नई दिल्ली: फ्रांस से हुई रफाल लड़ाकू विमानों की डील (Rafale Fighter Jets Deal) में भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद कांग्रेस ने मंगलवार को केंद्र सरकार पर पलटवार किया है. इसके बाद भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने कांग्रेस को करारा जवाब दिया और कहा कि कांग्रेस ने डील के लिए 40 प्रतिशत कमीशन खाया. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि 2013 से पहले इस डील के लिए 65 करोड़ रुपये की घूस दी गई थी. 2007 और 2012 के बीच जो रफाल डील की गई थी, उसमें यह घूस दी गई थी. वहीं कांग्रेस ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार द्वारा रफाल डील में भ्रष्टाचार को दफनाने के लिए ऑपरेशन कवर अप चल रहा है.


रफाल डील में 65 करोड़ की घूस


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बता दें कि फ्रांस के पोर्टल मीडियापार्ट ने दावा किया था कि फ्रांसीसी विमान निर्माता डसॉल्ट ने भारत को 36 रफाल लड़ाकू विमानों की बिक्री को सुरक्षित करने के लिए एक बिचौलिए को 7.5 मिलियन यूरो यानी करीब 65 करोड़ रुपये का कमीशन दिया था. वहीं, भारतीय एजेंसियों ने ​डॉक्युमेंट्स होने के बावजूद इसकी जांच शुरू नहीं की. रिपोर्ट के अनुसार, इस कथित भुगतान का बड़ा हिस्सा 2013 से पहले किया गया था.


सबसे बड़ा रक्षा घोटाला: कांग्रेस


कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा, 'ये कोई 60-65 करोड़ घोटाले का मामला नहीं है. ये सबसे बड़ा रक्षा घोटाला है. यूपीए सरकार ने अंतरराष्ट्रीय टेंडर के बाद 526.10 करोड़ रुपये में टेक्नोलॉजी ट्रांसफर सहित एक रफाल लड़ाकू विमान खरीदने के लिए बातचीत की थी. मोदी सरकार ने वही रफाल लड़ाकू विमान बिना किसी टेंडर के 1670 करोड़ में खरीदा और भारत को टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के बिना 36 जेट की लागत में अंतर लगभग 41205 करोड़ है.'


पवन खेड़ा ने सवाल किया कि क्या मोदी सरकार जवाब देगी कि हम भारत में टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के बिना उन्हीं 36 विमानों के लिए 41205 करोड़ अतिरिक्त क्यों दे रहे हैं? किसने पैसा कमाया और कितनी रिश्वत दी? जब 126 विमानों का लाइव अंतरराष्ट्रीय टेंडर था तो पीएम एकतरफा 36 विमान 'ऑफ द शेल्फ' कैसे खरीद सकते थे?


रफाल डील में हुआ घोटाला: कांग्रेस


कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने आरोप लगाते हुए कहा, 'ये देश का सबसे बड़ा रक्षा घोटाला है. यूपीएस सरकार से ज्यादा दाम पर ये रफाल लड़ाकू विमान क्यों खरीदा गया? इस विमान में टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के बगैर ये डील क्यों हुई? 126 विमानों की संख्या घटाकर 36 क्यों की गई? हमने ये डील टेंडर के जरिए किया, जबकि मोदीजी ने डील खुद किया. खुद हस्तक्षेप कर इस क्लॉज को हटाया. साल 2015 में रफाल की प्राइस डिटेल्स कैसे सुषेण गुप्ता ने डिसॉल्ट को दी, जबकि ये अति गोपनीय था.'


'INC का मतलब I need Commission'


बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा (Sambit Patra) ने कांग्रेस के आरोपों पर जवाब देते हुए कहा, 'यूपीए के दौर में हर डील के अंदर डील था. INC का अर्थ इंडियन नेशनल कांग्रेस नहीं, बल्कि आई नीड कमीशन है. बिना कमीशन के कुछ नहीं करते. सोनिया गांधी कहती हैं आई नीड कमीशन. राहुल बोलते हैं आई नीड कमीशन. प्रियंका कहती हैं आई नीड कमीशन. रॉबर्ड वाड्रा कहते हैं आई नीड कमीशन. ये सिलसिला आज का नहीं है. जबसे कांग्रेस पार्टी है, तबसे आई नीड कमीशन है. जीप घोटाला, बोफोर्स घोटाला, एयरबस घोटाला, सबमरीन घोटाला, हेलीकॉप्टर घोटाला, टेट्रा ट्रक घोटाला, जहां कमीशन वहां कांग्रेस.’


घूस दिया गया तब किसकी सरकार थी: संबित पात्रा


भाजपा प्रवक्ता ने कहा, 'रफाल का विषय कमीशन की कहानी थी, बहुत बड़े घोटाले की साजिश थी. ये पूरा मामला 2007 से 2012 के बीच हुआ. आज हम आपके सामने कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज रखने वाले हैं, ताकि भ्रष्टाचार किसके कालखंड में हुआ ये बताएगा. फ्रांस के मीडिया संस्थान ने कुछ वक्त पहले ये खुलासा किया कि रफाल में भ्रष्टाचार हुआ था.'


उन्होंने आगे कहा, 'आज ये खुलासा हुआ है कि 2007 से 2012 के बीच में रफाल में ये कमीशनखोरी हुई है, जिसमें बिचौलिए का नाम सुषेण गुप्ता बताया गया है. यह कोई नया खिलाड़ी नहीं है. ये पुराना खिलाड़ी है, जिसे अगस्ता वेस्टलैंड केस का किंगपिन माना जाता है. एक मिडिलमैन जो कि अगस्ता वेस्टलैंड केस में बिचौलिया था, वो 2007 से 2012 के बीच रफाल केस में घूस में बिचौलिया था. बहुत ज्यादा इत्तेफाक हकीकत होती है.'


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