Unable to Recognize faces coronavirus: बीते 2 से 3 सालों में कोरोना वायरस ने लोगों की जिंदगी बदल कर रख दी है. इस खतरनाक वायरस ने हंसते-खेलते परिवारों को उजाड़ कर रख दिया, वहीं दूसरी ओर दुनिया की एक बड़ी जनसंख्या को गरीबी के गर्त में धकेल दिया. कोरोना वायरस का असर भले ही कम हो गया है और इसके मरीजों की संख्या पहले की अपेक्षा काफी कम हो गई है लेकिन कोरोना से संक्रमित लोगों में आए दिन नए-नए लक्षणों की पुष्टि हो रही है. वैज्ञानिकों ने बताया है कि कोरोना वायरस से संक्रमित रह चुके लोगों में एक नया लक्षण देखने को मिला है जिससे जुड़ी रिसर्च को कॉर्टेक्स जनरल में प्रकाशित किया गया है.


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आ रही ये बड़ी मुसीबत


रिसर्चर्स का कहना है कि कोरोना से संक्रमित रह चुके कुछ लोग को चेहरे पहचानने में दिक्कत हो रही है. वैज्ञानिकों ने इस बीमारी को फेस ब्लाइंडनेस नाम दिया है. मेडिकल के भाषा में इस बीमारी को प्रोसोपागनोसिया (Prosopagnosia) कहते हैं. यह पोस्ट कोविड लक्षण है जो संक्रमण के ठीक होने के काफी दिनों बाद देखने को मिल रही है. रिसर्चर्स इसे दिमाग से होने वाली बीमारी से जोड़कर देख रहे हैं. रिसर्चर्स ने पोस्ट कोविड सिम्पटम के अध्ययन के लिए 50 लोगों पर स्टडी की. इन 50 लोगों की स्टडी करने पर पता चला कि यह ठीक से लोगों का चेहरा नहीं पहचान पा रहे हैं. कई बार मेमोरी डिफेक्ट होने की वजह से लोग दिशा भूल जाते हैं.


किस वजह से हो रही ये दिक्कत?


वैज्ञानिकों का ऐसा मानना है कि चेहरा और दिशा भूलने की प्रक्रिया दिमाग के किसी हिस्से के डैमेज होने की वजह से है. अगर दिमाग का कोई हिस्सा डैमेज नहीं हुआ है तो जरूर ये किसी मानसिक बाधा की वजह से हो रहा है. इसके अलावा थकान होना, कंसंट्रेशन ना बनना और दिमाग में फॉग बनना और माइग्रेन की समस्या होना भी पोस्ट कोविड-19 लक्षण हैं.


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