दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि पर PM Modi बोले- हमारी सरकार गांधी के आदर्शों पर चल रही
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी (BJP) के विचारक दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि पर कहा कि हमारे लिए राजनीति में भी राष्ट्रनीति सर्वोपरि है.
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी (BJP) के विचारक दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि पर पार्टी सांसदों को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचार आज भी प्रासंगिक हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सामाजिक जीवन में एक नेता को कैसा होना चाहिए, भारत के लोकतन्त्र और मूल्यों को कैसे जीना चाहिए, दीनदयाल जी इसके भी बहुत बड़ा उदाहरण हैं. इसके साथ ही पीएम मोदी ने देशवासियों से कहा कि आप एक लिस्ट बनाइए कि सुबह उठने से लेकर सोने तक कितनी स्वदेशी और कितनी विदेशी चीजों का इस्तेमाल करते हैं.
'दीनदयाल उपाध्याय के समर्पण से भलीभांति परिचित'
पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने कहा, 'आज हम सभी दीनदयाल उपाध्याय जी की पुण्यतिथि पर अनेक चरणों में अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए एकत्र हुए हैं. पहले भी अनेकों अवसर पर हमें दीनदयाल जी से जुड़े कार्यक्रमों में शामिल होने का, विचार रखने का और अपने वरिष्ठजनों के विचार सुनने का अवसर मिलता रहा है.' उन्होंने आगे कहा, 'आप सबने दीनदयाल जी को पढ़ा भी है और उन्हीं के आदर्शों से अपने जीवन को गढ़ा भी है. इसलिए आप सब उनके विचारों से और उनके समर्पण से भलीभांति परिचित हैं.'
'दीनदयाल उपाध्याय एक नेता के लिए बहुत बड़ा उदाहरण'
पीएम मोदी ने कहा, 'मेरा अनुभव है और आपने भी महसूस किया होगा कि हम जैसे-जैसे दीनदयाल जी के बारे में सोचते हैं, बोलते हैं, सुनते हैं, उनके विचारों में हमें हर बार एक नवीनता का अनुभव होता है. एकात्म मानव दर्शन का उनका विचार मानव मात्र के लिए था. इसलिए, जहां भी मानवता की सेवा का प्रश्न होगा, मानवता के कल्याण की बात होगी, दीनदयाल जी का एकात्म मानव दर्शन प्रासंगिक रहेगा. सामाजिक जीवन में एक नेता को कैसा होना चाहिए, भारत के लोकतन्त्र और मूल्यों को कैसे जीना चाहिए, दीनदयाल जी इसके भी बहुत बड़ा उदाहरण हैं.'
कितनी स्वदेशी चीज इस्तेमाल करते हैं, लिस्ट बनाएं: पीएम
अपने संबोधन के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने बीजेपी कार्यकर्ताओं और देशवासियों से अपील करते हुए कहा, 'आप अपने परिवार के साथ बैठें और लिस्ट बनाएं कि आप दिनभर में कितनी स्वदेशी और विदेशी चीजों का इस्तेमाल करते हैं.' इसके साथ ही पीएम मोदी ने बीजेपी सांसदों से कहा, 'आप खुद भी स्वदेशी अपनाएं और लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करें.'
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'हर पार्टी के नेता के साथ सहज थे दीनदयाल उपाध्याय'
पीएम ने कहा, 'एक ओर पंडित दीनदयाल उपाध्याय भारतीय राजनीति में एक नए विचार को लेकर आगे बढ़ रहे थे, वहीं दूसरी ओर, वो हर एक पार्टी, हर एक विचारधारा के नेताओं के साथ भी उतने ही सहज रहते थे. हर किसी से उनके आत्मीय संबंध थे.'
'सबल राष्ट्र ही विश्व को दे सकता है योगदान'
नरेंद्र मोदी ने कहा, 'हमारे शास्त्रों में कहा गया है- 'स्वदेशो भुवनम् त्रयम्' अर्थात, अपना देश ही हमारे लिए सब कुछ है, तीनों लोकों के बराबर है. जब हमारा देश समर्थ होगा, तभी तो हम दुनिया की सेवा कर पाएंगे. एकात्म मानव दर्शन को सार्थक कर पाएंगे.' उन्होंने आगे कहा, 'दीनदयाल उपाध्याय जी भी यही कहते थे. उन्होंने लिखा था- 'एक सबल राष्ट्र ही विश्व को योगदान दे सकता है.' यही संकल्प आज आत्मनिर्भर भारत की मूल अवधारणा है. इसी आदर्श को लेकर ही देश आत्मनिर्भरता के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है.'
'भारत ने पूरे देश को वैक्सीन पहुंचा रहा'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, 'कोरोनाकाल में देश ने अंत्योदय की भावना को सामने रखा और अंतिम पायदान पर खड़े हर गरीब की चिंता की. आत्मनिर्भरता की शक्ति से देश ने एकात्म मानव दर्शन को भी सिद्ध किया, पूरी दुनिया को दवाएं पहुंचाईं और आज वैक्सीन पहुंचा रहा है.'
'हथियारों के लिए भी भारत बना आत्मनिर्भर'
पीएम मोदी ने कहा, '1965 में भारत-पाक युद्ध के दौरान भारत को हथियारों के लिए विदेशी देशों पर निर्भर रहना पड़ा. दीनदयाल जी ने उस समय कहा था कि हमें एक ऐसे भारत का निर्माण करने की आवश्यकता है, जो न केवल कृषि में आत्मनिर्भर हो, बल्कि रक्षा और हथियार में भी हो. आज, भारत रक्षा क्षेत्र में मेड इन इंडिया हथियारों और लड़ाकू जेट जैसे तेजस में देखा जा रहा है.'
'वोकल फॉर लोकल कर रहा देश के विजन को साकार'
पीएम मोदी ने कहा, 'लोकल इकॉनमी पर विजन इस बात का प्रमाण है कि उस दौर में भी उनकी सोच कितनी प्रैक्टिकल और व्यापक थी. आज ‘वोकल फॉर लोकल’ के मंत्र से देश इसी विजन को साकार कर रहा है. आज आत्मनिर्भर भारत अभियान देश के गांव-गरीब, किसान, मजदूर और मध्यम वर्ग के भविष्य निर्माण का माध्यम बन रहा है.'
'हमारी सरकार गांधी के आदर्शों पर चल रही'
हमारी पार्टी, हमारी सरकार आज महात्मा गांधी के उन सिद्धांतों पर चल रही है जो हमें प्रेम और करुणा के पाठ पढ़ाते हैं. हमने बापू की 150वीं जन्मजयंती भी मनाई और उनके आदर्शों को अपनी राजनीति में, अपने जीवन में भी उतारा है.' उन्होंने आगे कहा, 'सरदार पटेल की दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा बनवाकर हमने उन्हें श्रद्धापूर्वक नमन किया.'
'भाजपा की सरकारों ने 3 नए राज्य बनाए'
पीएम मोदी ने कहा, 'राज्यों का विभाजन जैसा काम राजनीति में कितने रिस्क का काम समझा जाता था. इसके उदाहरण भी हैं अगर कोई नया राज्य बना तो देश में कैसे हालत बन जाते थे, लेकिन जब भाजपा की सरकारों ने 3 नए राज्य बनाए तो हर कोई हमारे तौर तरीकों में दीनदयाल जी के संस्कारों का प्रभाव स्पष्ट देख सकता है. उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड का निर्माण हुआ, बिहार से झारखंड बनाया गया और छत्तीसगढ़ को मध्य प्रदेश से अलग आकार दिया गया. लेकिन उस समय हर राज्य में उत्सव का माहौल था.'
पीएम मोदी ने विपक्षी दलों को दिया संदेश
पीएम मोदी ने विपक्षी दलों से कहा, 'हमारे राजनीतिक दल हो सकते हैं, हमारे विचार अलग हो सकते हैं, हम चुनाव में पूरी शक्ति से एक दूसरे के खिलाफ लड़ते हैं पर इसका मतलब ये नहीं कि हम अपने राजनीतिक विरोधी का सम्मान ना करें. प्रणव मुखर्जी, तरुण गोगोई, एस.सी.जमीर इनमें से कोई भी राजनेता हमारी पार्टी या फिर गठबंधन का हिस्सा कभी नहीं रहे, लेकिन राष्ट्र के प्रति उनके योगदान का सम्मान करना हमारा कर्तव्य है. राजनीतिक अस्पृश्यता का विचार हमारा संस्कार नहीं है. आज देश भी इस विचार को अस्वीकार कर चुका है. हमारी पार्टी में वंशवाद को नहीं कार्यकर्ता को महत्व दिया जाता है.
जनसंघ के अध्यक्ष थे पंडित दीनदयाल उपाध्याय
पंडित दीनदयाल उपाध्याय (Pandit Deendayal Upadhyaya) का जन्म 25 सितंबर 1916 को उत्तर प्रदेश के मथुरा में हुआ था. वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य थे और भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष भी रहे. उन्होंने देश को एकात्म मानववाद जैसी प्रगतिशील विचारधारा दी और कहा कि दुनिया को पूंजीवाद या साम्यवाद नहीं, बल्कि मानववाद की जरूरत है. दीनदयाल उपाध्याय का ये भी कहना था कि हिंदू कोई धर्म या संप्रदाय नहीं, बल्कि भारत की राष्ट्रीय संस्कृति है. वो राजनेता होने के साथ-साथ एक पत्रकार और लेखक भी थे. उन्होंने RSS द्वारा प्रकाशित साप्ताहिक पत्रिका पान्चजन्य (PanchJanya) की नींव रखी थी. इस पत्रिका के पहले संपादक देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) थे.