जन्म से लेकर निधन तक इन दो अंकों से प्रणब मुखर्जी का रहा खास नाता
प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) हमेशा से ही काफी प्रोफेशनल रहे. तमाम नेता जहां तारीखों और शुभ-अशुभ का ध्यान रखकर ही राजनीति में बड़े फैसले लेते हैं, वहीं हर साल चार दिन तक दुर्गा पूजा के भक्तिरस में तन्मयता से डूबने वाले प्रणब दा इस मामले में थोड़ा अलग थे.
नई दिल्ली: 31 अगस्त सोमवार के दिन पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) का निधन हो गया. ये खासा दिलचस्प है कि सभी को 13 नंबर भारी पड़ता है लेकिन उनको 13 का उलटा यानी 31 नंबर भारी पड़ गया. प्रणब मुखर्जी हमेशा से ही काफी प्रोफेशनल रहे. तमाम नेता जहां तारीखों और शुभ-अशुभ का ध्यान रखकर ही राजनीति में बड़े फैसले लेते हैं, वहीं हर साल चार दिन तक दुर्गा पूजा के भक्तिरस में तन्मयता से डूबने वाले प्रणब दा इस मामले में थोड़ा अलग थे.
दुनियाभर में अशुभ माना जाता है 13 नंबर
जिस 13 के नंबर को पूरी दुनिया अशुभ मानती है. दुनियाभर की बिल्डिंगों में 13 नंबर का फ्लोर या फ्लैट होता ही नहीं है, वहीं प्रणब मुखर्जी जिंदगी भर 13 नंबर के बंगले में रहे. उनका ये भी मानना था कि 13 नंबर बाहर के लिए अशुभ होगा लेकिन हिंदुओं में तो इसे शुभ माना जाता है. हालांकि लोगों को इसकी सही जानकारी नहीं है.
हिंदू धर्म में 13 नंबर को शुभ माना जाता है
गौरतलब है कि जिस तरह से हरिवंश राय बच्चन 13 नंबर को अशुभ ना मानकर शुभ मानते थे, प्रणब मुखर्जी का भी यही मानना था. हरिवंश राय बच्चन ने कई तरह की त्रयोदशी हिंदू धर्म में गिनवाई थी. हिंदू धर्म में धनतेरस तक धूमधाम से मनाई जाती है. कई त्यौहार त्रयोदशी को ही होते हैं.
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13 नंबर और प्रणब मुखर्जी का ट्विटर एकाउंट
ये भी गजब संयोग है कि प्रणब मुखर्जी के ट्विटर अकाउंट की आईडी में भी 13 का अंक है. जब वो देश के राष्ट्रपति बने तो उनका ट्विटर अकाउंट बनाया गया, इसकी आईडी है - @PIO13. आप सोचेंगे कि इसमें क्या कोड है- दरअसल PIO का मतलब है प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया और 13 इसलिए क्योंकि वो 13वें राष्ट्रपति थे.
प्रणब मुखर्जी 76 साल की उम्र में राष्ट्रपति बने, 7 और 6 मिलकर 13 होता है. यूपीए ने 13 जून को प्रणब मुखर्जी के नाम पर सहमति की मोहर लगाई थी. जब पहली बार वो केंद्र में मंत्री बने थे तो उनसे पूछा गया था कि क्या वो 13, तालकटोरा रोड बंगले को लेने के लिए तैयार हैं? क्योंकि और कोई तैयार नहीं था. तब प्रणब दा ने उसे शुभ माना और 13 नंबर के बंगले में रहने के लिए राजी हो गए.
जब प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति बने तो उस चुनाव में उन्हें 7 लाख 13 हजार से कुछ ज्यादा वोट मिले थे. इतना ही नहीं संसद में जो कक्ष उन्हें आवंटित हुआ था, उसका नंबर भी 13 ही था. ऐसे में जब भी कोई 13 नंबर नहीं लेता तो ये मान लिया जाता था कि प्रणब मुखर्जी ले लेंगे क्योंकि 13 नंबर उनके लिए लकी था.
दिलचस्प बात ये है कि ऐसे किसी भी मकान या कक्ष के आवंटन में उनके घरवालों ने भी कभी ऐतराज नहीं जताया था. माना जाता है कि उनका विवाह 13 जुलाई 1957 को हुआ था. शायद इसीलिए उन्होंने 13 नंबर को अशुभ मानना बंद कर दिया था. लेकिन उनको क्या पता था कि 13 का उलटा 31 उनकी जिंदगी में काल बनकर आएगा. ये भी जान लीजिए कि हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन ने 13 अगस्त को ही ऐलान किया था कि वो डीप कोमा में चले गए हैं.
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