प्रकाश करात होंगे माकपा पोलित ब्यूरो के अंतरिम संयोजक, केंद्रीय समिति का फैसला
Prakash Karat: माकपा अधिवेशन हर तीन साल में केंद्रीय समिति का चुनाव करने और पार्टी का रुख तय करने के लिए आयोजित किया जाता है. करात की नियुक्ति से पार्टी के रुख में संभावित बदलाव के बारे में अटकलें लगाई जा रही हैं.
Communist Party Of India: मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने अगले साल स्थायी महासचिव चुने जाने तक पार्टी की कमान तीन बार के महासचिव और कट्टरपंथी नेता प्रकाश करात को सौंपने का फैसला किया है. हालांकि, पार्टी की नीतियों में किसी बड़े बदलाव की संभावना कम है. सीताराम येचुरी के निधन के बाद, शुक्रवार और शनिवार को पोलित ब्यूरो की बैठक में करात के नाम पर सहमति बनी, और रविवार को यह प्रस्ताव केंद्रीय समिति के सामने रखा गया. हालांकि, कुछ नेताओं का मानना है कि पार्टी को एक युवा नेतृत्व की तलाश करनी चाहिए.
पार्टी का नेतृत्व करने का अनुभव
असल में जानकारी के मुताबिक कई वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि करात के पास पार्टी का नेतृत्व करने का अनुभव है और अप्रैल 2025 में होने वाले माकपा के अगले अधिवेशन की तैयारी भी करनी है. माकपा अधिवेशन हर तीन साल में केंद्रीय समिति का चुनाव करने और पार्टी का रुख तय करने के लिए आयोजित किया जाता है. करात की नियुक्ति से पार्टी के रुख में संभावित बदलाव के बारे में अटकलें लगाई जा रही हैं, खासकर गठबंधन के मुद्दे पर, लेकिन एक नेता ने कहा कि उन्हें पार्टी के रुख में तत्काल कोई बदलाव की उम्मीद नहीं है.
बताया गया कि माकपा और उसका संगठन सांप्रदायिकता और सरकारी कंपनियों के निजीकरण के खिलाफ जमीनी स्तर पर काम कर रहा है. हम धर्मनिरपेक्ष-लोकतांत्रिक ताकतों को एक साथ लाने के दृष्टिकोण पर काम कर रहे हैं. अगले साल पार्टी अधिवेशन में पार्टी के रुख पर विस्तार से चर्चा की जाएगी. अभी महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होने हैं, जहां ‘इंडिया’ गठबंधन अच्छा प्रदर्शन करेगा, साथ ही झारखंड में भी चुनाव होना है.
एक विद्वान लेखक और कट्टर मार्क्सवादी
माकपा ने हरियाणा और जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनावों में ‘इंडिया’ गठबंधन की पार्टियों के बीच गठबंधन के तहत एक-एक उम्मीदवार मैदान में उतारा है. साथ ही, वह महाराष्ट्र और झारखंड में भी कुछ सीट पर चुनाव लड़ने की उम्मीद कर रही है. करात एक विद्वान लेखक और कट्टर मार्क्सवादी हैं. वे वैचारिक रुख अपनाने पर जोर देने के लिए जाने जाते हैं, जबकि येचुरी को अधिक व्यावहारिक रुख अपनाने के लिए जाना जाता था.
करात ने 2005 में जब हरकिशन सिंह सुरजीत के बाद महासचिव का पद संभाला, तब माकपा के पास लोकसभा में 43 सदस्य थे, जो पार्टी के लिए चुनावी शिखर था. हालांकि, भारत-अमेरिका परमाणु समझौते के मुद्दे पर करात ने इसके खिलाफ रुख अपनाया और पार्टी ने अगले (2009 के) आम चुनावों से एक साल पहले यानी 2008 में संप्रग से समर्थन वापस लेने का फैसला किया. जबकि करात के साथ संप्रग-वाम समन्वय समिति का हिस्सा रहे येचुरी ने इस रुख का विरोध किया था.
हालांकि, 2009 के आम चुनावों में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार सत्ता में बरकार रही, लेकिन लोकसभा में माकपा की सीट की संख्या घटकर 16 रह गयी. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले 2018 में करात ने एक बार फिर कांग्रेस के साथ किसी भी गठबंधन या तालमेल का विरोध किया और माकपा की केंद्रीय समिति ने कांग्रेस के साथ गठजोड़ के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था. हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले, येचुरी के नेतृत्व में माकपा ने ‘इंडिया’ गठबंधन को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
करात ने भी उनके योगदान की हाल में सराहना की थी. अगरतला में एक कार्यक्रम में करात ने उल्लेख किया था कि कैसे येचुरी ने लोकसभा चुनावों में भाजपा का मुकाबला करने के लिए ‘इंडिया’ गठबंधन बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने यह भी कहा कि येचुरी ने 24वें पार्टी अधिवेशन के लिए काम शुरू कर दिया है, जिसका उद्देश्य ‘‘पार्टी के आधार को मजबूत करना और साथ ही भाजपा और आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) को विफल करने के लिए धर्मनिरपेक्ष ताकतों को मजबूत करना है.’’ माकपा अधिवेशन अगले साल अप्रैल में तमिलनाडु के मदुरै में आयोजित किया जाएगा, जहां पार्टी का अगला महासचिव चुना जाएगा. agency input