राहुल गांधी ने जर्मनी में किया खुलासा - पीएम मोदी के गले क्यों लगे थे?
राहुल गांधी ने कहा कि सरकार सिर्फ नोटबंदी पर नहीं रूकी, बल्कि इसके तुरंत बाद जीएसटी को बुरी तरह लागू किया गया. इसके चलते हजारों उद्योग-धंधों पर ताला लग गया.
नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने जर्मनी के हैम्बर्ग स्थित बुसेरियर समर स्कूल में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए केंद्र सरकार पर तीखे हमले किए और कहा कि मोदी सरकार ने नोटबंदी और जीएसटी के जरिए अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया. उन्होंने कहा, 'सरकार सिर्फ नोटबंदी पर नहीं रूकी, बल्कि इसके तुरंत बाद जीएसटी को बुरी तरह लागू किया गया. इसके चलते हजारों उद्योग-धंधों पर ताला लग गया.'
इस कार्यक्रम में जब राहुल गांधी से पूछा गया कि आप संसद में पीएम मोदी के गले क्यों लगे? तो उन्होंने कहा कि अगर आप से कोई नफरत करता है तो आप उसका जवाब नफरत से मत दीजिए. राहुल गांधी ने कहा, 'प्रधानमंत्री ने मुझे लेकर कई बार हेट स्पीच दी है. मैं उन्हें बताना चाहता था कि दुनिया इतनी भी बुरी नहीं है और मैं उनके गले लग गया. राहुल गांधी ने कहा कि ये चीज महात्मा गांधी ने हमें सिखाई है.' उन्होंने कहा, '1991 में मेरे पिता को आतंकवादी ने मार डाला था. जब कुछ साल बाद उस आतंकवादी की मृत्यु हो गई, तो मैं खुश नहीं हुआ. मैंने खुद को उसके बच्चों में देखा.'
सुनने की ताकत
राहुल गांधी बुसेरियस समर स्कूल के छात्र रह चुके हैं. उन्होंने कहा, 'मैं बुसेरियस समर स्कूल का छात्र था. वो दिन काफी बढ़िया थे और मैंने यहां बहुत कुछ सीखा.' समाज में मेलजोल की जरूरत पर बल देते हुए उन्होंने कहा, 'आप किसी से असहमत हो सकते हैं, लेकिन एक दूसरे से जुड़ी हुई दुनिया में आपको सुनना पड़ेगा जो दूसरे कह रहे हैं. आपस में जुड़ी हुई दुनिया में नफरत एक खतरनाक चीज है.' उन्होंने कहा कि आज दुनिया में नफरत बहुत है, लेकिन दूसरों की बात सुनने वाले बहुत कम हैं. उन्होंने कहा कि सुनने की ताकत भी बहुत बड़ी है.
सबका विकास
उन्होंने कहा कि देश में बदलाव की शुरुआत 70 साल पहले हुई थी. उन्होंने कहा कि सिर्फ कुछ लोगों की जिंदगी में नहीं, बल्कि सभी की जिंदगी में बदलाव होने चाहिए. सरकार को इस दिशा में काम करना चाहिए. अहिंसा की जरूरत पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि अहिंसा भारत का बुनियादी दर्शन है. उन्होंने कहा, '70 साल पहले भारत एक ग्रामीण देश था, यहां लोग जाति आधारित समाज में रहते थे. ज्यादातर गावं जाति के आधार पर बंटे हुए थे. भारत में धीरे-धीरे बदलाव शुरु हुआ. ये बदलाव जाति आधारित सोच को खत्म कर रहा था और ‘एक व्यक्ति, एक मत’ के विचार को बढ़ावा दे रहा था.'