Punjab Village Rules on UP Bihar Mazdoor: पंजाब के गांवों से हैरान करने वाली खबर आई है. वहां पर आजकल एक नया फरमान सुनाया जा रहा है. ये फरमान यूपी बिहार से काम की तलाश में आने वाले प्रवासियों के लिए है. ये ऐसा फरमान है, जिसे सुनकर आपके मन भी सवाल उठेगा कि एक देश में अपने ही लोगों के लिए अलग फरमान क्यों.. आखिर भगवंत मान की सरकार में क्या हो रहा है. 


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क्या दूसरे राज्य में रोजगार करना गुनाह हो गया?


सवाल उठ रहा है कि क्या पंजाब में यूपी-बिहार के प्रवासी मजदूर आजाद नहीं हैं? क्या दूसरे राज्य में रोजी-रोटी के लिए जाना गुनाह हो गया है? पंजाब में यूपी-बिहार के लोगों पर अलग नियम-कानून क्यों है?


ये तमाम सवाल इसलिए क्योंकि पंजाब के गांवों में आजकल यूपी-बिहार से आने वाले प्रवासियों के लिए फरमान लागू किए जा रहे हैं. उत्तर प्रदेश और बिहार के मजदूरों को पंजाब के गांवों में रहने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. कई गावों में बाहरी राज्यों से आने वाले मजदूरों पर प्रतिबंध तक लगा दिया गया तो बहुत से मजदूर पंजाब के गांवों को छोड़कर जाने को मजबूर हैं. पंजाब के गांवों में जारी हो रहे इस फरमान के पीछे की वजह आपको बताएंगे लेकिन उससे पहले नियम कायदों की फेहरिस्त जान लीजिए. 


मजदूरों के लिए पंजाब में जारी फरमान


- प्रवासियों का रात 9 बजे के बाद घूमना मना है.


- प्रवासियों को पूरे कपड़ों में ही घूमना फिरना होगा. 


- प्रवासियों के पान, गुटखा, बीड़ी, सिगरेट इस्तेमाल पर पाबंदी रहेगी.


- गांव में अगर कोई बाहरी व्यक्ति ज़मीन खरीदता है तो वो कमरे नहीं बना सकता.


- घर में रहने वालों की संख्या का वेरिफिकेशन होना चाहिए.  


- एक कमरे में दो से ज़्यादा शख्स नहीं होने चाहिए.


- साथ ही मकान मालिकों से कहा गया है कि किराएदारों के वाहनों की पार्किंग ज़रूरी है. 


- सड़क या गली में कोई वाहन खड़ा नहीं होना चाहिए.


- अगर कोई प्रवासी गांव का नुकसान करता है तो उसका ज़िम्मेवार मकान मालिक होगा.


- जिन स्थानों पर प्रवासी रहते हैं, वहां कूड़ादान ज़रूर होना चाहिए, जिसकी जिम्मेदारी मकान मालिक की होगी.


इस गांव से हुई थी प्रतिबंधों की शुरुआत


मामूली सी तनख्वाह पर काम करने वाले बाहरी मजदूरों के लिए ये नियम धीरे-धीरे हर गांव में बनाए जाने लगे हैं. पहले कुराली गांव में प्रवासियों की एंट्री पर बैन लगा दिया गया था और अब खरार के जंडपुर गांव में डिस्प्ले बोर्ड लगाकर फरमान जारी किए गए हैं. आंकड़ों के मुताबिक जंडपुर गांव में 2 हजार लोग रहते हैं. इनमें से 500 लोग ऐसे हैं, जो रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों से यहां पहुंचे हैं.


बैन पर क्या हैं ग्रामीणों के तर्क?


यूपी-बिहार के मजदूरों के लिए जारी किए गए फरमान को लेकर ग्रामीणों के अपने ही तर्क है. उनका आरोप है कि प्रवासी अर्धनग्न होकर गांव में घूमते हैं, जिससे गांव की महिलाओं को शर्मिंदगी महसूस होती है. आरोप है कि यूपी-बिहार के मजदूर गुरुद्वारों के बाहर सड़कों पर थूकते हैं, जो उनके धर्म का अपमान है. इसलिए अगर प्रवासियों को यहां रहना है तो इन नियमों को मानना होगा.


गुरमुखी में जारी किए गए फरमान


ऐसा नहीं है गांवों में नियमों की अनदेखी नहीं होगी. एक बाइक में ट्रिपलिंग और बगैर नंबर की बाइक भी गांवों में नजर आती हैं. लेकिन सवाल यही है कि क्या तमाम गलतियां यूपी और बिहार से आए मजदूर ही करते हैं. उससे भी ज्यादा हैरानी की बात ये है कि फरमानों की ये फेहरिस्त हिंदी में नहीं बल्कि गुरमुखी में है. जिसे समझना भी यूपी बिहार से आए मजदूरों के लिए नामुमकिन है. ऐसे में ये नियम कितने सही हैं, और इनकी तामील कैसे होगी, ये बड़ा सवाल है.