Presidential Election 2022: अगर विपक्ष राष्ट्रपति चुनाव के लिए मजबूत उम्मीदवार खड़ा नहीं कर सकता तो वह समर्थ प्रधानमंत्री कैसे दे पाएगा, शिवसेना ने शुक्रवार को यह बात कही.आगामी राष्ट्रपति चुनाव को गंभीरता से लेने की बात कहते हुए शिवसेना ने मुखपत्र सामना में कहा, ' 'महात्मा गांधी के पोते गोपाल कृष्ण गांधी और नेशनल कांफ्रेंस नेता फारूक अब्दुल्ला का नाम अक्सर राष्ट्रपति चुनाव के दौरान सामने आता है, लेकिन इनमें इस चुनाव को कड़े मुकाबले वाले चुनावी समर में तब्दील करने का 'व्यक्तित्व या वजन' नहीं है.'


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सामना के संपादकीय में कहा गया कि दूसरी तरफ, ऐसी संभावना नहीं है कि सरकार कोई 'तेजस्वी' उम्मीदवार लाएगी. पांच साल पहले दो-तीन लोगों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को चुना और इस साल भी वे ऐसा ही कर सकते हैं.


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24 को खत्म हो रहा राष्ट्रपति कोविंद का कार्यकाल


राष्ट्रपति कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म हो रहा है और उनके उत्तराधिकारी के लिए 18 जुलाई को चुनाव होना है. राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन पत्र भरने की प्रक्रिया बुधवार को शुरू हो जाएगी. कांग्रेस, डीएम, एनसीपी और समाजवादी पार्टी (सपा) समेत 17 दलों ने 15 जून को दिल्ली में एक बैठक की थी, जिसका आयोजन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एनडीए के खिलाफ संयुक्त उम्मीदवार उतारने पर सहमति बनाने के लिए किया था.


शरद पवार ने ठुकरा दिया था प्रस्ताव


इन दलों ने एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार से राष्ट्रपति चुनाव में उनका संयुक्त उम्मीदवार बनने की अपील भी की, लेकिन उन्होंने यह पेशकश ठुकरा दी. सूत्रों के अनुसार पवार ने 20-21 जून को मुंबई में विपक्षी दलों की एक दूसरी बैठक बुलाई है. शिवसेना ने कहा, 'अगर पवार नहीं तो फिर कौन? अगर इस सवाल का जवाब ढूंढने का काम छह महीने पहले किया गया होता तो उससे इस चुनाव के प्रति विपक्ष की गंभीरता झलककर सामने आई होती.'


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'राष्ट्रपति चुनाव गंभीरता से लेने की जरूरत'


उसने कहा, 'अगर विपक्ष राष्ट्रपति चुनाव के लिए मजबूत उम्मीदवार खड़ा नहीं कर सकता है तो वह 2024 में समर्थ प्रधानमंत्री कैसे दे सकता है. यह सवाल लोगों के दिमाग में तो आएगा ही.' पार्टी ने कहा कि अगर 2024 के आम चुनाव में विपक्ष के पास संख्या बल हो जाता है तो प्रधानमंत्री पद के लिए 'कतार में कई दूल्हे होंगे' जबकि वे अभी राष्ट्रपति चुनाव से हट रहे हैं. उसने कहा कि ममता बनर्जी के मुताबिक राष्ट्रपति चुनाव 2024 के आम चुनाव से पहले का एक प्रैक्टिस मैच है. उसने कहा, 'विपक्ष को इसे (राष्ट्रपति चुनाव को) गंभीरता से लेना चाहिए.'


राष्ट्रपति रबड़ स्टैंप नहीं होता: शिवसेना


शिवसेना ने कहा कि राष्ट्रपति महज रबड़ स्टैंप नहीं होता है, बल्कि वह संविधान का रक्षक व न्यायपालिका का संरक्षक होता है. उसने कोविंद का नाम लिये बगैर कहा, 'संसद, प्रेस, न्यायपालिका और प्रशासन सत्तासीन लोगों के सामने घुटना टेक रहे हैं. देश में सांप्रदायिक विभाजन बढ़ रहा है. ऐसी स्थिति में क्या राष्ट्रपति चुप रह सकता है? लेकिन राष्ट्रपति रुख नहीं अपनाते हैं, यह देश की अखंडता के लिए खतरा है.'


पार्टी ने कहा कि राष्ट्रपति सशस्त्र बलों के तीनों अंगों के सर्वोच्च कमांडर, न्यायपालिका के प्रमुख हैं. ऐसे पद पर आसीन व्यक्ति को देश को दिशा दिखानी होती है, लेकिन पिछले कुछ समय से अपनी इच्छा के मुताबिक वह (राष्ट्रपति) कुछ नहीं कर पा रहे हैं.


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