प.बंगाल के बीरभूम में हनुमान जयंती के जलूस पर पुलिस का लाठीचार्ज, देखें वीडियो
नई दिल्लीः आज देशभर में हनुमान जंयती की धूम है. हिंदू आस्था के प्रतीक इस पर्व को मनाने के लिए कहीं लोग मंदिरों में जुटे है तो कहीं भव्य झांकियों और जलूसों द्वारा भगवान के जन्म का उत्सव मनाया जा रहा है. लेकिन देश का एक राज्य ऐसा भी है जहां हनुमान जयंती के जलूस पर पुलिस ने लाठियां भांजी है. जी हां पुलिस की बर्बरता दिखी है टीएमसी शासित राज्य पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में. यहां आज हिंदू जागरण मंच द्वारा हनुमान जयंती के जलूस निकाल रहे लोगों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया.
हनुमान भक्तों पर पुलिस के इस अत्याचार का वीडियो में आप खुद देख सकते है. देखिए कैसे पुलिस के जवान जलूस निकाल रहे लोगों पर लाठियां भांज रहे है. ये जगह बीरभूम जिले का सिवड़ी इलाका है. पुलिस का कहना है कि प्रशासन ने जलूस निकालने का आदेश नहीं दिया है फिर भी हिंदू जागरण मंच के कार्यकर्ता हनुमान जयंती का जलूस निकाल रहे है. जबकि हिंदू जागरण मंच के कार्यकर्ताओं का कहना है कि हम इस आयोजन की अनुमित को लेकर बार-बार पुलिस के पास गए लेकिन पुलिस ने मना कर दिया.
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आज हुए लाठीचार्ज में हिंदू जागरण मंच के कई कार्यकर्ता घायल हुए है, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया है. प्रशासन इस मामले पर कुछ भी बोलने से इंकार कर रहा है. जिला प्रशासन अभी तक ये भी साफ नहीं कर रहा है कि किन कारणों के चलते उसने हिंदू जागरण मंच को हनुमान जयंती पर जलूस निकालने की इजाजत नहीं दी. हनुमान जयंती का जलूस आयोजित करने वाले हिंदू जागरण मंच के कई कार्यकर्ताओं को पुलिस ने बिना इजाजत जलूस निकालने के आरोप में हिरासत में लिया है.
प.बंगाल में रामनवमी मनाने के लिए भी हाईकोर्ट के दखल पर मिली इजाजत
आपको बता दें कि इससे पहले भी पश्चिम बंगाल में रामनवमी के जलूस को निकालने की इजाजत नहीं दी थी. जिसके बाद कलकत्ता हाईकोर्ट ने जिला प्रशासन को फटकार लगाई थी. हाइकोर्ट ने दक्षिण दमदम नगरपालिका कमेटी को आदेश दिया है कि वह दक्षिण दमदम रामनवमी कमेटी को रामनवमी का आयोजन करने की अनुमति दे. हाइकोर्ट के न्यायाधीश हरीश टंडन की अदालत ने इसके लिए नगरपालिका को फटकार भी लगायी. अदालत ने कहा है कि नगरपालिका का आचरण लापरवाह, अकर्मण्य और दुर्भाग्यपूर्ण है. पूजा कमेटी के आवेदन को विलंबित करने का कोई औचित्य नहीं बनता. नगरपालिका के आचरण का कोई स्पष्टीकरण नहीं है. इस पूजा के खिलाफ यह रुख आखिर क्यों है?