जब ISRO की लैब में हुआ धमाका, Nambi Narayanan ने धक्का देकर बचा ली थी APJ Abdul Kalam की जान

भारत अपने महान राष्ट्रपति और अनुभवी वैज्ञानिक डॉ एपीजे अब्दुल कलाम (Dr. APJ Abdul Kalam) की छठी पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि दे रहा है. `मिसाइल मैन` के रूप में चर्चित डॉ कलाम ने मछुआरे के बेटे से जीवन शुरू करके देश के महान वैज्ञानिक और राष्ट्रपति तक का सफर तय किया.

सिद्धार्थ एमपी Tue, 27 Jul 2021-6:45 pm,
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केरल से शुरू हुआ ISRO का सफर

वर्ष 1967 में ISRO अपने शुरुआती दौर में था और तब उसे INCOSPAR कहा जाता था. उस वक्त ISRO अपनी गतिविधियां केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में थुम्बा फिशिंग हैमलेट से संचालित करता था. वहां काम करने वाले अधिकांश वैज्ञानिक नए ग्रेजुएट थे, जो रॉकेट साइंस पढ़ने के लिए वहां आए थे. उस वक्त ISRO के पास 100 किमी ऊंचाई तक दागे जा सकने वाले रॉकेट होते थे. जिन्हें मित्र देशों ने प्रयोग के लिए इसरो को दिया था. 

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नंबी नारायण कर रहे थे एक एक्सपेरिमेंट

ऐसे ही एक फ्रांसीसी Centaure रॉकेट के प्रक्षेपण की तैयारी के दौरान इसरो के वैज्ञानिक नंबी नारायणन (Nambi Narayanan) बारूद से चलने वाला इग्नाइटर बना रहे थे. योजना के मुताबिक एक बार सही ऊंचाई पर पहुंचने पर इग्नाइटर एक छोटे से विस्फोट को ट्रिगर करता और फिर रॉकेट के रासायनिक पेलोड को वायुमंडल में छोड़ देता. 

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कलाम और नारायण ने किया प्रयोग का फैसला

इस रॉकेट के प्रक्षेपण से एक दिन पहले नारायणन (Nambi Narayanan) को एक वैज्ञानिक सिद्धांत का पता चला कि उनका बारूद 100 किमी की ऊंचाई पर नहीं चलेगा. जब नारायणन ने कलाम (Dr. APJ Abdul Kalam) को इसकी जानकारी दी तो उन्होंने शुरू में इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया. बाद में दोनों ने फैसला किया कि वे परीक्षण करके इस सिद्धांत को चेक करेंगे. 

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कलाम ने बारूद से भरे जार पर नाक थपथपाई

दोनों ने एक कोंटरापशन स्थापित किया. वहां पर बारूद का एक सीलबंद जार एक वैक्यूम पंप (ऊपरी वातावरण जैसे पतली हवा और कम दबाव बनाने के लिए) से जुड़ा था. इसे जलाने के लिए कई बार प्रयास किए गए लेकिन वह नहीं जला. जब गन-पाउडर में कोई एक्शन नहीं हुआ तो एपीजे अब्दुल कलाम ने बारूद से भरे जार पर अपनी नाक थपथपाई. उस वक्त रॉकेट छोड़ने के लिए उलटी गिनती शुरू हो चुकी थी और सहायक बारूद जलाने के लिए तैयार था. 

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नारायणन ने धक्का देकर कलाम की बचाई जान

उसी दौरान नंबी नारायण (Nambi Narayanan) को अहसास हुआ कि वैक्यूम पंप जार से ठीक से जुड़ा नहीं है. इसका मतलब था कि बारूद इस बार भी हमेशा की तरह फट जाएगा. एक सेकंड के भीतर, नंबी नारायणन ने छलांग लगाकर कलाम (Dr. APJ Abdul Kalam) को नीचे धकेल दिया. उसी दौरान तेज विस्फोट हुआ, जिससे निकले कांच के टुकड़े चारों ओर उड़ गए. इस घटना में कलाम की जान जाते-जाते बची. हालांकि धुंआ शांत होने के बाद कलाम उठ बैठे और नंबी से कहा, 'देखो, आग लग गई'. इस तरह युवा जोड़ी ने साबित कर दिया कि बारूद सामान्य दबाव में फायर करेगा.

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