Lalita Devi Temple: प्रयागराज में एक स्थान ऐसा है जहां पर माता सती के हाथ की उंगलियां गिरी थीं. जिसके बाद यह स्थल शक्तिपीठ से तौर पर जाना जाने लगा.
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Lalita Devi Temple Shaktipeeth: प्रयागराज शहर के दक्षिण में यमुना नदी के पास स्थित मीरापुर मोहल्ले में देवी सती का एक प्राचीन मंदिर है, जिसे शक्ति पीठ के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व बेहद खास है. पौराणिक मान्यता है कि यहां सती के हाथ ही उंगलियां गिरी थीं. कहा जाता है कि संगम में स्नान के बाद इस शक्तिपीठ में दर्शन और पूजन से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
महाशक्ति के विविध स्वरूप
ललिता देवी के इस मंदिर में भगवती दुर्गा, महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती के स्वरूपों की पूजा की जाती है. प्रयागराज में ललिता देवी के साथ-साथ कल्याणी देवी और अलोपी देवी धाम को भी शक्तिपीठ माना गया है.
श्रीयंत्र पर आधारित है ललिता देवी मंदिर
ललिता देवी मंदिर का निर्माण श्रीयंत्र पर आधारित है, जो इसे वास्तु और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र बनाता है. मंदिर में प्रवेश करते ही एक प्रकार की सकारात्मक ऊर्जा महसूस होती है. इस शक्तिपीठ के मुख्य गर्भगृह में मां ललिता की प्रतिमा विराजमान है. दाईं ओर संकटमोचन हनुमान, श्रीराम, लक्ष्मण और माता सीता की मूर्तियां हैं. जबकि. बाईं ओर नवग्रह और राधा-कृष्ण की सुंदर मूर्तियां हैं.
मां ललिता के चरण धोती हैं गंगा
मान्यता है कि मां गंगा, यमुना और सरस्वती (अदृश्य) मां ललिता के चरणों का स्पर्श करते हुए बहती हैं. यही कारण है कि संगम स्नान के बाद इस शक्तिपीठ के दर्शन का विशेष विशेष पुण्य प्राप्त होगा. महाकुंभ मेले के दौरान यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है.
51 शक्तिपीठों में खास है यह शक्तिपीठ
ललिता देवी का यह शक्तिपीठ देवी सती के 51 शक्तिपीठों में से एक है. हिंदू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, जहां-जहां सती के अंग, वस्त्र या आभूषण गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठों की स्थापना हुई. देवी पुराण में इन 51 शक्तिपीठों का वर्णन किया गया है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)