Ex-Navy Veterans freed from Qatar: कतर में पूर्व भारतीय नौसैनिकों को पहले मौत की सजा, फिर उसे बदलकर उम्रकैद और अब वतन वापसी. ये कहानी किसी फिल्म की नहीं, बल्कि रियल स्टोरी है. बता दें कि सभी पूर्व नौसैनिक दोहा के अल दाहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजिज में काम करते थे, जिन्हें मौत की सजा सुनाई गई थी. फिर भारत सरकार की अपील पर कतर के अमीर ने सजा को उम्रकैद में बदल दिया. हालांकि, सरकार ने अब इन्हें रिहा करा लिया है, लेकिन इस पूरे मिशन को सीक्रेट रखा गया था.


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पूर्व नौसैनिकों के परिवार को भी नहीं थी जानकारी


सरकार ने इस मिशन को इतना सीक्रेट रखा था कि कतर से 8 नौसैनिकों को रिहा कराने के मिशन की जानकारी उनके परिवार को भी नहीं थी. हालांकि, पीएम नरेंद्र मोदी पूरे मामले पर खुद निगरानी रखे हुए थे. अब पीएम मोदी 14 फरवरी को कतर जा रहे हैं, जिसकी जानकारी विदेश मंत्रीलय ने दी है. बता दें कि पीएम मोदी का 13 और 14 फरवरी को यूएई दौरा पहले तय था, लेकिन कतर जाने की जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई थी. पूर्व नौसैनिकों की स्वदेश वापसी के बाद इसकी जानकारी दी गई है.


पत्नी कतर में थी, लेकिन फिर भी नहीं लगी वापसी की भनक


दैनिक भास्कर रिपोर्ट के अनुसार, मिशन को इस कदर सीक्रेट रखा गया था कि एक पूर्व अफसर की पत्नी कतर में रह रही थीं, लेकिन उनको भी इसकी जानकारी नहीं थी. जबकि वो लगातार अपने पति से मिल रही थीं. स्वदेश वापसी के बाद उन्होंने अपनी पत्नी को फोन किया और बताया कि भारत लौट आया हूं, अब तुम भी लौट आओ.


हर सप्ताह परिवार के सदस्य कर सकते थे मुलाकात


रिपोर्ट के अनुसार, भले ही कथित जासूसी के आरोप में इन 8 नौसैनिकों को उम्रकैद सजा दी गई थी, लेकिन इन्हें जेल में नहीं रखा गया था. रिहाई से पहले तक उन्हें हिरासत केंद्र में रखा गया था, जहां 2 अधिकारी साथ रहते थे. उन्हें डॉक्टर भी दिया गया था और उनके लिए जिम की भी व्यवस्था थी. इतना ही नहीं, इनके परिवार का एक सदस्य हर हफ्ते इनसे मुलाकात कर सकता था.


कथित जासूसी के आरोप में सुनाई गई थी फांसी की सजा


अगस्त, 2022 में जासूसी के आरोप में 8 पूर्व नौसौनिकों को कतर में गिरफ्तार किया गया था. सूत्रों के मुताबिक सभी पर पनडुब्बी परियोजना की कथित जासूसी करने का आरोप था. जिसके बाद सभी को जेल में बंद रखा गया था. कथित जासूसी के आरोप में 8 पूर्व नौसैनिकों को फांसी की सजा सुनाई गई थी. बाद में वहां की अदालत में सभी सैनिकों का सजा कम कर दी थी. कतर के इस फैसले से केंद्र सरकार भी हैरान थी.


इन 8 पूर्व भारतीय नौसैनिकों को मिली थी सजा


बता दें कि दोहा स्थित अल दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज के साथ काम करने वाले लोगों को अगस्त, 2022 में अरेस्ट किया गया था. इनमें पूर्णेंदु तिवारी, सुगुनाकर पकाला, अमित नागपाल और संजीव गुप्ता कमांडर शामिल हैं. वहीं नवतेज सिंह गिल, बीरेंद्र कुमार वर्मा और सौरभ वशिष्ठ कैप्टन हैं, जबकि आठवां शख्‍स रागेश गोपकुमार है. भारत ने सभी पूर्व सैनिकों को कानूनी सहायता भी प्रदान की थी. बहरहाल 8 पूर्व नौसैनिकों की रिहाई भारतीय के लिए एक बड़ी जीत है.