DNA: चुनाव में Sympathy Card वाली राजनीति, इन्‍हें मिला सहानुभूति की तस्‍वीर का फायदा

आज हम भारतीय राजनीति को ईंधन देने वाले उस Sympathy Card का विश्लेषण करेंगे, जिसका पश्चिम बंगाल के चुनाव में काफ़ी इस्तेमाल हो रहा है. पश्चिम बंगाल में 10 मार्च को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर कथित हमले का आरोप लगा और 24 घंटे में परिस्थितियां दिन और रात की तरह बदल गईं. अब ममता बनर्जी 13 मार्च से राज्य में व्‍हील चेयर पर चुनाव प्रचार की फिर से शुरुआत करेंगी. यानी पश्चिम बंगाल में राजनीतिक विज्ञान के उस सिद्धांत पर काम शुरू हो गया है, जिसमें लोगों की सहानुभूति बटोर कर चुनाव के नतीजे बदल दिए जाते हैं और नेताओं के रिपोर्ट कार्ड पर Sympathy Card हावी हो जाता है.

ज़ी न्यूज़ डेस्क Fri, 12 Mar 2021-11:48 am,
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ये Sympathy Factor वैसा ही जैसे किसी बड़े कॉलेज में दाख़िले के लिए कोई छात्र पहुंचे लेकिन उसके नंबर कम हों और अपनी इसी कमी को छिपाने के लिए वो ख़ुद को घायल दिखाए और रोने लगे कि उस पर इसलिए हमला किया गया ताकि उसका कॉलेज में दाख़िला न हो सके. इस तरह इस छात्र को कॉलेज की हमदर्दी भी मिल जाएगी और वहां दाख़िला भी, जबकि इस सहानुभूति की वजह से नुक़सान उन छात्रों का होगा, जिनके परीक्षा में 90 प्रतिशत से ज़्यादा नंबर होंगे, लेकिन इसके बावजूद उन्हें कॉलेज में दाखिला नहीं मिलेगा. यानी कम नंबरों वाले रिपोर्ट कार्ड को अगर आंसुओं में भिगो दिया जाए तो 40 प्रतिशत नंबर भी 100 प्रतिशत बन जाते हैं और पश्चिम बंगाल का चुनाव भी इसी Sympathy Factor की ओर मोड़ने की कोशिश हो रही है. चोट से वोट पैदा करने वाली ये राजनीति उस धागे की तरह है, जो दिखता तो कमज़ोर है लेकिन जब यही धागा उलझ जाता है तो इसे सुलझाना आसान नहीं होता और चुनाव में खेला गया Sympathy Card भी इसी तरह है. अब कोई ममता बनर्जी से उनका रिपोर्ट कार्ड नहीं मांग रहा. कोई उनसे ये नहीं पूछ रहा कि उन्होंने पिछले 10 वर्षों में बंगाल को क्या दिया. हर कोई उन पर हुए कथित हमले की चर्चा कर रहा है और इसमें कुछ लोग उनका समर्थन कर रहे हैं तो कुछ लोगों का मानना है कि ये सब राजनीति का हिस्सा है और ये कथित हमला पश्चिम बंगाल के चुनाव का टर्निंग पॉइंट भी बन सकता है.

 

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जयललिता का निधन

2016 में तमिलनाडु की मुख्‍यमंत्री जे. जयललिता का निधन.   

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2017 में हुए उपचुनाव

2017 में हुए थे उपचुनाव. 

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प्रचार में नकली पार्थिव शरीर

प्रचार में नकली पार्थिव शरीर का इस्‍तेमाल.

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सहानुभूति की तस्‍वीर

तमिलनाडु विधान सभा चुनावों में भी ऐसा हुआ. 

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1984 का तमिलनाडु विधान सभा चुनाव

आपने पूरे दिन ममता बनर्जी की अस्पताल में खींची गई तस्वीरें सोशल मीडिया और न्‍यूज़ चैनलों पर देखी होंगी, लेकिन आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि 1984 के तमिलनाडु विधान सभा चुनाव में भी कुछ ऐसा ही हुआ था.

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अस्पताल में खींची गई तस्वीर

 तब स्वर्गीय नेता MGR की न्‍यूयॉर्क के एक अस्पताल में खींची गई तस्वीर काफ़ी चर्चित रही थी. 

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MGR अस्पताल से चुनाव लड़े थे

इस तस्वीर को उनकी पार्टी AIADMK ने चुनाव में खूब भुनाया था. तब MGR अस्पताल से चुनाव लड़े थे और उन्हें इसमें कामयाबी भी मिली थी.

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बेनजीर भुट्टो की मौत से पहले

बेनजीर भुट्टो की मौत से पहले उनकी पार्टी को 25 प्रतिशत समर्थन. 

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बेनजीर भुट्टो की मौत के बाद

बेनजीर भुट्टो की मौत के बाद पार्टी को समर्थन 50 प्रतिशत. 

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