नई दिल्ली: पत्रकारों और एक्टिविस्टों के कथित पेगासस प्रोजेक्ट (Pegasus Project) मामले में सरकार ने एक बार फिर अपना पक्ष सामने रखा है. सरकार ने कहा कि देश में फोन सर्विलांस (Phone Surveillance) के लिए एक कानून सम्मत सिस्टम बना हुआ है और सरकार उसी के अनुसार काम करती है.


मंत्री ने संसद में रखा सरकार का पक्ष


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संसद में सरकार का पक्ष रखते हुए केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnaw) ने कहा कि देश में फोन सर्विलांस (Phone Surveillance) के बारे में एक कानून बना हुआ है. जिसके तहत केवल राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में ही फोन टैपिंग की अनुमति होती है. इस प्रकार के मामलों में गृह सचिव लेवल के अधिकारी लिखित अनुमति प्रदान करते हैं. साथ ही ऐसे प्रत्येक मामलों की निगरानी और रिकॉर्ड मेनटेन किया जाता है. 



मंत्री ने कहा कि कथित 'Pegasus Project' पर सामने आई रिपोर्ट को देखने से साफ पता चलता है कि उसमें एक खास अवधारणा के आधार पर काम किया गया है. जिसमें न तो कोई तथ्य है और न लॉजिक. ऐसा लगता है कि भारत की छवि को धूमिल करने के इरादे से यह रिपोर्ट तैयार की गई है. 


केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने कहा, ‘रविवार रात को एक वेब पोर्टल ने बेहद सनसनीखेज खबर प्रकाशित की. यह प्रेस रिपोर्ट संसद के मॉनसून सत्र के एक दिन पहले सामने आई. यह संयोग नहीं हो सकता है. अतीत में वॉट्सऐप पर पेगासस के इस्तेमाल करने का दावा सामने आया. इन खबरों का तथ्यात्मक आधार नहीं है और सभी पक्षों ने इससे इनकार किया है.’


'इन संस्थानों ने किया इंटरसेप्शन का दावा'


दुनियाभर के 17 मीडिया संस्थानों के कंसोर्टियम ने दावा किया है कि विभिन्न सरकारें अपने यहां पत्रकारों और ऐक्टिविस्टों की जासूसी करा रही है. रविवार को पब्लिश हुई रिपोर्ट के मुताबिक भारत समेत कई देशों में करीब 180 पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और ऐक्टिविस्ट्स की जासूसी की गई. इसके लिए इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप के हैकिंग साफ्टवेयर पेगासस (Hacking Software Pegasus) का इस्तेमाल किया गया. 


रिपोर्ट में आशंका जताई गई कि भारत के दो केन्द्रीय मंत्रियों, 40 से अधिक पत्रकारों, विपक्ष के तीन नेताओं और एक न्यायाधीश समेत बड़ी संख्या में कारोबारियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के 300 से अधिक मोबाइल नंबरों को हैक किया गया. 


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कैसे काम करता है पेगासस सॉफ्टवेयर?


पेगासस (Hacking Software Pegasus) एक मैलवेयर है जो आईफोन और एंड्रॉइड डिवाइस को हैक कर लेता है. इससे मैलवेयर भेजने वाला शख्स उस फोन में मौजूद मैसेज, फोटो और ईमेल तक को देख सकता है. इतना ही नहीं, यह साफ्टवेयर उस फोन पर आ रही कॉल को रिकॉर्ड भी कर सकता है. इस साफ्टवेयर से फोन के माइक को गुप्त रूप से एक्टिव किया जा सकता है.


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