Profile of New Election Commissioners: पीएम मोदी की अध्यक्षता वाली कमेटी ने पिछले काफी समय से खाली चल रहे चुनाव आयोग के 2 नए आयुक्तों की नियुक्ति कर दी है. इसके साथ ही 3 सदस्यीय आयोग अब कंप्लीट हो गया है. सरकार ने जिन दो लोगों को नए चुनाव आयुक्त नियुक्त किया है, वे सीनियर IAS अफसर रहे हैं और उनका मोदी सरकार के मिशन को आगे बढ़ाने में गहरा नाता रहा है. एक आयुक्त जहां आईएएस रहते हुए जम्मू- कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के मिशन में शामिल रहे. वहीं दूसरे आयुक्त ने IAS अफसर रहते हुए उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने में अहम भूमिका निभाई. माना जा रहा है कि सरकार के साथ इसी बेहतर 'कदमताल' की वजह से उन्हें चुनाव आयोग में आयुक्त बनने का अवसर दिया गया है. 


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हाई लेवल कमेटी ने की नियुक्ति


प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में जिस कमेटी ने नए चुनाव आयुक्तों का चयन किया, उसमें संसद में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी और एक कैबिनेट मंत्री शामिल थे. यह नियुक्ति उस नए कानून के तहत की गई, जिसमें चुनाव आयुक्तों के चयन के लिए बनी कमेटी में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को हटाकर उनकी जगह पीएम की पसंद वाले एक कैबिनेट मंत्री को रखा गया है. आइए अब आपको नए चुनाव आयुक्तों के बारे में विस्तार से बताते हैं. 


कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने वाले अफसर


भारतीय चुनाव आयोग में ज्ञानेश कुमार नए चुनाव आयुक्त बनाए गए हैं. वे 1988 बैच के आईएएस अधिकारी रहे हैं और अमित शाह के साथ गृह मंत्रालय में काम कर चुके हैं. जब मोदी सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर से संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का ऐतिहासिक फैसला किया था, तब ज्ञानेश कुमार ही गृह मंत्रालय में जम्मू कश्मीर डिविजन को डील कर रहे थे. 


श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की स्थापना में योगदान


इसके बाद मई, 2022 में उन्हें सहकारिता मंत्रालय का सचिव बनाया गया. यह मंत्रालय भी अमित शाह के अधीन ही आता है. इस मंत्रालय के गठन के वक्त से ही ज्ञानेश कुमार ने वहां काम किया था. उन्होंने गृह मंत्रालय में रहते हुए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की स्थापना में भी अहम योगदान दिया. फिर उन्हें संसदीय कार्य मंत्रालय में सचिव पद पर भेजा गया. वे 31 जनवरी 2024 को अपनी लंबी सेवा के बाद रिटायर हो गए. 


धामी सरकार ने बनाया था चीफ सेक्रेटरी


सुखबीर सिंह संधू 1988 बैच के पंजाब कैडर के अधिकारी रहे हैं. वे नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया में चेयरमैन और मानव संसाधन मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव के पदों पर रहे. उन्होंने पंजाब, यूपी, उत्तराखंड और केंद्र चारों सरकारों में काम किया. उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी के सीएम बनने के बाद जुलाई 2021 में सुखबीर सिंह संधू को चीफ सेक्रेटरी नियुक्त किया गया था. उनका कार्यकाल जुलाई 2023 में खत्म हो गया था लेकिन धामी सरकार के अनुरोध पर केंद्र सरकार ने उन्हें 6 महीने का एक्सटेंशन दे दिया था. उनका यह एक्सटेंशन भी इस साल 31 जनवरी को खत्म हो गया. 


उत्तराखंड सरकार में लागू करवाया UCC


सुखबीर सिंह संधू के चीफ सेक्रेटरी रहते हुए उत्तराखंड सरकार ने समान नागरिक संहिता पर कदम आगे बढ़ाया. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जस्टिस रंजना देसाई के नेतृत्व में एक सदस्यीय आयोग बनाया गया, जिसे UCC का ड्राफ्ट बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई. इस आयोग ने समाज के तमाम वर्गों के साथ गहन बातचीत करके अपनी रिपोर्ट उत्तराखंड सरकार को दी. जिसके बाद उसे असेंबली में पास करके राज्यपाल के जरिए राष्ट्रपति को भेजा गया, जिसे प्रेजिडेंट ने मंजूर कर लिया है. 


जस्टिस रंजना देसाई आयोग के साथ किया तालमेल


अब इस कानून को नोटिफाइड किया जाना बाकी है. ऐसा होने पर उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन जाएगा, जहां पर समान नागरिक संहिता लागू होगी. सूत्रों के मुताबिक इस पूरी कवायद को चीफ सेक्रेटरी सुखबीर सिंह संधू ने ही पर्दे के पीछे से अंजाम दिया. धामी सरकार के निर्देश पर उन्होंने ही जस्टिस देसाई आयोग के लिए तमाम विभागों में तालमेल किया और समाज के विभिन्न वर्गों से मिलकर उनके विचार जानने का इंतजाम किया. उनकी इस सक्रियता की वजह से बिना किसी खास हंगामे के उत्तराखंड में यह कानून पास हो गया.