नई दिल्ली: पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने गुरुवार को ग्रेटर नोएडा के जेवर में Noida International Airport का शिलान्यास किया. इस एयरपोर्ट को वर्ष 2024 तक बनाने का लक्ष्य रखा गया है. 


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वैसे तो ये पूरे देश का सबसे बड़ा एयरपोर्ट होगा. फिर भी कुछ लोग इसका ये कहते हुए विरोध कर रहे हैं कि ये सिर्फ़ एक चुनावी घोषणा है. क्या यह आरोप मात्र हैं या इससे यूपी और देश का विकास भी टेक ऑफ हो सकता है. इसे आंकड़ों से समझा जा सकता है. इस एयरपोर्ट का निर्माण कुल 51 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में होगा. चीन में अभी क्षेत्रफल के हिसाब से जो सबसे बड़ा एयरपोर्ट है, वो 47 वर्ग किलोमीटर में फैला है. ये एयरपोर्ट चीन की राजधानी Beijing में स्थित है. यानी इतना बड़ा एयरपोर्ट चीन के पास भी नहीं है. 


रनवे के मामले में एशिया का सबसे बड़ा एयरपोर्ट


हालांकि सऊदी अरब का King Fahd International Airport 776 वर्ग किलोमीटर में फैला है. ये क्षेत्रफल के मामले में एशिया ही नहीं दुनिया का सबसे बड़ा एयरपोर्ट है. अब आप सोच रहे होंगे कि फिर नोएडा इंटरनैशनल एयरपोर्ट एशिया का सबसे बड़ा हवाई अड्डा कैसे होगा? दरअसल किसी भी एयरपोर्ट को इस लिहाज़ से बड़ा या छोटा माना जाता है कि वहां कितने Runway हैं. नोएडा इंटरनैशनल एयरपोर्ट शुरुआती चरण में दो Runway के साथ ऑपरेट करेगा. बाद में इसका विस्तार करके इसे 6 Runway का एयरपोर्ट बनाया जाएगा. इस लिहाज से ये एशिया का सबसे बड़ा एयरपोर्ट बन जाएगा.


अभी एशिया में सबसे ज़्यादा चार Runway वाला एयरपोर्ट चीन के Shanghai में है. जबकि इसके बाद दूसरे नम्बर पर दिल्ली का इंदिरा गांधी इंटरनैशनल एयरपोर्ट है, जहां कुल 3 Runway हैं. हालांकि जब नोएडा एयरपोर्ट 6 Runway के साथ ऑपरेट करने लगेगा तो ये भारत के साथ एशिया का भी सबसे बड़ा एयरपोर्ट बन जाएगा. एक और कीमती जानकारी ये है कि नोएडा में जो एयरपोर्ट बन रहा है, वो क्षेत्रफल के मामले में दिल्ली के IGI एयरपोर्ट से 30 वर्ग किलोमीटर ज़्यादा बढ़ा होगा. IGI एयरपोर्ट केवल 21 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है.


20 वर्ष पहले रखा गया था प्रस्ताव


अब इस एयरपोर्ट को लेकर विवाद इसलिए हो रहा है क्योंकि इसका शिलान्यास यूपी चुनाव से कुछ महीने पहले हुआ है. यानी विपक्षी दल इसे एक चुनावी घोषणा तक सीमित बता रहे हैं. हालांकि आपको जानकर हैरानी होगी कि इस एयरपोर्ट का पहली बार प्रस्ताव आज से 20 वर्ष पहले वर्ष 2001 में रखा गया था. उस समय उत्तर प्रदेश में बीजेपी और बहुजन समाज पार्टी की गठबन्धन सरकार थी और मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह थे, जो अब भारत सरकार में रक्षा मंत्री हैं.


वर्ष 2002 में जब मायावती फिर से मुख्यमंत्री बनीं तो इस एयरपोर्ट की फाइल तत्कालीन केन्द्र सरकार को भेजी गई. ये सिलसिला दो दशक तक ऐसे ही चलता रहा. जब यूपी में अखिलेश यादव की सरकार थी, तब इस हवाई अड्डे को नोएडा से आगरा शिफ्ट करने पर भी विचार हुआ, ताकि ये हवाई अड्डा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के लिए चुनावी रनवे का काम कर सके. लेकिन कुछ वजहों से उस समय ऐसा हो नहीं पाया. अब एक बार सोचिए, जिस एयरपोर्ट ने शिलान्यास के लिए ही 20 वर्षों तक इंतज़ार किया, उसे चुनाव से जोड़ कर देखना चाहिए?


भारत दुनिया का शायद अकेला ऐसा देश है, जहां विकास कार्यों को राजनीति के चश्मे से देखा जाता है. वहीं नेता काम डिलीवर करने से ज़्यादा भाषण डिलीवर करने पर ज़ोर देते हैं. एक अध्ययन के मुताबिक़ भारत में औसतन हर 4 से 6 महीने में किसी ना किसी तरह के चुनाव होते रहते हैं. जैसे लोक सभा, विधान सभा, पंचायत इलेक्शन और नगर निगम के चुनाव. यानी हमारे देश में चुनाव की मशीन लगातार चलती रहती है. इस हिसाब से किसी भी Development Project को चुनावों से जोड़ा जा सकता है और ऐसा होता भी है.


अखिलेश-माया ने साधा निशाना


नोएडा इंटरनैशनल एयरपोर्ट को चुनावी घोषणा बताने वालों में समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव और बहुजन समाज पार्टी की मायावती सबसे आगे हैं. लेकिन आपको शायद पता नहीं होगा कि जब इन दोनों पार्टियों की उत्तर प्रदेश में सरकार थी, तब विधान सभा चुनाव से पहले हज़ारों योजनाओं का शिलान्यास किया गया था. 


उदाहरण के लिए 2017 के उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव से पहले पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने केवल दो महीनों में 60 हज़ार करोड़ रुपये की योजनाओं का शिलान्यास किया था. हालांकि मुख्यमंत्री रहते हुए वो इनमें से कुछ ही योजनाओं पर काम शुरू करा सके. 20 दिस्बर 2016 को उन्होंने चुनाव से पहले 910 Projects की नींव रखी थी. इनमें से भी कई Projects पर उनके मुख्यमंत्री रहते काम शुरू नहीं हो पाया. तो क्या अखिलेश यादव ये कहेंगे कि उन्होंने भी ये सारे ऐलान चुनाव जीतने के लिए किए थे.


ये बात सही है कि हर सरकार और हर मुख्यमंत्री विधान सभा चुनाव से पहले वोटरों को लुभाने के लिए और उन्हें अपना काम दिखाने के लिए हज़ारों करोड़ों रुपये की योजनाओं का शिलान्यास करते हैं. फिर भी हमें लगता है कि इस सूची में नोएडा इंटरनैशनल एयरपोर्ट को रखना गलत होगा. दरअसल इस हवाई अड्डे का शिलान्यास एक दो महीने में तय नहीं हुआ बल्कि इसके लिए दो दशकों का इंतज़ार करना पड़ा है.


भारत में बढ़ जाएगी एयर कनेक्टिविटी


एक और बात. ये एयरपोर्ट केवल नोएडा या यूपी का एयरपोर्ट नहीं होगा बल्कि ये देश का सबसे बड़ा एयरपोर्ट होने वाला है. इसके बनने से बेंगलूरु के लोगों को भी उतना ही फायदा होगा, जितना दिल्ली या फिर उत्तर प्रदेश के लोगों को होगा. साथ ही भारत में Air Connectivity भी बेहतर हो जाएगी. 


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गुरुवार को जेवर में एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जेवर में एयरपोर्ट का शिलान्यास कर रहे थे तो दूसरी तरफ लखनऊ में अखिलेश यादव एयरपोर्ट के बहाने बीजेपी पर शब्दों के बाण छोड़ रहे थे. लखनऊ में जनवादी सम्मेलन के मंच से अखिलेश यादव ने जेवर एयरपोर्ट के शिलान्यास के बहाने पर मोदी सरकार पर निशाना साधा. अखिलेश ने कहा, ये भाजपा का गणित क्या है,  जो मुनाफा कमा रहे हैं. ये एयरपोर्ट इसलिए बना रहे हैं कि बनते ही बेच देंगे.'


बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने तो जेवर एयरपोर्ट को अपनी सरकार की उपलब्धि बताने की कोशिश की. मायावती ने ट्वीट कर कहा कि पिछली यूपीए सरकार पर एयरपोर्ट की योजना पर अडंगा लगाने का आरोप  लगाया.


वर्ष 2024 में एशिया के सबसे बड़े एयरपोर्ट का पहला चरण पूरा होगा और एयरपोर्ट से पहली उड़ान शुरू होगी . राजनीतिक खींचतान में पश्चिमी यूपी में बनने वाले दुनिया के चौथे सबसे बड़े एयरपोर्ट को धरातल पर उतरने में 20 साल लग गए हैं.


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