नई दिल्लीः पंजाब में आम आदमी पार्टी की आंधी में कांग्रेस की सारी रणनीति धरी की धरी रह गई. बड़े-बड़े चुनावी विश्लेषकों का अनुमान भी पंजाब में AAP के शानदार प्रदर्शन के आगे बौना साबित हुआ. किसी ने सोचा भी नहीं था कि अपने ही गढ़ में कांग्रेस इतनी बुरी तरह हारेगी. अब राज्य में कांग्रेस को मजबूत करने की कवायद अभी से शुरू हो गई है. जल्द ही पंजाब में कांग्रेस को नया अध्यक्ष मिल सकता है. इसे लेकर पार्टी के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू सक्रिय हो गए हैं. सिद्धू ने हाल के दिनों में धड़ा-धड़ कई बैठकें की हैं. सूत्रों की मानें तो कांग्रेस आलाकमान इस बार सिद्धू को भाव नहीं दे रही. अब ये देखना रोचक होगा कि पंजाब में कांग्रेस की कमान किसे सौंपी जाएगी. 


सिद्धू को देना पड़ा था इस्तीफा


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याद दिला दें की पंजाब विधान सभा चुनाव में कांग्रेस को महज 18 सीटों पर ही जीत मिली थी. चरणजीत सिंह चन्नी को दो सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था. नवजोत सिंह सिद्धू भी अमृतसर पूर्व सीट से हार गए थे. शर्मनाक हार के बाद सोनिया गांधी ने प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू से इस्तीफा मांग लिया था. सिद्धू ने पत्र में सिर्फ एक लाइन लिखी और अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.


चन्नी-सिद्धू को नहीं मिलेगा मौका?


चर्चाओं का बाजार गरम है कि कांग्रेस अब चरणजीत सिंह चन्नी और नवजोत सिंह सिद्धू पर दाव नहीं लगाएगी. कांग्रेस इन दोनों नेताओं के मतभेद और झगड़े को रिपीट न करते हुए अध्यक्ष पद पर कोई नया चेहरा लेकर आने वाली है. कांग्रेस 2024 के लोक सभा चुनाव को लेकर अभी से तैयारियों में जुट गई है.


पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष पद की रेस में ये नेता


सूत्रों ने के मुताबिक पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा, राज्य सभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा, विधायक अमरिंदर सिंह राजा वारिंग सिद्धू के गुट से दूरी बनाए हुए हैं. सुखजिंदर सिंह रंधावा और अमरिंदर सिंह राजा वारिंग और प्रताप सिंह बाजवा अगले पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष बनने की दौड़ में हैं. जबकि रंधावा और वारिंग डेरा बाबर नानक और गिद्दरबाहा से फिर से चुने गए हैं. बाजवा ने कादियान से जीत हासिल की और अपनी राज्य सभा सांसद की सीट छोड़ दी. पंजाब कांग्रेस का अगला अध्यक्ष बनने के लिए पंजाब के पूर्व मंत्रियों के बीच लंबे समय से खींचतान चल रही है.


पंजाब चुनाव में कांग्रेस का सफाया


आम आदमी पार्टी ने 2022 के पंजाब चुनावों में 92 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया. यह 1966 में राज्य के पुनर्गठन के बाद से किसी भी पार्टी द्वारा जीती गई सीटों की सबसे बड़ी संख्या है. इसके अलावा, अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली पार्टी ने कांग्रेस के मुकाबले 42.01% वोट शेयर हासिल किया. कांग्रेस केवल 18 सीटें हासिल करने में सफल रही. 1997 के चुनाव के बाद सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली पार्टी के लिए यह अब तक की सबसे कम संख्या थी.


12 मंत्री भी नहीं बचा पाए अपनी सीट


राज्य में कांग्रेस का वोट शेयर पिछले विधान सभा चुनावों के 38.64% से गिरकर इस बार लगभग 23% रह गया है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि तत्कालीन सीएम चरणजीत सिंह चन्नी उन दोनों सीटों से हार गए. नवजोत सिंह सिद्धू को भी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा क्योंकि वह अमृतसर पूर्व में AAP की जीवन ज्योत कौर से 6,750 मतों से हार गए. परगट सिंह, सुखजिंदर सिंह रंधावा, तृप्त बाजवा, अमरिंदर सिंह राजा वारिंग और राणा गुरजीत सिंह को छोड़कर, चन्नी कैबिनेट के अन्य सभी 12 मंत्री अपनी-अपनी सीटों से हार गए.



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