DNA: आज़ाद भारत में आंदोलन और हिंसा का इतिहास, जानिए कब-कब हुए विरोध प्रदर्शन

73 वर्षों में भारत में 50 से भी ज्यादा एतिहासिक और बड़े विरोध प्रदर्शन और आंदोलन हो चुके हैं. इनमें हम छोटे मोटे प्रदर्शनों को नहीं जोड़ रहे हैं. अगर इनको भी इसमें जोड़ लिया जाए तो भारत में हर हर साल औसतन 2 से तीन प्रदर्शन होते हैं.

ज़ी न्यूज़ डेस्क Wed, 09 Dec 2020-7:48 am,
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आज़ाद भारत में आंदोलन का इतिहास

भारत में हड़ताल और बंद की शुरुआत पहली बार कब और कहां हुई थी इसकी ठीक ठीक कोई जानकारी तो उपलब्ध नहीं है. लेकिन कुछ ऐतिहासिक दस्तावेज़ों में ये दावा है कि भारत में बंद और हड़ताल की शुरुआत 1862 में हुई थी. 

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आज़ाद भारत में आंदोलन का इतिहास

1862 में फैक्ट्रियों में काम करने वाले मजदूर हड़ताल पर चले गए थे.  इसके सिर्फ 9 वर्षों के बाद हावड़ा स्टेशन के 1200 कर्मचारी हड़ताल पर चले गए.  इनकी मांग थी कि इनके Working Hours  को घटाकर 8 घंटे किया जाए.

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इसके बाद हड़ताल और बंद का ये सिलसिला ऐसे ही चलता रहा. कहा जाता है कि राजनैतिक कारणों से पहली हड़ताल वर्ष 1908 में मुबई में की गई थी.

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24 जून 1908 को ब्रिटिश सरकार की पुलिस ने बाल गंगाधर तिलक को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था और इसके विरोध में बॉम्बे में काम करने वाले सैकड़ों कर्मचारी हड़ताल पर चले गए थे और विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे.

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 6 दिनों तक चले इस विरोध प्रदर्शन में 200 से ज्यादा लोगों की जान भी चली गई थी.

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लेकिन आजादी से पहले जो आंदोलन, देशभक्ति और अंग्रेज़ों के जुल्म के खिलाफ आवाज़ उठाने का जरिया हुआ करते थे, वो आने वाले 73 वर्षों में सिर्फ राजनैतिक पार्टियों का वाहन बनकर रह गए.

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आज़ाद भारत में आंदोलन का इतिहास

आप भारत को दुनिया में विरोध प्रदर्शनों की राजधानी भी कह सकते हैं. ये बात हम आंकड़ों के आधार पर कह रहे हैं.

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 हमने वर्ष 1990 से लेकर 2018 तक के कुछ आंकड़े निकाले हैं. ये आंकड़े बताते हैं कि कैसे 18 वर्षों के दौरान पूरी दुनिया के मुकाबले सबसे ज्यादा प्रदर्शन भारत में हुए.

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हमें रिसर्च के दौरान ये भी पता लगा कि ज्यादातर विरोध प्रदर्शनों के दौरान भारत में सरकारों का रवैया खामोश बने रहने का होता है. यानी ज्यादातर समय सरकारें विरोध प्रदर्शनों को नज़रअंदाज़ करती हैं.

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1990 से 2018 के बीच प्रदर्शनों में हुई हिंसा के भी कुछ आंकड़े हैं और ये आंकड़े बताते हैं कि इनमें से ज्यादातर विरोध प्रदर्शन किसी न किसी मौके पर हिंसक हो गए.

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 सबसे ज्यादा हिंसक प्रदर्शन वर्ष 2001, 2008 और 2017 के दौरान हुए.

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