Kohinoor से Goddess Annapurna तक, अब तक भारत से चोरी हुई हैं ये ऐतिहासिक चीजें, जानें क्या आया वापस क्या नहीं

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India) के रिकॉर्ड से पता चलता है कि सरकार 2014 और 2020 के बीच 40 कलाकृतियों को वापस लाने में सक्षम हो पाई है और कई को वापस लाने की बात चल रही है.

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18वीं सदी की देवी अन्नपूर्णा मूर्ति

माता अन्नपूर्णा यानी हिंदू धर्म के अनुसार अन्न और संपदा की देवी की ये मूर्ति 18वीं सदी की है और 107 साल पहले वाराणसी से चोरी होने के बाद तस्करों के हाथ लगी और कनाडा पहुंच गई. मां अन्नपूर्णा की इस मूर्ति में एक हाथ में खीर का कटोरा और दूसरे हाथ में चम्मच है. इस मूर्ति के भारत वापसी की यात्रा शुरू हो चुकी है. दिसंबर मध्य तक इसके वाराणसी पहुंचने की उम्मीद है. पिछले महीने 19 तारीख को मूर्ति को वापस करने के लिए एक वर्चुअल कार्यक्रम में सभी जरूरी दस्तावेजी काम पूरे कर लिए गए हैं.

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भगवान राम, लक्ष्मण और सीता की मूर्ति

13वीं सदी में बनी भगवान राम, लक्ष्मण और सीता की कांस्य की प्रतिमाएं भारत आ चुकी हैं, जो करीब 20 साल पहले चोरी हुई थीं. तस्करी के बाद यह मूर्ति लंदन पहुंच गई थीं, जिसे लंदन मेट्रोपॉलिटन पुलिस ने बरामद करके इस साल 15 सितंबर को भारतीय उच्चायोग को लौटाया था.

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अमरावती स्तूप अब भी नहीं आया

अमरावती स्तूप को 14वीं शताब्दी में आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में स्थापित किया गया था. इसके कुछ हिस्सों को 1845 में सर वॉल्टर इलियट ने मद्रास म्यूजियम में रखवा दिया, जहां से साल 1859 में लंदन शिफ्ट कर दिया गया. इसके पीछे तर्क दिया गया कि भारत में कलाकृतियों को खराब कर दिया जाएगा.

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150 साल से ब्रिटिश ताज का हिस्सा है कोहिनूर

माना जाता है कि कोहिनूर हीरा आंध्र प्रदेश के गोलकुंडा के एक खान से निकला था और 150 साल से ज्यादा समय से ब्रिटिश ताज का हिस्सा है. कोहिनूर पर भारत के साथ ही पाकिस्तान, बांग्लादेश और दक्षिण अफ्रीका भी दावा करते हैं.

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लंदन में मौजूद है टीपू का बाघ

लंदन के विक्टोरिया एंड अल्बर्ट म्यूजियम ने एक प्रदर्शनी में भारत की कई चीजों को देखा गया था, जिसमें टीपू का बाघ (Tipu's Tiger) भी शामिल था. टीपू सुल्तान के लिए बनाए गए इस बाघ पर 1799 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने श्रीरंगपटना (Seringapatam) की घेराबंदी के बाद कब्जा किया था.

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भगवान बुद्ध की 500 किलो की प्रतिमा

भगवान बुद्ध की 500 किलोग्राम की प्रतिमा इंग्लैंड के बर्मिंघम म्यूजियम एंड आर्ट गैलरी में (BMAG) में रखी हुई है. बुद्ध की यह मूर्ति कांस्य की बनी हुई है और यह करीब साढ़े सात फीट लंबी है. यह मूर्ति साल 1858 में सुलतानगंज स्टेशन के निर्माण के लिए कराई जा रही खुदाई के दौरान मिली थी.

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ऑस्ट्रेलिया से वापस आई नटराज की मूर्ति

500 साल पुरानी नटराज (भगवान शिव) की मूर्ति को ऑस्ट्रेलिया ने लौटा दिया है. 16वीं शताब्दी में बनी यह मूर्ति 1970 के दशक में तमिलनाडु के नेल्लई स्थित एक मंदिर से चोरी हुई थी.

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