सुभाषचंद्र बोस की जयंती पर ट्वीट कर फंस गए राहुल गांधी, परिवार ने की माफी की मांग
नेता जी के परिवार ने राहुल गांधी के ट्वीट को जानबूझकर की गई इतिहास से छेड़छाड़ की कोशिश बताया.
नई दिल्लीः कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी एक बार फिर गलत ट्वीट कर सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग का शिकार हो गए है. 23 जनवरी को कांग्रेस अध्यक्ष ने देश की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए ट्वीट किया. राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में लिखा, 'नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी की जयंती पर उन्हें शत् शत् नमन।' इस ट्वीट में राहुल गांधी ने नेताजी की एक तस्वीर भी लगाई जिसमें नेताजी की जन्मतिथि 23 जनवरी 1897 और मृत्यु की तिथि 18 अगस्त 1945 दर्शाई गई.
राहुल गांधी के इस ट्वीट के बाद नेताजी के परिवार ने उनसे माफी की मांग की है.
असल में नेताजी का परिवार दशकों से इस बात को चुनौती देता रहा है कि उनकी मौत उक्त दिन (18 अगस्त 1945) कथित विमान दुर्घटना में हुई थी. नेताजी के पड़पोते और बंगाल बीजेपी के नेता चंद्र बोस ने राहुल गांधी से तत्काल यह ट्वीट हटाने की मांग करते इसे जानबूझकर इतिहास से छेड़छाड़ की कोशिश बताया. चंद्र कुमार बोस ने अपने ट्वीट में लिखा, 'भारत की जनता इतिहास से छेड़छाड़ करने के लिए राहुल गांधी से माफी की मांग करती है.'
साल 2015 में पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से बीते दिनों सार्वजनिक किए गए नेताजी सुभाष चन्द्र बोस से जुड़े कुछ गोपनीय दस्तावेजों के अनुसार, स्वतंत्रात सेनानी नेताजी सुभाषचंद्र बोस साल 1948 में चीन के मनचूरिया में 'एक जगह' पर 'जीवित' थे. उनके विश्वस्त सहयोगियों में से एक देबनाथ दास ने उस समय दावा किया था.
जारी किए गए इन दस्तावेजों के अनुसार, फाइल नंबर 22 में देबनाथ दास समेत आईएनए के नेताओं के बारे में बंगाल सरकार (डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस का कार्यालय) की ओर से जुटाई गई खुफिया सूचनाओं में इस बात पर रोशनी डाली गई है. गौर हो कि करीब 13,000 पन्नों से लैस नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी 64 फाइलें बीते दिनों सार्वजनिक की गईं जिनकी पड़ताल से पता चलता है कि आजाद भारत में उनके परिवार के कुछ सदस्यों की जासूसी कराई गई. हालांकि, फाइलों के अध्ययन से अब तक यह स्पष्ट नहीं हो सका कि क्या वाकई उनकी मौत 1945 में हुए एक विमान हादसे में हुई थी.
नेताजी सुभाषचंद्र बोस जीवित हैं !
इसमें से 9 अगस्त, 1948 के एक दस्तावेज में कहा गया है कि देबनाथ दास (एंटी कांग्रेस प्रचार में काफी सक्रियता से शामिल एक पूर्व आईएनए नेता) राजनीतिक और पार्टी के सर्किल में इस बात का प्रचार कर रहा है कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस जीवित हैं और वे मनचूरिया में किसी जगह पर हैं, जो वर्तमान में चीन में है. इस जिज्ञास को बढ़ाने और लोगों के भरोसे को पुख्ता करने के लिए दास ने कहा कि नेताजी ने प्लेन क्रैश से पहले उससे कहा था कि दूसरे विश्व युद्द के परिप्रेक्ष्य में तीसरा विश्व युद्ध होने की संभावना बनी हुई है.
22 अगस्त, 1945 को टोकियो रेडियो ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस के फोरमोसा (अभी ताइवान) में 18 अगस्त, 1945 को जापान जाते समय एक प्लेन क्रैश में मारे जाने की घोषणा की थी. लेकिन इस प्लेन क्रैश में नेताजी की मौत की खबर को उनके समर्थकों और प्रशंसकों ने खारिज कर दिया था. उसके बाद नेताजी के सामने आते रहने की कई बार दावे किए गए. इस विवाद को और आगे बढ़ाते हुए दास ने इन दस्तावेजों में इस बात पर जोर दिया है कि साल 1948 में नेताजी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य पर नजर बनाए हुए थे. दास ने इसमें उल्लेख किया है कि इसके पीछे नेताजी का मकसद यह जानना था कि विदेशी शक्तियों में कौन उनका दोस्त है और कौन उनका दुश्मन.
हालांकि, फाइलों के अध्ययन से अब तक यह स्पष्ट नहीं हो सका कि क्या वाकई उनकी मौत 1945 में हुए एक विमान हादसे में हुई थी. वर्षों तक पुलिसिया और सरकारी लॉकरों में छिपाकर रखी गईं 12,744 पन्नों वाली 64 फाइलें बोस के परिवार के सदस्यों की मौजूदगी में प्रदर्शित की गईं. करीब 70 साल पहले रहस्यमय परिस्थितियों में लापता हुए बोस के परिजन यह मांग करते रहे हैं कि आजाद हिंद फौज के नेता से जुड़ी जानकारी को सार्वजनिक किया जाना चाहिए. सार्वजनिक की गई एक फाइल में नेताजी के भतीजे शिशिर कुमार बोस की ओर से 1949 में अपने पिता और नेताजी के बड़े भाई शरत चंद्र बोस को लिखा गया एक पत्र है, जिसमें उन्होंने लिखा कि उनके पास नेताजी के एक रेडियो चैनल पर आने की सूचना है. बारह दिसंबर 1949 को शिशिर ने लंदन से अपने पिता को लिखा था कि पीकिंग रेडियो ने घोषणा की कि सुभाष चंद्र बोस का बयान प्रसारित किया जाएंगा. रेडियो ने प्रसारण के समय और तरंगदैघ्र्य के बारे में भी बताया.