फोन हैकिंग के 'पेगासस प्रोजेक्‍ट' पर सरकार ने दिया दो टूक जवाब, जानिए क्‍या कहा
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फोन हैकिंग के 'पेगासस प्रोजेक्‍ट' पर सरकार ने दिया दो टूक जवाब, जानिए क्‍या कहा

केंद्र सरकार (India) ने इजरायली सॉफ्टवेयर पेगासस की मदद से पत्रकारों और एक्टिविस्टों की जासूसी कराने की खबरों को तथ्यों से परे बताते हुए खारिज किया है.

प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली: केंद्र सरकार (India) ने इजरायली सॉफ्टवेयर पेगासस की मदद से पत्रकारों और एक्टिविस्टों की जासूसी कराने की खबरों को तथ्यों से परे बताते हुए खारिज किया है. सरकार ने बयान जारी करके कहा कि यह रिपोर्ट देश की छवि खराब करने के इरादे से तैयार की गई है और इसमें कोई सच्चाई नहीं है. 

  1. 'खुद ही बन गए जांचकर्ता, अभियोजक और जज'
  2. 'इंटरसेप्शन के लिए देश में बना हुआ कानून'
  3. 'पहले भी तथ्यहीन पाई गईं खबरें'

'खुद ही बन गए जांचकर्ता, अभियोजक और जज'

केंद्रीय सूचना- इलेक्ट्रॉनिक मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव डॉ राजेंद्र कुमार ने कहा कि 17 मीडिया संस्थानों के कंसोर्टियम की रिपोर्ट तथ्यों को बिना वेरिफाई किए एकतरफा तरीके से जारी की गई है. रिपोर्ट पढ़कर स्पष्ट प्रतीत हो रहा है कि एक साथ जांचकर्ता, अभियोजक और जज की भूमिका निभाने की कोशिश की गई है. 

अतिरिक्त सचिव ने कहा कि खबरों से स्पष्ट है कि लिखने वाले ने कोई रिसर्च नहीं की है और पूर्व अवधारणा के आधार पर एकतरफा विश्लेषण सुना दिया. भारत सरकार इस रिपोर्ट का पूरी तरह खंडन करती है.

'इंटरसेप्शन के लिए देश में बना हुआ कानून'

उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में पत्रकारों और एक्टिविस्टों की जासूसी कराए जाने का आरोप लगाया गया है. देश में फोन इंटरसेप्ट (Intercept) करने के लिए कानून बना हुआ है. जिसके तहत केंद्र में गृह सचिव और राज्यों में सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना कोई अफसर अपनी मर्जी से फोन इंटरसेप्ट नहीं कर सकता.

उन्होंने कहा कि कानून के तहत फोन इंटरसेप्टिंग (Intercept) की अनुमति केवल राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में ही दी जाती है. इस प्रकार की प्रत्येक इंटरसेप्टिंग का रिकॉर्ड मेनटेन किया जाता है और उसकी निगरानी की जाती है. उन्होंने कहा कि जिन लोगों के नाम रिपोर्ट में दिए गए हैं, उनकी सरकार की ओर से कोई इंटरसेप्टिंग नहीं की गई. 

'पहले भी तथ्यहीन पाई गईं खबरें'

डॉ राजेंद्र कुमार ने कहा कि इससे पहले भी इस तरह की खबरें फैलाई गई थीं कि सरकार वॉट्सऐप के जरिए लोगों की जासूसी करवा रही है. बाद में यह खबर तथ्यहीन पाई गई. खुद वॉट्सऐप ने भी सुप्रीम कोर्ट में यह कबूल किया कि ऐसी कोई जासूसी नहीं करवाई जा रही है. 

उन्होंने कहा कि ऐसा लग रहा है कि वॉट्सऐप वाली खबर की तरह एक बार फिर भारत और भारतीय लोकतंत्र को लज्जित करने के लिए यह फर्जी खबर फैलाई गई है. भारत सरकार इस खबर का पूरी तरह खंडन करती है. 

'इन संस्थानों ने किया इंटरसेप्शन का दावा'

दुनियाभर के 17 मीडिया संस्थानों के कंसोर्टियम ने दावा किया है कि विभिन्न सरकारें अपने यहां पत्रकारों और ऐक्टिविस्टों की जासूसी करा रही है. रविवार को पब्लिश हुई रिपोर्ट के मुताबिक भारत समेत कई देशों में करीब 180 पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और ऐक्टिविस्ट्स की जासूसी की गई. इसके लिए इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप के हैकिंग साफ्टवेयर पेगासस (Hacking Software Pegasus) का इस्तेमाल किया गया. रिपोर्ट में आशंका जताई गई कि भारत के दो केन्द्रीय मंत्रियों, 40 से अधिक पत्रकारों, विपक्ष के तीन नेताओं और एक न्यायाधीश समेत बड़ी संख्या में कारोबारियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के 300 से अधिक मोबाइल नंबरों को हैक किया गया. 

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कैसे काम करता है पेगासस सॉफ्टवेयर?

पेगासस (Hacking Software Pegasus) एक मैलवेयर है जो आईफोन और एंड्रॉइड डिवाइस को हैक कर लेता है. इससे मैलवेयर भेजने वाला शख्स उस फोन में मौजूद मैसेज, फोटो और ईमेल तक को देख सकता है. इतना ही नहीं, यह साफ्टवेयर उस फोन पर आ रही कॉल को रिकॉर्ड भी कर सकता है. इस साफ्टवेयर से फोन के माइक को गुप्त रूप से एक्टिव किया जा सकता है.

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