शिमला: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) आज सामरिक रूप से महत्वपूर्ण सभी मौसम में खुली रहने वाली अटल सुरंग (Atal Tunnel) का हिमाचल प्रदेश के रोहतांग में उद्घाटन करेंगे. इस सुरंग के कारण मनाली और लेह के बीच की दूरी 46 किलोमीटर कम हो जाएगी और यात्रा का समय भी चार से पांच घंटे कम हो जाएगा.


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सोलांग घाटी में कार्यक्रम में भाग लेंगे पीएम
अधिकारियों के मुताबिक लाहौल स्पीति के सीसू में उद्घाटन समारोह के बाद मोदी सोलांग घाटी में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे. प्रधानमंत्री के साथ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी मौजूद होंगे. अटल सुरंग दुनिया में सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग है. 9.02 किलोमीटर लंबी सुरंग मनाली को वर्ष भर लाहौल स्पीति घाटी से जोड़े रखेगी. पहले घाटी करीब छह महीने तक भारी बर्फबारी के कारण शेष हिस्से से कटी रहती थी.


अटल सुरंग को सड़क के जरिए पार करेंगे
अधिकारियों के अनुसार, प्रधानमंत्री तीन अक्टूबर को कुल्लू जिले में हिम एवं हिमस्खलन अध्ययन प्रतिष्ठान (एसएएसई) पहुंचेंगे. पीएम मोदी अटल सुरंग के जरिए लाहौल-स्पीति जिले की लाहौल घाटी में उसके उत्तरी पोर्टल तक पहुंचेंगे और मनाली में दक्षिणी पोर्टल के लिए हिमाचल सड़क परिवहन निगम (एचआरटीसी) की एक बस को हरी झंडी देंगे.


समुद्र तल से 3000 मीटर की ऊंचाई पर बनाई गई सुरंग
हिमालय के पीर पंजाल पर्वत श्रृंखला के बीच अत्याधुनिक विशिष्टताओं के साथ समुद्र तल से करीब तीन हजार मीटर की ऊंचाई पर सुरंग को बनाया गया है. अटल सुरंग का दक्षिणी पोर्टल मनाली से 25 किलोमीटर की दूरी पर 3,060 मीटर की ऊंचाई पर बना है, जबकि उत्तरी पोर्टल 3,071 मीटर की ऊंचाई पर लाहौल घाटी में तेलिंग, सीसू गांव के नजदीक स्थित है.


ये हैं अटल सुरंग की खासियत
अधिकारियों के अनुसार सुरंग के अंदर घोड़े की नाल के आकार वाली दो लेन वाली सड़क हैं. जिनकी चौड़ाई आठ मीटर और ऊंचाई 5.525 मीटर है. उन्होंने बताया कि 3,300 करोड़ रुपए की कीमत से बनी सुरंग देश की रक्षा के नजरिए से बहुत महत्वपूर्ण है. अटल सुरंग का डिजाइन प्रतिदिन तीन हजार कारों और 1500 ट्रकों के लिए तैयार किया गया है जिसमें वाहनों की अधिकतम गति 80 किलोमीटर प्रति घंटे होगी.


लेह-लद्दाख को मिलेगी साल भर कनेक्टिविटी
सामरिक रूप से महत्वपूर्ण लेह-लद्दाख-कारगिल जाने के लिए फिलहाल भारतीय सेना के पास दो ही सड़कें थी. इनमें से एक कश्मीर-कारगिल-लेह सड़क थी. जो जोजिला पास होते हुए लद्दाख जाती है. दूसरी सड़क मनाली-लेह राजमार्ग है, जो रोहतांग पास होते हुए गुजरती है. लेकिन हर साल सर्दियों में जोजिला पास और रोहतांग पास भारी बर्फबारी से बंद हो जाते हैं. जिससे लेह-लद्दाख साल के 6 महीने देश के बाकी हिस्सों से कटा रहता है. इससे बचने के लिए सेना को भी 6 महीने की रसद अडवांस में लद्दाख में जमा करनी पड़ती थी. लेकिन अब अटल टनल बनने के बाद बिना रोहतांग पास जाए वाहन मनाली से सीधे लेह की ओर रवाना हो सकेंगे. साल के 12 महीने चलने वाली इस सुरंग के चालू होने के बाद सेना को भी रसद इकट्ठी करने की जरूरत नहीं रहेगी और लेह-लद्दाख में सेना की चौकसी भी और मजबूत हो सकेगी. 


इस कारण सुरंग को दिया गया 'अटल' का नाम
अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने रोहतांग दर्रे के नीचे सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इस सुरंग का निर्माण कराने का निर्णय किया था और सुरंग के दक्षिणी पोर्टल पर संपर्क मार्ग की आधारशिला 26 मई 2002 को रखी गई थी. मोदी सरकार ने दिसम्बर 2019 में पूर्व प्रधानमंत्री के सम्मान में सुरंग का नाम अटल सुरंग रखने का निर्णय किया था.