Supreme Court/Pegasus Case: जासूसी मामले की जांच कर रही कमेटी ने अपने निष्कर्ष में कहा है कि उसे जांच के मिले 29 मोबाइल फोन में पेगासस होने की पुष्टि नहीं हुई है. सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस आर वी रवींद्रन की निगरानी में एक टेक्निकल कमेटी का गठन किया था।इस कमेटी में जुलाई में अपनी रिपोर्ट सौंपी थे.


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29 फोन में 5 में मालवेयर मिला, पेगासस की पुष्टि नहीं


आज चीफ जस्टिस एनवी रमना ने इस रिपोर्ट का हवाला देते  कहा कि टेक्निकल कमेटी को 29 फोन जांच के लिए मिले है.  इनमे में 5 फोन में मालवेयर मिला. हालांकि ये नहीं कहा जा सकता है कि इन 5 फोन में ये पेगासस की वजह से ही है.


कमेटी को सरकार का सहयोग नहीं मिला


सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने  कमेटी की रिपोर्ट के हवाले से ये भी कहा कि कमेटी की जांच में सरकार का सहयोग नहीं मिला. चीफ जस्टिस ने सुनवाई के दौरान मौजूद सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि टेक्निकल कमेटी का कहना है कि उसे जांच में सहयोग नहीं मिला. जो रुख आपका ( सरकार का) कोर्ट के सामने था, वही कमेटी के सामने भी रहा. इस पर SG तुषार मेहता में कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है.


रिपोर्ट में सिफारिश


टेक्निकल कमेटी ने जांच कर विस्तृत रिपोर्ट दी है. इस रिपोर्ट के तीन हिस्से है. एक हिस्से में टेक्निकल कमेटी ने उसके पास जांच के लिए आये मोबाइल फोन से मिली जानकारी का जिक्र किया है. टेक्निकल कमिटी ने ये भी कहा कि रिपोर्ट के कुछ हिस्से सुरक्षा की दृष्टि से संवेदनशील हैं, इन्हें सार्वजनिक नहीं किया जाए. इसके अलावा कमेटी ने लोगो की निजता के संरक्षण और सर्विलांस के लिए पुख्ता क़ानून बनाने, साइबर सुरक्षा को बढ़ाने और अवैध सर्विलांस के शिकार पीड़ित लोगो की शिकायत के समाधान के लिए व्यवस्था किये जाने की सिफारिश भी की है.


कपिल सिब्बल ने रिपोर्ट की मांग की


सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से कपिल सिब्बल ने रिपोर्ट को उन्हें भी दिए जाने की मांग की. कपिल सिब्बल ने कहा - रिपोर्ट के जिस हिस्से में राष्ट्रीय सुरक्षा की संवेदनशील जानकारी हो सकती है, वो उन्हें नहीं चाहिए. लेकिन जिन लोगों ने जांच के  लिए अपना फोन दिया, उन्हें ये जानने का हक़ है कि ये किस तरह का मालवेयर है.


इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि टेक्निकल कमेटी और जांच के लिए फोन देने वाले कुछ लोगो ने भी अपनी निजता का हवाला देकर रिपोर्ट को रिलीज न करने की मांग की है. हम रिपोर्ट को देखगे और उसके बाद तय करेंगे कि कितने हिस्से को सार्वजनिक किया जा सकता है. खासतौर पर वो हिस्सा, जिसमे  निजता के अधिकार के संरक्षण के लिए सिफारिश की है, उसे SC की वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा, उसमे कोई दिक्कत नहीं है. अब ये मामला चार हफ्ते बाद सुनवाई के लिए लगेगा.


कमेटी में कौन शामिल है


सुप्रीम कोर्ट ने जिस कमेटी को पेगासस जासूसी का जांच का जिम्मा दिया था, उसमे डॉ नवीन कुमार चौधरी (डीन, नेशनल फोरेंसिक साइंस कमेटी, गांधीनगर), डॉ प्रभाकरन (प्रोफेसर, स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग, अमृत विश्व विद्यापीठम, केरल )और  डॉ अश्विन अनिल गुमस्ते (एसोसिएट प्रोफेसर, IIT बॉम्बे) शामिल थे. कमेटी की जांच की निगरानी का जिम्मा सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस आर वी रवींद्रन को दिया गया था.


पेगासस मोटिवेटेड कैंपेन: बीजेपी


 


 


 


कमेटी की रिपोर्ट में जासूसी के ठोस सबूत न मिलने वाली बात सामने आने पर बीजेपी (BJP) ने कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के खिलाफ निशाना साधा है. बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'कांग्रेस झूठ के सहारे चल रही है. यह पूरा एपिसोड वो मोटिवेटेड कैंपेन था जिसका मकसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और केंद्र सरकार के काम को बदनाम करना था. ऐसे में क्या राहुल गांधी माफी मांगेगे, क्या कांग्रेस पार्टी माफी मागेगी क्योंकि उन्होंने इस मुद्दे पर संसद ठप की थी.' 



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