नई दिल्ली: चीन से सीमा विवाद के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) अचानक शुक्रवार को लेह (Leh) पहुंचे. यहां उन्होंने अग्रिम पोस्ट पर जवानों से मुलाकात की और मौजूदा हालातों का जायजा लिया. PM मोदी की इस सरप्राइज विजिट ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को कड़ा संदेश दिया है कि भारत किसी भी स्थिति में पीछे नहीं हटेगा.


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रक्षा विशेषज्ञों की नजर में तनाव के बीच प्रधानमंत्री मोदी का लेह पहुंचना रणनीतिक लिहाज से भारत के लिए बेहद अच्छा कदम है. इसके प्रत्यक्ष रूप से तीन फायदे होंगे. सबसे पहला तो यही कि हमारे सैनिकों का मनोबल बढ़ेगा क्योंकि जब कोई भी सेना अपने प्रधानमंत्री को युद्ध क्षेत्र में देखती है तो उसका हौसला कई गुना बढ़ जाता है. दूसरा चीन पर लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर पुरानी स्थिति में वापस लौटने का दबाव पड़ेगा और तीसरा पूरी दुनिया को यह स्पष्ट संदेश जाएगा कि भारत किसी भी सूरत में पीछे हटने वाला नहीं है.


रक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि चीन की दादागिरी खत्म करने की दिशा में पीएम मोदी का यह दौरा काफी महत्वपूर्ण साबित होगा. चीन को निश्चित तौर पर यह संदेश मिल गया है कि हम पीछे नहीं हटेंगे. यदि चीनी सैनिक LAC पर डटे रहेंगे तो हमारे सैनिक भी डटे रहेंगे, हम किसी भी स्थिति में समझौता नहीं करेंगे.


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भारत-चीन मामलों के जानकर प्रसून शर्मा के मुताबिक प्रधानमंत्री के इस दौरे से चीन के साथ-साथ पाकिस्तान को भी कड़ा संदेश मिला है. दोनों जो ये समझ आ गया होगा कि वह भारत के खिलाफ किसी भी तरह की जंग में जीत नहीं सकते. पीएम का अचानक लेह पहुंचना दर्शाता है कि भारत चीन से मुकाबले के लिए पूरी तरह से तैयार है और पूरा देश अपनी सेना के साथ खड़ा है. प्रधानमंत्री के दौरे से फ्रंट लाइन पर तैनात सेना के जवानों को ताकत, मनोबल और यथा शक्ति मिलेगी.


वहीं कुछ विशेषज्ञों का ये भी मानना है कि लेह जाने से प्रधानमंत्री को जमीनी हालात के बारे में जानकारी मिलेगी. साथ ही वो समझ पाएंगे कि वर्तमान हालात कैसे हैं और सैन्य तैयारी की दिशा में और क्या किए जाने की जरूरत है. गौरतलब है कि इससे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सीडीएस बिपिन रावत के साथ लेह जाने वाले थे लेकिन अचानक प्रधानमंत्री मोदी ही पहुंच गए. पीएम के साथ सीडीएस बिपिन रावत और थल सेना अध्यक्ष मनोज मुकुंद नरवणे भी हैं.


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