Father Of Minor Acused: पुणे के बहुचर्चित पोर्श हादसे में, जिसमें एक नाबालिग आरोपी ने कथित तौर पर नशे में कार चलाकर एक महिला को टक्कर मार दी थी, उस आरोपी के पिता को 21 जून, 2024 को पुणे सेशन कोर्ट से जमानत मिल गई है. यह फैसला 10 दिनों की लंबी बहस के बाद आया है, जिसमें अभियोजन पक्ष ने जमानत का विरोध किया था.


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यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह जमानत केवल एक मामले में है, और नाबालिग आरोपी और उसके पिता पर अभी भी कई अन्य आरोप हैं. यह मामला अभी भी कानूनी प्रक्रिया में है और जल्द ही इसकी सुनवाई फिर से शुरू होने की उम्मीद है.


नाबालिग को लेकर हाईकोर्ट ने पूछे थे सवाल


इससे पहले मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने शुक्रवार को पूछा कि पुणे पोर्श कार हादसा मामले में नाबालिग आरोपी को पहले जमानत देना और फिर उसे हिरासत में ले लेना..  फिर सुधार गृह में रखना क्या कैद के समान नहीं है? न्यायमूर्ति भारती डांगरे और न्यायमूर्ति मंजूषा देशपांडे की खंडपीठ ने कहा कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि दुर्घटना दुर्भाग्यपूर्ण थी.  लोगों की जान चली गई. यह बहुत दर्दनाक हादसा तो था ही, लेकिन किशोर भी मानसिक अभिघात में था.


कैद में किस आधार पर रखा गया


खंडपीठ ने पुलिस से यह भी पूछा कि कानून के किस प्रावधान के तहत पोर्श दुर्घटना मामले में नाबालिग आरोपी को जमानत देने के आदेश में संशोधन किया गया और उसे कैद में किस आधार पर रखा गया. नाबालिग के परिजन ने पिछले सप्ताह एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी, जिसमें दावा किया गया कि उसे अवैध रूप से हिरासत में रखा गया है. उन्होंने किशोर की तत्काल रिहाई की मांग की. इसी पर पीठ ने शुक्रवार को याचिका पर दलीलें सुनते हुए कहा कि पुलिस ने जेजेबी द्वारा पारित जमानत आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय में आज तक कोई आवेदन दायर नहीं किया है. अदालत ने कहा कि इसके बजाय जेजेबी के जमानत आदेश में संशोधन के अनुरोध के साथ आवेदन दायर किया गया था. 


क्या था मामला


बता दें कि 19 मई की सुबह किशोर कथित तौर पर नशे की हालत में तेज रफ्तार में पोर्श कार चला रहा था और उसने एक बाइक को टक्कर मार दी, जिससे पुणे के कल्याणी नगर में दो सॉफ्टवेयर इंजीनियरों- अनीश अवधिया और अश्विनी कोष्टा की मौत हो गई. सत्रह-वर्षीय किशोर को उसी दिन किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) द्वारा जमानत दे दी गई. बोर्ड ने किशोर से सड़क सुरक्षा पर 300 शब्दों का निबंध लिखने को कहा तथा आदेश दिया कि किशोर को उसके माता-पिता और दादा की देखभाल एवं निगरानी में रखा जाए. इसके बाद मामला बढ़ गया था. agency input