Rahul Gandhi on UPSC Lateral Scheme 2024: सरकार के कामकाज में समाज के एक्सपर्ट लोगों को मौका देने के लिए मोदी सरकार ने शनिवार को यूपीएससी लेटरल एंट्री स्कीम लॉन्च कर दी. इस स्कीम में समाज के विभिन्न  क्षेत्रों में बेहतरीन काम कर रहे 55 साल तक के लोगों को इंटरव्यू के जरिए सीधे आईएएस अफसर बनने का मौका देना है. हालांकि यह स्कीम कॉन्ट्रेक्चुअल होगी और चयनित हुए लोग केवल 3 साल तक इन पदों पर काम कर पाएंगे. इसके बावजूद कांग्रेस समेत विपक्षी दलों को सिस्टम में यह सुधार पसंद नहीं आया है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि इस स्कीम के जरिए मोदी सरकार परदे के पीछे से आरएसएस के लोगों को ब्यूरोक्रेसी में भर देना चाहती है. ऐसा करके वह सरकारी नियुक्तियों में संवैधानिक प्रक्रियाओं को कमजोर करना चाहती है. 


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'RSS के लोगों को प्रशासन में घुसाने की कोशिश'


राहुल गांधी ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर पोस्ट करके कहा, 'नरेंद्र मोदी संघ लोक सेवा आयोग की जगह ‘राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ’ के ज़रिए लोकसेवकों की भर्ती कर संविधान पर हमला कर रहे हैं. केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में महत्वपूर्ण पदों पर लेटरल एंट्री के ज़रिए भर्ती कर खुलेआम SC, ST और OBC वर्ग का आरक्षण छीना जा रहा है.'


संसद में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा, 'मैंने हमेशा कहा है कि टॉप ब्यूरोक्रेसी समेत देश के सभी शीर्ष पदों पर वंचितों का प्रतिनिधित्व नहीं है, उसे सुधारने के बजाय लेटरल एंट्री द्वारा उन्हें शीर्ष पदों से और दूर किया जा रहा है. यह UPSC की तैयारी कर रहे प्रतिभाशाली युवाओं के हक़ पर डाका और वंचितों के आरक्षण समेत सामाजिक न्याय की परिकल्पना पर चोट है.'


'आईएएस का निजीकरण आरक्षण खत्म करने की मोदी की गारंटी'


मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुए कांग्रेस नेता बोले, ‘चंद कॉरपोरेट्स’ के प्रतिनिधि निर्णायक सरकारी पदों पर बैठ कर क्या कारनामे करेंगे इसका ज्वलंत उदाहरण SEBI है, जहां निजी क्षेत्र से आने वाले को पहली बार चेयरपर्सन बनाया गया. प्रशासनिक ढांचे और सामाजिक न्याय दोनों को चोट पहुंचाने वाले इस देश विरोधी कदम का INDIA मजबूती से विरोध करेगा. ‘IAS का निजीकरण’ आरक्षण खत्म करने की ‘मोदी की गारंटी’ है.



उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि शीर्ष नौकरशाही पदों में एससी, एसटी और ओबीसी का प्रतिनिधित्व पहले ही कम है. अब नई नीति उन्हें और पीछे कर देगी, जिससे सिविल सेवा परीक्षाओं की तैयारी कर रहे देश के लाखों प्रतिभाशाली युवा उचित अवसरों से वंचित रह जाएंगे.


यूपीएससी लेटरल स्कीम पर क्यों बरपा है हंगामा?


राहुल गांधी का यह बयान मोदी सरकार की उस लेटरल एंट्री स्कीम के खिलाफ आया है, जिसमें उसने 45 केंद्रीय मंत्रालयों में संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव जैसे प्रमुख पदों भर्ती के लिए फार्म निकाले हैं. अब तक ये सभी पद पारंपरिक रूप से आईएएस, आईपीएस, आईएफओएस और अन्य केंद्री/ सेवाओं से भरे जाते रहे हैं. सरकार का तर्क है कि इस लेटरल एंट्री के जरिए प्रशासन में नई प्रतिभाओं और विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञ लोगों को आने का मौका देना है. 


राहुल गांधी के साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी सरकार के इस कदम की आलोचना की है. उन्होंने एक्स पर लिखा कि सरकार का यह कदम प्रशासन में एससी, एसटी और ओबीसी समुदायों को कम करने की जानबूझकर की जा रही कोशिश है. उन्होंने बीजेपी आरोप लगाया किि वह धीरे- धीरे आरक्षण को कमजोर करने की कोशिश कर रही है और यह भर्ती हाशिये पर पड़े लोगों को सिस्टम से और बाहर कर देगी. 


सपा और बसपा ने भी किया स्कीम का विरोध


समाजवादी पार्टी और बसपा ने भी लेटरल एंट्री स्कीम की आलोचना की है. दोनों पार्टियों ने कहा कि यह स्कीम अपनी विचारधारा वाले लोगों को बैक डोर के जरिए सरकार के ऊंचे पदों पर समायोजित करने की कोशिश है. सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने वे 2 अक्टूबर को इस मुद्दे पर प्रदर्शन करेंगे और सरकार से इसे वापस लेने का दबाव बनाएंगे.


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