नई दिल्ली: पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भारतीय राजनीति में शिखर पुरुषों में से एक रहे हैं जिनका सम्मान सभी दलों और विचारधारों से जुड़े लोगों ने किया है. पीएम मोदी प्रणब मुखर्जी को अपना मार्गदर्शक मानते रहे हैं.


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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रणब मुखर्जी को राष्ट्रपति के तौर पर उनके आखिरी दिन एक भावुक पत्र लिखा था. पीएम मोदी ने लिखा था, 'प्रणब दा, आप हमेशा मेरे लिए पिता समान और मार्गदर्शक रहे हैं.'


पीएम मोदी ने अपने पत्र में लिखा कि वह तीन साल पहले एक बाहरी के तौर पर नई दिल्ली आए थे. प्रधानमंत्री ने कहा, 'मेरा काम बड़ा और चुनौतीपूर्ण था. इस दौरान आप मेरे लिए हमेशा पिता के समान और मार्गदर्शक रहे. आपकी बुद्धिमानी, मार्गदर्शन और स्नेह ने मुझे काफी विश्वास और शक्ति दी.' प्रणब मुखर्जी के खुद यह पत्र ट्वीटर पर साझा किया था. 



प्रणब मुखर्जी का जन्म 11 दिसंबर 1935 को बंगाल के वीरभूम जिले में किरनाहर शहर के निकट स्थित मिराती गांव में हुआ था. प्रणब मुखर्जी के पिता कामदा किंकर मुखर्जी एक स्वतंत्रता सेनानी और कांग्रेस पार्टी के सक्रिय सदस्य थे. उनकी माता का नाम राजलक्ष्मी मुखर्जी था. प्रणब मुखर्जी ने कलकत्ता यूनिर्वसिटी से पॉलिटिकल साइंस और इतिहास में एम की डिग्री हासिल की. उन्होंने कलकत्ता यूनिवर्सिटी से ही एलएलबी की डिग्री भी ली थी. 


प्रणब मुखर्जी 1969, 1975, 1981, 1993, 1999 में राज्यसभा सदस्य रहे. 1982 से 1984 से तक वह केंद्र में वित्त मंत्री रहे. हालांकि 1986 में वह कांग्रेस से अलग हुए और उन्होंने राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस का गठन किया. हालांकि तीन साल बाद राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस का विलय कांग्रेस में हो गया. 


प्रणब मुखर्जी पीवी नरसिंहा राव सरकार में मंत्री रहे. यूपीए-1 और यूपीए-2 सरकारो में प्रणब ने कई अहम विभागों को संभाला. 25 जुलाई 2012 से 25 जुलाई 2017 तक भारत के लिए राष्ट्रपति रहे. 


प्रणब मुखर्जी जब राष्ट्रपति थे उस दौरान 2014 में लोकसभा चुनाव में ऐतिहासिक बहुमत हासिल कर नरेंद्र मोदी देश के 14वें प्रधानमंत्री बने. बतौर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के के मोदी सरकार के साथ संबंध मधुर रहे और राष्ट्रीय और केंद्र सरकार के बीच कोई प्रमुख विवाद उभर कर सामने नहीं आया.