नई दिल्ली: यूपी (Uttar Pradesh) और बिहार (Bihar) में गंगा और यमुना नदी (Deadbodies found floating in Ganga River) में बहते शवों के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है. वकील विनीत जिंदल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि नदियों में तैरते और आसपास रेत में दबे शवों का यूं मिलना नदियों के पर्यावरण संतुलन को बिगाड़ रहा है. याचिका में कहा गया है कि नदियों किनारे से शवों को जल्द से जल्द हटाया जाए ताकि इको सिस्टम पर मंडरा रहे खतरे को दूर किया जा सके.  नदियो के पर्यावरण संतुलन 


'बहते शवों ने बढ़ाई चिंता'


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याचिका में ये भी कहा गया है कि नदियों में तैर रहे इन शवों की वजह से नदियों के आसपास रहने वालों लोगों की जिंदगी को नया खतरा हो सकता है. उन्हें किसी नए तरह का संक्रमण हो सकता है. याचिका में मांग की गई है कि सरकार 3 स्तरीय कमेटी (केंद्र, राज्य और पंचायत स्तर) का गठन करे ताकि शवों की बेअदबी न हो और उनका गरिमापूर्ण ढंग से अंतिम संस्कार हो सके.


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नदी में बहते शवों पर सियासत


गौरतलब है कि पवित्र नदियों में बड़े पैमाने पर शव मिलने के बाद जमकर सियासत भी हुई थी. बिहार के बक्सर जिला प्रशासन ने तो ये तक कह दिया था कि वहां गंगा किनारे मिले शव यूपी से बहते हुए बिहार पहुंचे हैं. कोरोना काल में शवों का अंतिम संस्कार करना महंगा है इसलिए लोग उन्हें गंगा में प्रवाहित कर रहे हैं. 


गौरतलब है कि यूपी में प्रयागराज (Prayagraj), कानपुर (Kanpur) और गाजीपुर (Ghazipur) समेत गंगा किनारे वाले कई शहरों में नदी में अचानक एक साथ कई शव मिलने से लोगों के मन में दहशत फैल गई थी. 



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