Prashant Kishor: 2 अक्टूबर को पार्टी बनाने जा रहे प्रशांत किशोर `3S` की पिच पर खेलेंगे सियासी पारी!
Bihar Politics: प्रशांत किशोर ने दावा किया कि 2020 के विधानसभा चुनाव में जदयू की केवल 42 सीटें आई थी तो उन्होंने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री न बनने की सलाह दी थी.
Jan Suraj Party: प्रशांत किशोर ने पदयात्रा कर पूरे बिहार का भ्रमण किया. अब अपनी उस जन सुराज पहल को गांधी जयंती के दिन राजनीतिक रूप देने जा रहे हैं. उनकी 'जन सुराज' पहल दो अक्टूबर को एक राजनीतिक पार्टी बन जाएगी. 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव को देखते हुए वो पार्टी के गठन के बाद क्या करेंगे? पार्टी बनाने के बाद उनका राजनीतिक एजेंडा क्या होगा? वो किन मुद्दों पर चुनाव लड़ेंगे? इस बारे में प्रशांत किशोर ने दावा करते हुए कहा कि तीन एस यानी शराब, सर्वे (भूमि) और स्मार्ट मीटर के मुद्दे पर चुनाव लड़ा जाएगा. उन्होंने कहा कि ये तीन मुद्दे "मौजूदा शासन के ताबूत में अंतिम कील" साबित होंगे.
किशोर ने कहा, “जब हम 2025 के विधानसभा चुनाव के बाद बिहार में सरकार बनाएंगे, तो हम एक घंटे के भीतर शराबबंदी खत्म कर देंगे.” उन्होंने कहा, "शराबबंदी सिर्फ कागजों में है. ज़मीनी हकीकत यह है कि शराब की दुकानों को बंद कर दिया गया है, लेकिन ‘होम डिलीवरी’ धड़ल्ले से चल रही है.” किशोर ने कहा कि जन सुराज शुरू से ही शराबबंदी के खिलाफ रहा है, क्योंकि “राज्य में मौजूदा शराबबंदी कानून 'फर्जी' है. हर साल 20,000 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है. शराब माफिया और अधिकारी अवैध व्यापार से पैसा कमा रहे हैं.”
जन सुराज प्रमुख ने कहा, "महिलाओं का वोट मिले या न मिले, मैं शराबबंदी के खिलाफ बोलता रहूंगा, क्योंकि यह बिहार के हित में नहीं है."
'नीतीश की दिलचस्पी केवल कुर्सी में'
पर्दे के पीछे से स्ट्रैटजी बनाने के सफर से अब सियासतदां बने प्रशांत किशोर ने रविवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला करते हुए उन पर चार "सेवानिवृत्त नौकरशाहों" के माध्यम से अपनी सरकार चलाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, "नीतीश कुमार सरकार चार सेवानिवृत्त नौकरशाहों द्वारा चलाई जा रही है. मुख्यमंत्री इन बाबुओं के चंगुल में हैं. न तो कुमार और न ही ये नौकरशाह लोगों की समस्याओं से अवगत हैं. कुमार अब बदल गए हैं. उन्होंने अपनी नैतिकता खो दी है और वह केवल मुख्यमंत्री की कुर्सी को बचाए रखने में रुचि रखते हैं.”
किशोर ने दावा किया कि 2020 के विधानसभा चुनाव में जनता दल (यू) की केवल 42 सीटें आई थी तो उन्होंने कुमार को मुख्यमंत्री न बनने की सलाह दी थी. उन्होंने कहा, “लेकिन नीतीश कुमार ने प्रस्ताव स्वीकार कर लिया और मुख्यमंत्री बन गए. यह उनका कुर्सी के साथ लगाव को दर्शाता है.”
बिहार की दुर्दशा के लिए भाजपा-कांग्रेस भी जिम्मेदार
किशोर ने यह भी कहा कि कुमार सत्ता पर ऐसे काबिज हैं जैसे उन्होंने अपनी कुर्सी पर गोंद लगा दी हो और उनकी सहयोगी भाजपा भी उनके “कुशासन” के लिए जिम्मेदार है ठीक उसी तरह जैसे कांग्रेस भी "लालू के जंगल राज के लिए जिम्मेदार है." उन्होंने कहा, “अगर राजद प्रमुख लालू प्रसाद और नीतीश कुमार बिहार के विनाश के लिए जिम्मेदार हैं तो कांग्रेस और भाजपा भी इसके लिए समान रूप से जिम्मेदार हैं. कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पिछले कई सालों से लालू और नीतीश का समर्थन कर रहे हैं.”
किशोर ने कहा, “ऐसा लगता है कि नीतीश कुमार और मुख्यमंत्री की कुर्सी के बीच का रिश्ता अटूट है...चाहे कोई भी गठबंधन हो. कुमार ने मुख्यमंत्री की कुर्सी पर फेविकोल लगा दिया है, जिससे वे इसपर बरकरार हैं."
किशोर ने बिहार के हितों को नुकसान पहुंचाने के लिए राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और नीतीश कुमार दोनों की आलोचना करते हुए कहा, “बिहार के लोगों ने 30 साल तक दोनों को देखा है. अब मुझे विश्वास है कि हम अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में जीतेंगे. हमारी व्यापक जीत होगी... अगर हमारी पार्टी बहुमत का आंकड़ा छूती है या बहुमत से 10-15 सीटें ज़्यादा लाती है, तो यह हमारी हार होगी. मैं अपनी हार स्वीकार करूंगा. हम व्यापक जीत चाहते हैं.”
बीजेपी भी हारेगी
किशोर ने कहा कि भाजपा को आगामी चुनावों में अपमानजनक हार का सामना करना पड़ेगा क्योंकि भाजपा बिहार में नेतृत्व संकट का सामना कर रही है. उन्होंने कहा, “लोग नहीं जानते कि वर्तमान प्रदेश भाजपा प्रमुख कौन है. दस प्रतिशत नागरिक भी उन्हें चेहरे से नहीं पहचान सकते.”
(इनपुट: एजेंसी भाषा के साथ)