Gujarat : कौन हैं शारदा द्वारका के शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती महाराज, जिनसे PM मोदी ने लिया आशीर्वाद
Swami Sadanand Saraswati ji Maharaj : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के दौरे पर हैं. आज यानी (25 फरवरी) को PM के दौरे का दूसरा दिन है. आज वह द्वारकाधीश मंदिर पहुंचे, जहां उन्होंने पूजा-अर्चना की और शारदा द्वारकापीठ के शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती महाराज से आशीर्वाद लिया. बताया जा रहा है, इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के बेयट द्वारका मंदिर पहुंचे थे, जहां पर प्रधानमंत्री ने पूजा-अर्चना और दर्शन किए. पीएम मोदी और सदानंद सरस्वती महाराज की मुलाकात की तस्वीरें भी वायरल हो रही हैं, जिसमें पीएम मोदी उन्हें नमन करते नजर आ रहे हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के दौरे पर हैं. रविवार को वह द्वारकाधीश मंदिर पहुंचे, जहां उन्होंने पूजा-अर्चना की और शारदा द्वारकापीठ के शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती महाराज से आशीर्वाद लिया. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के बेयट द्वारका मंदिर पहुंचे थे, जहां पर प्रधानमंत्री ने पूजा-अर्चना और दर्शन किए. पीएम मोदी और सदानंद सरस्वती महाराज की मुलाकात की तस्वीरें भी वायरल हो रही हैं, जिसमें पीएम मोदी उन्हें नमन करते नजर आ रहे हैं. आइए आपको बताते हैं सदानंद सरस्वती महाराज की कुछ खास बातें.
द्वारका शारदापीठ के नए शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती महाराज का जन्म गोटेगांव के पास बरगी गांव में 1958 में हुआ था. उनका बचपन का नाम रमेश अवस्थी था. वे परिवार में सबसे छोटे थे.
इनके पिता पं. विद्याधर अवस्थी प्रसिद्ध वैद्य और किसान थे, माता मानकुंवरबाई गृहिणी थीं. 12 साल की उम्र में जब वे आठवीं कक्षा में पढ़ रहे थे, तो एक दिन उनके साथ पढ़ने वाले छात्र से उनका मामूली झगड़ा हो गया. घर पर माता-पिता की डांट न पड़े, इस डर से रमेश अवस्थी साइकिल से सीधे परमहंसी गंगा आश्रम पहुंच गए. यहां वह स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज की शरण में आ गए और फिर उन्होंने आठवीं कक्षा से स्कूली पढ़ाई छोड़ दी. और वह शंकराचार्य बन गए.
1970 में रमेश अवस्थी झोतेश्वर पहुंचे. जहां उन्होंने संस्कृत अध्ययन शुरू किया. वर्ष 1975 से 1982 तक त्रिपुर सुंदरी मंदिर का निर्माण होने तक वह यहां रहे. धार्मिक शिक्षा के लिए स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने उन्हें बनारस भेजा. जहां उन्होंने करीब 8 साल तक वेद, पुराण और अन्य धर्मग्रंथों का अध्ययन किया. वर्ष 1990 में गुरु के आदेश पर वह द्वारका पहुंच गए.
वर्ष 1995 में रमेश अवस्थी को शंकराचार्य का प्रतिनिधि नियुक्त किया गया. स्वरूपानंद सरस्वती महाराज ने वर्ष 2003 में रमेश अवस्थी को दंड दीक्षा के लिए बनारस भेजा. दंड दीक्षा के साथ उनका नामकरण सदानंद सरस्वती हो गया और वे दंडी स्वामी कहलाए गए. शंकराचार्य सदानंद सरस्वती, हिंदी, संस्कृत, गुजराती और अंग्रेजी भाषा में अब तक करीब एक दर्जन किताब लिख चुके हैं.
बता दें, दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गहरे समुद्र में पानी के अंदर डुबकी भी लगाई. उन्होंने उस स्थान पर प्रार्थना की जहां जलमग्न द्वारका शहर है. पीएम मोदी ने इस दौरान शहर की भव्यता और समृद्धि को याद करते हुए अपनी श्रदांजलि अर्पित की. साथ ही उनकी कमर पर मोर के पंख भी बंधे थे.