Global Cooperative Conference 2024: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को ‘आईसीए वैश्विक सहकारिता सम्मेलन 2024’ में वैश्विक स्तर पर सहकारी समितियों को समर्थन देने के लिए एक नया सहयोगी वित्तीय मॉडल बनाने की अपील की. उन्होंने कहा कि सहकारिता का यह मॉडल विशेष रूप से विकासशील देशों में आर्थिक वृद्धि को गति देगा.


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सहकारिता की ताकत को नई पहचान


मोदी ने सम्मेलन में सहकारी आंदोलन की सफलता को रेखांकित करते हुए कहा कि भारत का मानना है कि सहकारी समितियां न केवल संसाधनों के उचित उपयोग में मददगार हैं बल्कि वैश्विक सहयोग में भी नई ऊर्जा भर सकती हैं. उन्होंने सहकारी-केंद्रित स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने पर जोर दिया.


कोविड-19 के दौरान सहकारिता की मिसाल


प्रधानमंत्री ने कोविड-19 महामारी के दौरान भारत के योगदान का जिक्र करते हुए कहा कि जब कई देशों ने आर्थिक फायदे के बजाय जरूरतमंद देशों को टीके और दवाएं भेजीं, तब भारत ने सहकारी सिद्धांतों का पालन करते हुए मानवता को प्राथमिकता दी.


सहकारिता: भारत की संस्कृति और जीवनशैली


मोदी ने कहा कि दुनिया के लिए सहकारिता एक मॉडल हो सकती है, लेकिन भारत के लिए यह एक जीवनशैली है. उन्होंने बताया कि भारत के सहकारी क्षेत्र में आठ लाख संगठन शामिल हैं, जो वैश्विक सहकारी समितियों के एक चौथाई का प्रतिनिधित्व करते हैं.


सहकारी क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी


प्रधानमंत्री ने सहकारी समितियों में महिलाओं की भागीदारी को सराहते हुए बताया कि इनमें लगभग 60% सदस्य महिलाएं हैं. उन्होंने सहकारिता आंदोलन को आगे बढ़ाने में महिलाओं की भूमिका को भी अहम बताया.


सहकारिता को मजबूत बनाने के लिए कदम


सरकार ने सहकारी समितियों को मजबूत करने के लिए अलग मंत्रालय बनाया है और उन्हें तकनीकी रूप से सक्षम बनाया है. प्रधानमंत्री ने बताया कि दो लाख गांवों में बहुउद्देश्यीय सहकारी समितियां स्थापित की जा रही हैं और अब तक 9,000 किसान उत्पादक संगठन बनाए जा चुके हैं.


वैश्विक सहकारिता सम्मेलन: भारत में पहली बार


130 साल के इतिहास में पहली बार ‘आईसीए वैश्विक सहकारी सम्मेलन’ भारत में आयोजित किया जा रहा है. यह आयोजन 25 से 30 नवंबर तक चलेगा. इसमें 100 से अधिक देशों के करीब 3,000 प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं.


सहकारिता के माध्यम से विकास का मार्ग


प्रधानमंत्री ने कहा कि सहकारी बैंकिंग प्रणाली में सुधार के जरिए इसे भारतीय रिजर्व बैंक के दायरे में लाया गया है. सहकारी बैंकों में 12 लाख करोड़ रुपये की जमा राशि और दो लाख आवासीय सहकारी समितियों के माध्यम से यह क्षेत्र तेजी से विस्तार कर रहा है.


(एजेंसी इनपुट के साथ)