Tulja Bhavani Mata: यहां दिन में तीन बार रूप बदलती है माता की प्रतिमा, जिनकी कृपा से शिवाजी ने रौंद डाली थी मुगलों की फौज
Navratri 2023 Tulja Bhavani Mata: चैत्र नवरात्र की शुरुआत होते ही हिंदू नववर्ष (Hindu Nav Varsh) प्रारंभ हो गया है. सनातन परंपरा में नए साल की शुरुआत माता आदि शक्ति की आराधना से होती है. इस शुभ अवसर पर कथा उस शक्तिशाली देवी मां तुलजा भवानी की जिनकी कृपा से मराठा वीर शिवाजी ने मुगलों की फौज को रौंदते हुए उनके दांत खट्टे कर दिये थे. ये पौराणिक तुलजा भवानी माता के मंदिर (Tulja Bhavani Mata Mandir) महाराष्ट्र में है जहां मां की प्रतिमा दिन में तीन रूप बदलती है.
तुलजा भवानी माता (Tulja Bhavani Mata) के मंदिर के बारे में कुछ ऐसी पौराणिक कथाएं (Tulja bhavani mata mandir history) भी जुड़ी हैं, जिससे यहां का जुड़ाव त्रेता युग और द्वापर युग से होता है.
इस मंदिर में विराजित मां तुलजा भवानी मराठा शासक शिवाजी की कुलदेवी भी है. इतिहासकारों के मुताबिक मराठा शिरोमणि वीर छत्रपति शिवाजी महाराज स्वयं इस मंदिर में माता की आराधना करने आते थे. वहीं उनका वंश आज भी इस मंदिर में आस्था रखता है और दर्शनों के लिए आता है.
किंवदंती है कि मराठा वीर शिवाजी (Veer Shvaji) को मां भवानी (Maa Tulja Bhawani) ने शमशीर प्रदान की थी. उसी शमशीर के तेज से उन्होंने मुगलों के दांत खट्टे किए थे.
चैत्र और शारदीय की नवरात्र के अवसर पर लगातार 9 दिनों तक यहां आस पास के लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. यहां श्रद्धालुओं की अनन्य आस्था जुड़ी हुई है. मंदिर में विराजित शक्ति स्वरूपा से सच्चे मन से जो मांगो वह आशीर्वाद मिलता है. कहा जाता है कि इस मंदिर में चमत्कार होते हैं. माता की मूर्ति दिन में तीन बार कैसे रूप बदलती है ये रहस्य भी कोई अभी तक नहीं सुलझा पाया है.
मंदिर के गर्भगृह में स्थापित भवानी माता साक्षात सिद्धीदात्री के रूप में विराजित हैं.
माता तुलजा भवानी का यह मंदिर सबसे प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर माना जाता है.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीराम ने इसी खांडव वन में अपने वनवास के दौरान समय बिताया था और इसी शक्तिस्थल पर लगातार 9 दिनों तक पूजा अर्चना कर लंका के लिए कूच किया था. माता से दिव्य अस्त्र शस्त्र प्राप्त किए थे. जबकि कुछ लोगों का यह भी मानना है कि माता भवानी ने खरदूषण के आतंक को खत्म करने के लिए भगवान श्रीराम को कुछ विशेष और दिव्य अस्त्र शस्त्र वरदान में दिए थे.
मंदिर के गर्भगृह में स्थापित भवानी माता साक्षात सिद्धीदात्री के रूप में विराजित हैं. ऐसी मान्यता है कि भवानी माता की यह प्रतिमा भी दिन में तीन बार अलग अलग रूप बदलती है, जिसमें सुबह के समय बाल्यावस्था, दोपहर के समय युवावस्था और शाम के समय वृद्धावस्था स्वरूप का दर्शन होता है.