कहां है Second longest wall in the world? अकबर भी नहीं तोड़ पाया था इसे

उदयपुर: चीन की विशाल दीवार को कौन नहीं जानता है जो दुनिया की सबसे लंबी दीवार होने के साथ दुनिया के सात अजूबों में शामिल है. इसे `ग्रेट वॉल ऑफ चाइना` (Great wall of China) कहते हैं. इसे बनाने में ईंट, पत्थर, लकड़ी और धातुओं का इस्तेमाल हुआ इसलिए इसे दुनिया की सबसे पुरानी मिट्टी और पत्थर की बनी दीवार भी कहा जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी दीवार (Second longest wall in the world) कहां है? अगर नहीं तो हम बता दें कि दूसरी सबसे बड़ी दीवार भारत के राजस्थान (Rajasthan) स्थित कुंभलगढ़ किले (Kumbhalgarh Fort) में मौजूद है. आइए इससे जुड़े रोचक तथ्यों के बारे में आपको बताते हैं.

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ग्रेट वाल ऑफ इंडिया

राजस्थान (Rajasthan) में स्थित कुम्भलगढ़ किले (Kumbhalgarh Fort) की दीवार 'ग्रेट वॉल ऑफ इंडिया' (Great wall of India) के नाम से जानी जाती है. ये वर्ल्ड हेरिटेज साइट (World Heritage) है. चीन की ग्रेट वॉल ऑफ चाइना (Great wll of China) के बाद ये दीवार ग्रेट वॉल ऑफ इंडिया के नाम से मशहूर है. भारतीय दीवार की लंबाई लगभग 36 किमी है और इसकी चौड़ाई 15 से 25 फीट है. 

 

फोटो साभार: (सोशल मीडिया)

 

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अकबर भी रहा नाकाम

भारत की सबसे बड़ी (India's largest) और दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी दीवार उदयपुर (Udaipur) से 64 किलोमीटर दूर स्थित एक किले से जुड़ी है. जिसका निर्माण महाराणा कुम्भा (Maharana Kumbha) ने 15वीं शताब्दी में करवाया था. दीवार को अकबर (Akbar) सहित कई राजाओं ने तोड़ने की कोशिश की थी, लेकिन ऐसा कहा जाता है कि ये दीवार अभेद्य है. पृथ्वीराज चौहान और महाराणा सांगा का बचपन भी इसी किले में बीता. कहा जाता है महाराणा उदय सिंह को भी पन्नाधाय ने इसी किले में छिपाकर उनका पालन पोषण किया था.

 

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15वीं सदी में निर्माण

ये दीवार अरावली की पहाड़ियों से घिरी हुई है. कुम्भलगढ़ का किला समुद्र की सतह से 1,914 मीटर की ऊंचाई पर है. इस किले के निर्माण को पूरा करने में 15 साल का समय लगा. किले को कई पहाड़ियों को मिलाकर बनाया गया है. आपको बता दें महाराणा कुम्भा के रियासत में कुल 82 किले आते थे, जिसमें से राणा कुम्भा ने स्वयं 32 किलों के निर्माण का नक्शा खुद तैयार किया था. इतिहास के मुताबिक महाराणा कुम्भा से लेकर महाराजा राज सिंह के समय तक मेवाण पर हुए हमलों के दौरान राज परिवार इसी दुर्ग में रहता था.

 

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अनूठा संगम

कुंभलगढ़ किले (Kumbhalgarh Fort) के अंदर कुल 360 मंदिरों का समूह है. जिसमें, 300 जैन मंदिर और 60 हिन्दू मंदिर हैं. किले के अंदर प्रवेश के लिए सात द्वार बने हुए हैं. जिसमें, राम द्वार, पग्र द्वार, हनुमान द्वार आदि फेमस है.

 

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दक्षिणी राजस्थान का नायाब नमूना

इस किले और दीवार को इसे वास्तु शास्त्र के नियमानुसार बनाया गया है. इस महल के कमरों में पेस्टल रंगों के भित्ति चित्र मिलते हैं. यहां के कमरे फिरोजी, हरे और सफेद रंग के हैं.

 

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चंगेज खान ने तुड़वाई थी चीन की दीवार

राणा कुंभा ने अलाउद्धीन खिलजी के आक्रमण को ध्यान में रखते हुए कुंभलगढ़ किले की दीवार का निर्माण कराया था. जो चीन की इस दीवार की तुलना में काफी कम समय में तैयार हो गई थी. वहीं चीनी दीवार का निर्माण किसी एक राजा ने नहीं बल्कि कई राजाओं ने अलग-अलग समय में करवाया था. जिसे बनाने में सैकड़ों साल और करीब 20 लाख मजदूर लगे थे. चीनी दीवार यूं तो देश की सुरक्षा के लिए बनी थी, लेकिन ऐसा हो नहीं सका. मंगोल शासक चंगेज खान ने वर्ष 1211 में इसे तोड़ दिया था और इसे आसानी से पार करते हुए चीन पर हमला कर दिया.

 

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चीन की दीवार से इस मामले में आगे

इंडिया डॉट कॉम में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक इस भारतीय दीवार का आर्किटेक्चर राजपूतकालीन शैली और जमाने का बेहतरीन उदाहरण है. जिसकी लंबाई 36 किमी है और चौड़ाई 15 से 25 फीट है. इस पर एक साथ 8 घोडे दौड़ सकते हैं जबकि चीन की इस दीवार पर एक साथ केवल 5 घोड़े दौड़ सकते हैं.

 

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