Farmer`s Protest: आंदोलन के नाम पर यहां 26 नवंबर से हो रही है बिजली की चोरी
आंदोलनकारी किसानों द्वारा अवैध तरीके से बिजली का इंतजाम करने को लेकर केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह (R K Singh) ने भी प्रदर्शनकारियों पर निशाना साधते हुए बिजली चोरी की घटनाओं पर नाराजगी जताई थी.
शिवांक मिश्र, नई दिल्ली: बीते 26 नवंबर से किसान आंदोलन (Farmer Protest) के नाम पर देश की राष्ट्रीय संपदा को नुकसान पहुंचाया जा रहा है. दरअसल प्रदर्शनकारियों ने दिल्ली की प्रमुख सीमाओं को बंधक बना रखा है. बंधक बनी सीमाओं पर तथाकथित प्रदर्शनकारी तंबू और ट्रैक्टर में रह रहे हैं. देश के कृषि कानूनों (Farm Laws) के विरोध में बॉर्डर पर डटे प्रदर्शनकारी किस तरह देश का नुकसान कर रहे हैं आइए बताते हैं.
'आंदोलन के नाम पर बिजली चोरी'
दिल्ली का सिंघु बॉर्डर हो या फिर गाजीपुर हर जगह मौजूद प्रदर्शनकारी लाइट जलाने और हीटर चलाने के लिए अवैध रूप से बिजली की चोरी कर रहे हैं. गौरतलब है कि गाजीपुर बॉर्डर को भी बीते 28 नवंबर से प्रदर्शनकारियों ने बंधक बना कर रखा है. यहां लगे टेंट्स में बिजली की जरूरत पूरा करने के लिये प्रदर्शनकारी बिजली के खंबो में कटिया डाल कर बिजली का अवैध इंतजाम कर रहे हैं.
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने उठाए थे सवाल
बताते चलें कि आंदोलनकारी किसानों द्वारा अवैध तरीके से बिजली का इंतजाम करने को लेकर केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह (R K Singh) ने भी प्रदर्शनकारियों पर निशाना साधते हुए बिजली चोरी की घटनाओं पर नाराजगी जताई थी. वहीं कुछ जगह सरकार की ओर से बिजली के अवैध कनेक्शन भी काटे गए थे. देश मे लाइन लॉस की बात करें तो हर साल भारत की कुल बिजली का 27% से ज्यादा हिस्सा लाइन लॉस में निकल जाता है. जो कि कुल 261 GIGAWATT PER HOUR से कहीं ज्यादा है.
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बिजली की चोरी से जीडीपी को नुकसान
यहीं नही वर्ल्ड बैंक के एक अनुमान के मुताबिक भारत मे बिजली की चोरी हर साल GDP को 1.5% यानी डेढ़ प्रतिशत तक कम कर देती है. वहीं भारत मे बिजली की चोरी से हर साल देश को 16 बिलियन डॉलर से ज्यादा का नुकसान होता है.
बिजली चोरी पर ये बोले राकेश टिकैत
बिजली चोरी को लेकर ज़ी मीडिया ने जब आंदोलन के नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) से बात की तो उन्होंने कह दिया कि अगर सरकार को इतनी परेशानी है तो वो हमे बिजली का कनेक्शन दे सकती है. गौरतलब है कि जिस तरीके से किसान नेता बिजली जैसी राष्ट्रीय संपदा की चोरी यानी अर्थव्यवस्था के नुकसान को हल्के में ले रहे हैं वो पांच ट्रिलियन इकॉनमी की ओर बढ़ रहे देश के लिए अच्छे संकेत नहीं है.
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