भारत की अग्नि-5 मिसाइल साबित होगी गेमचेंजर, सामने टिक नहीं पाएगा चीन
नई दिल्ली: भारत अब पड़ोसी मुल्क की ओर से आने वाले खतरे को देखते हुए ज्यादा सतर्क हो गया है. यही वजह है कि अग्नि सीरीज को ज्यादा घातक और मारक क्षमता के साथ टेस्ट किया जा रहा है. देश की अग्नि-5 मिसाइल चीन के सुदूर उत्तरी इलाके तक टारगेट करने में सक्षम है, जिसकी मारक क्षमता 5 हजार किमी है.
चीन से अग्नि-5 का मुकाबला
भारत जमीन से जमीन पर मार करने वाली अग्नि-5 मिसाइल का सफल परीक्षण कर चुका है. इस मिसाइल की मारक क्षमता करीब 5 हजार किमी है और यह पूरी सटीकता के साथ निशाना साधने में सक्षम है. भारत के अग्नि-5 प्रोजक्ट का मुख्य मकसद चीन की न्यूक्लियर क्षमता को अप्रभावी बनाना और भारतीय सेना को ड्रैगन के खिलाफ सशक्त करना है. चीन के पास पहले ही डोंगफेंग-41 मिसाइल मौजूद है जिसकी मारक क्षमता 12 से 15 हजार किमी बताई गई है.
LAC पर तनाव के बीच टेस्ट
अग्नि-5 प्रोजेक्ट की शुरुआत करीब एक दशक पहले हुई थी और अब तक 7 बार इस मिसाइल का परीक्षण किया जा चुका है. अग्नि-5 मिसाइल अपनी मारक क्षमता से चीन के सुदूर उत्तरी हिस्से तक निशाना साध सकती है. डीआरडीओ ने LAC पर चीन के साथ चले आ रहे तनाव को देखते हुए इस मिसाइल का सफल टेस्ट किया था. इस मिसाइल की हाइट करीब 17 मीटर है और यह 1.5 टन युद्ध सामग्री ले जा सकती है.
पाकिस्तान से एक दशक आगे भारत
चीन ने अपनी दो हाइपरसोनिक मिसाइलों का टेस्ट किया था जिसके बाद भारत ने भी सफल परीक्षण को अंजाम दिया. हालांकि ड्रैगन ने इसे रुटीन टेस्ट बताया था. भारत ने पहली बार 1989 में अग्नि मिसाइल का टेस्ट किया था, इसके करीब एक दशक बाद पाकिस्तान में मिसाइल का टेस्ट हुआ था. फिलहाल DRDO अग्नि-6 मिसाइल पर काम कर रहा है जिसकी मारक क्षमता करीब 6 हजार किमी है.
चीन की मिसाइल की रेंज 2 हजार किमी
यह मिसाइल 10 न्यूक्लियर हथियार ले जाने में सक्षम है और 8 से 10 हजार किमी तक टारगेट कर सकती है. साथ ही इसे सबमरीन से भी लॉन्च किया जा सकता है. अग्नि-5 का पहला टेस्ट अप्रैल 2012 में किया गया था और आखिरी टेस्ट करीब तीन साल पहले हुआ था. चीन ने अपनी मीडियम रेंज मिसाइल DF-17 से साल 2019 में पर्दा उठाया था. यह मिसाइल 2 हजार किमी तक टारगेट कर सकती है और हथियार ले जाने में सक्षम है.
भारत के मददगार ये देश
अग्नि सीरीज की मिसाइलों की रेंज 700 से लेकर 3500 किमी है और यह सभी तैयार हो चुकी हैं. लेकिन अब अग्नि-5 प्रोजेक्ट का मकसद इस क्षमता को आगे बढ़ाना है. साथ ही चीन के खिलाफ जवाबी हथियार तैयार करना है. भारत डिफेंस कॉपरेशन के लिए अब तक पश्चिमी देशों पर निर्भर था. क्वॉड देशों के साथ अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश के प्रमुख साझेदार हैं. भारत ने रूस से S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदा है. भारत ने अमेरिकी प्रतिबंधों की परवाह किए बैगर रूस के साथ ये बड़ा सैन्य करार किया है.
रूस और नॉर्थ कोरिया ने किए टेस्ट
भारत के अलावा हाल में रूस ने भी हाइपरसोनिक मिसाइल जिरकॉन का टेस्ट किया है. इसे सबमरीन से टारगेट किया गया था. इसके अलावा नॉर्थ कोरिया ने भी सबमरीन से नई तरह की बैलिस्टिक मिसाइल का लॉन्च टेस्ट किया था.