Tourist) जल्द ही अपनी बाइक के साथ पूर्वी लद्दाख (Ladakh) में स्थित पैंगोंग झील (Pangong Lake) वाले चांग चेनमो सेक्टर में उन जगहों पर जा सकेंगे जहां गश्त की जाती है. जान लें कि यहां चीन के साथ सीमा गतिरोध अब अपने चौथे साल में है. सूत्रों के मुताबिक, पहले चरण में पर्यटकों को 18 हजार फीट से ऊंचे मर्सिमिक ला से त्सोगत्सालो तक जाने की परमीशन दी जाएगी. यहां रिमडी चू और चांग चेनमो रिवर्स के संगम के पास एक चरागाह है. ये लेह से करीब 160 KM ईस्ट में है. वहीं, पैंगोंग झील के नॉर्थ में चीन के साथ एलएसी (LAC) है. जिस पर दिन-रात गश्त की जाती है. अब कहा जा रहा है कि इस फैसले के बाद जब टूरिस्ट एलएसी के पार पैंगोंग झील पर पहुंचेंगे तो इससे चीन को मिर्ची लगना तय है.
गलवान घाटी में बाइक लेकर घूम सकेंगे टूरिस्ट
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, दूसरे चरण में टूरिस्ट्स को हॉट स्प्रिंग्स तक जाने की अनुमति दी जाएगी, जो त्सोगत्सालु से आगे है. यहां 21 अक्टूबर, 1959 को शहीद हुए 10 सीआरपीएफ जवानों के सम्मान में स्मारक भी बना है. उनकी पैट्रोलिंग टीम पर चीनियों ने हमला किया था. इसके अलावा भारतीय सेना ने हॉट स्प्रिंग और त्सोग्त्सलो जैसी अन्य जगहों के अलावा, मार्सिमिक ला समेत कई ट्रेक और रास्तों को खोलने का समर्थन किया है.
लंबे वक्त से की जा रही थी मांग
जानकारी के अनुसार, लद्दाख प्रशासन सीमा क्षेत्र के डेवलपमेंट पर केंद्र के फोकस के अनुरूप टूरिस्म के लिए खोलना चाहता है. स्थानीय लोग भी इसकी लंबे समय से मांग कर रहे हैं. बता दें कि अगस्त, भारतीयों के लिए इनर लाइन परमिट सिस्टम को 2021 में खत्म कर दिया गया था, पर एलएसी के विवादित हिस्सों के नजदीक के इलाके टूरिस्ट्स के लिए सीमा से बाहर हैं.
गलवान घाटी विवाद क्या है?
गौरतलब है कि 15-16 जून, 2020 की रात गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हो गई थी. इस झड़प में करीब 20 भारतीय जवान शहीद हो गए हैं. साथ में ये दावा भी किया गया था कि चीन को ज्यादा नुकसान हुआ था. चीन के 38 से ज्यादा सैनिक मारे गए थे. तब से लेकर अब तक भारत और चीन के बीच कई बार वार्ता हो चुकी है.
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