राजपथ का पहले भी बदला है नाम, पुराना है इस सड़क का इतिहास; इसलिए हुआ था निर्माण

Kartavya Path Delhi: दिल्ली का राजपथ अब कर्तव्य पथ बन चुका है. इसे आज NDMC की मंजूरी भी मिल गई. गुरुवार को PM मोदी इस कर्तव्य पथ का उद्घाटन भी करेंगे. साथ ही वह इंडिया गेट पर बन रही नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति का अनावरण भी करेंगे. ऐसे में आइए आपको बताते हैं इस कर्तव्य पथ का पूरा इतिहास...

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पहले किंग्सवे था सड़क का नाम

साल 1911 में तब दिल्ली दरबार में शामिल होने के लिए किंग जॉर्ज पंचम भारत आए थे. उसी समय कोलकाता की जगह दिल्ली को भारत (ब्रिटिश शासन) की राजधानी बनाने की घोषणा हुई थी. इसलिए अंग्रेजों ने किंग जॉर्ज पंचम के सम्मान में इस जगह का नाम किंग्सवे रखा था. किंग्सवे नाम सेंट स्टीफेंस कॉलेज के इतिहास के प्रोफेसर पर्सिवल स्पियर ने दिया था. किंग्सवे का मतलब 'राजा का रास्ता' होता है.

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फिर नाम बदलकर राजपथ हो गया

किंग्सवे के रूप में यह सड़क ब्रिटिश हुकूमत की शाही पहचान का प्रतीक थी. स्वतंत्रता के बाद 1955 में इसका नाम बदलकर राजपथ किया गया. जो एक तरह से किंग्सवे का ही हिन्दी अनुवाद था. आजादी के बाद प्रिंस एडवर्ड रोड को विजय चौक, क्वीन विक्टोरिया रोड को डॉ. राजेंद्र प्रसाद रोड, 'किंग जॉर्ज एवेन्यू' रोड का नाम बदलकर राजाजी मार्ग किया गया था. इन महत्वपूर्ण सड़कों के नाम अंग्रेजी ब्रिटिश सम्राटों के नाम पर थे.

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इस उद्देश्य से बदला गया नाम?

लेकिन अब एक बार फिर इतिहास में बदलाव किए गए हैं. इस बार प्रधानमंत्री मोदी ने 2022 के अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में औपनिवेशिक सोच दर्शाने वाले प्रतीकों को समाप्त करने पर जोर दिया था. हालांकि, बीते आठ साल में कई नाम बदले जा चुके हैं. फिर वह शहरों के नाम बदलना हो या सड़कों और संस्थानों का नाम. साल 2015 में रेसकोर्स रोड का नाम बदलकर लोक कल्याण मार्ग किया गया, जहां प्रधानमंत्री आवास है. साल 2015 में औरंगजेब रोड का नाम बदलकर एपीजे अब्दुल कलाम रोड किया गया. साल 2017 में डलहौजी रोड का नाम दाराशिकोह रोड कर दिया गया.

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इन्होंने किया था सड़क का निर्माण?

आपको बता दें कि इस सड़क को इडविन लुटियंस और हरबर्ट बेकर ने बनाया था. ये दोनों ब्रिटिशकाल में भारत के मशहूर आर्किटेक्ट माने जाते थे. इन दोनों ने दिल्ली की इमारतों और सड़कों को बनाने का काम सरदार नारायण सिंह को दिया था. सरदार नारायण सिंह ने ही इसका ठेका लिया था. उस दौर में नारायण सिंह ने बहुत ही मजबूत और किफायती सड़क बनाईं. तब सड़कों के नीचे भारी पत्थर डाल दिए जाते थे, फिर रोड़ी और तारकोल से सड़कें बनती थीं. करीब बीस साल तक दिल्ली में सड़कों को बनाने का काम जारी रहा. आज भी दुनियाभर के शहरी इलाकों में बिटुमिनस (तारकोल) तकनीक से सड़कें बन रही हैं. इस तकनीक के इस्तेमाल से सड़कें सस्ती और टिकाऊ बन जाती हैं और ध्वनि प्रदूषण भी नहीं फैलातीं.

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कहां है कर्तव्य पथ?

गौरतलब है कि कर्तव्य पथ का दायरा रायसीना हिल्स पर बने राष्ट्रपति भवन से शुरू होता है और विजय चौक, इंडिया गेट, फिर नई दिल्ली की सड़कों से होते हुए लाल किले पर खत्म होता है. इन्हीं सड़कों पर हर 26 जनवरी पर गणतंत्र दिवस की परेड होती है. करीब साढ़े तीन किलोमीटर की दूरी के इस रास्ते के इतिहास में जाएं तो पहले इसे किंग्सवे और फिर राजपथ के नाम से जाना जाने लगा था.

 

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