FW: फिंगरप्रिंट पहचान की तकनीक का दिखने लगा असर, 6 महीने में 23 हजार अपराधों में पुलिस ने किया इस तकनीक का प्रयोग
NAFIS के जरिये केन्द्र सरकार राज्यों की पुलिस के साथ मिलकर देश भर के अपराधियों का डेटा तैयार कर रही है. NAFIS सिस्टम में अब तक एक करोड़ से ज्यादा अपराधियों के फिंगर प्रिंट को संग्रहित किया जा चुका है.
National Automated Finger Print Identification System: केंद्रीय गृह मंत्रालय की राष्ट्रीय स्वचालित फिंगरप्रिंट पहचान प्रणाली (NAFIS) जिसकी शुरुआत केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले साल 17 अगस्त से शुरू की थी. उसने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है. देश भर की राज्यों की पुलिस ने अपराधों में शामिल अपराधियों का पता लगाने के लिए इस साल 31 जनवरी तक 23,378 बार NAFIS की मदद ली है.
National Automated Finger Print Identification System यानी NAFIS के जरिये केन्द्र सरकार राज्यों की पुलिस के साथ मिलकर देश भर के अपराधियों का डेटा तैयार कर रही है. NAFIS सिस्टम में अब तक एक करोड़ से ज्यादा अपराधियों के फिंगर प्रिंट को संग्रहित किया जा चुका है. कहीं भी हत्या, लूट या दूसरे गंभीर आरोपों में शामिल आरोपियों का पता लगाने के लिए पुलिस घटनास्थल से फिंगर प्रिंट्स को इकठ्ठा कर NSFIS सिस्टम से मैच कराती है, जिससे कुछ ही सेकेंड घटना में शामिल अपराधियों की पूरी कुंडली सामने आ जाती है और पुलिस के लिए अपराध का निपटारा करने में आसानी हो जाती है. यही वजह है कि इतने कम समय मे 23 हजार से ज्यादा मामलों में पुलिस ने इस सिस्टम की मदद ली है.
साइबर क्राइम और वित्तीय धोखाधड़ी
साइबर क्राइम और धाेखाधड़ी से निपटने के लिए "1930" हेल्पलाइन नंबर की सुविधा जारी की गई है. साइबर क्राइम के शिकार लोगों की मदद के लिए 250 से अधिक बैंकों और वित्तीय संस्थानों को एक प्लेटफॉर्म पर लाया गया है. गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक हेल्पलाइन के जरिये अब तक 1.33 लाख से अधिक लोगो से साइबर अपराधियो की तरफ से गबन किए गए. 235 करोड़ रुपये की वसूली की जा चुकी है.
एक अधिकारी के मुताबिक अभी तक राज्यों को 5 हजार से अधिक फोरेंसिक इन्वेस्टिगेशन में मदद की गई है। साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों से 500 से अधिक एप्प को बैन किया जा चुका है।
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