Draupadi Murmu Unknown Story: नवनिर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आज (25 जुलाई) अपना पदभार ग्रहण कर लिया. संसद भवन के सेंट्रल हॉल में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमण द्रौपदी मुर्मू को पद की शपथ दिलाई. दीदी द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने पर देशभर के आदिवासी समाज में खुशियों की लहर है और कहीं पारंपरिक डांस से तो कहीं मिठाइयां बांटकर जश्न मनाया जा रहा है, लेकिन क्या आपको पता है कि द्रौपदी मुर्मू राजनीति में नहीं आना चाहती थीं. इतना ही नहीं उनके पति ने भी कहा था कि यह राजनीति हमारे लिए नहीं है.


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एक शख्स की जिद से राजनीति में आईं द्रौपदी मुर्मू


द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) को राजनीति में लाने का श्रेय रविंद्रनाथ महतो (Rabindra Nath Mahato) को जाता है, जिन्होंने अपनी जिद पर द्रौपदी मुर्मू को पार्षद का चुनाव लड़ने के लिए मनाया था. द्रौपदी मुर्मू के पति श्याम चरण मुर्मू भी नहीं चाहते थे कि उनकी पत्नी राजनीति में आएं, लेकिन उन्हें भी रविंद्रनाथ महतो ने ही मनाया था.


साल 1997 में हुई थी द्रौपदी मुर्मू की राजनीति में एंट्री


रविंद्रनाथ महतो ओडिशा के मयूरभंज जिले के बीजेपी के जिलाध्यक्ष थे और वकालत भी करते थे. इलाके में उनका अच्छा-खासा नाम था और वो रायरंगपुर के वार्ड-2 के काउंसलर पद का चुनाव द्रौपदी मुर्मू को लड़ाना चाहते थे, क्योंकि सीट एसटी के लिए आरक्षित थी. बात साल 1997 की है जब रविंद्रनाथ महतो ने द्रौपदी मुर्मू को चुनाव लड़ने के लिए राजी किया था.


राजनीति को लेकर द्रौपदी मुर्मू के पति ने कही थी ये बात


रविंद्रनाथ महतो के बेटे और मयूरभंज के बीजेपी जिलाध्यक्ष बिकास महतो ने दैनिक भास्कर से बात करते हुए बताया कि मैडम के पति श्याम चरण मुर्मू ने उस समय कहा था कि यह राजनीति हमारे लिए नहीं. हम छोटे लोग हैं और औरतों के लिए तो राजनीति बिल्कुल भी ठीक नहीं है. बिकास ने कहा, 'इसके बावजूद पिता जी अड़े रहे और दोनों को राजी कर लिया.'



द्रौपदी मुर्मू और रविंद्रनाथ के बीच चाचा-भतीजी का रिश्ता


द्रौपदी मुर्मू और रविंद्रनाथ महतो के बीच चाचा-भतीजी जैसा रिश्ता था. द्रौपदी मुर्मू दूर के रिश्ते में ओडिशा सरकार में पूर्व मंत्री व सांसद कार्तिक मांझी की भतीजी लगती थीं. कार्तिक मांझी और रविंद्रनाथ महतो के बीच अच्छे संबंध थे. कार्तिक मांझी ने ही द्रौपदी मुर्मू को रविंद्रनाथ महतो से मिलवाया था और यहीं दोनों का रिश्ता भी चाचा-भतीजी का बन गया.


बेहद मुश्किल भरा रहा है द्रौपदी मुर्मू का सफर


द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) के लिए राष्ट्रपति बनने तक का सफर बेहद लंबा और मुश्किल सफर रहा है. ओडिशा के मयूरभंज जिले के बैदापोसी गांव में 20 जून 1958 को जन्मीं द्रौपदी मुर्मू आदिवासी संथाल परिवार से ताल्लुक रखती हैं और उनके पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू है.


द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) की शादी श्याम चरण मुर्मू से हुई थी और उनके तीन बच्चे (दो बेटे और एक बेटी) थे. द्रौपदी मुर्मू की पर्सनल लाइफ काफी त्रासदियों से गुजरी है और  साल 2010 में उनके बड़े बेटे की मौत हुई. इसके बाद साल 2013 में उन्होंने छोटे बेटे को खो दिया और साल 2014 में पति का साथ भी छूट गया. उनकी बेटी इतिश्री की शादी गणेश हेम्ब्रम से हुआ है.


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