Railway Stations Redevelopment Program: रेलवे स्टेशन शब्द सुनते हैं जो पहली तस्वीर सामने आती है वो है भीड़ से भरी ऐसी जगह जहां सुविधाएं कम और अव्यवस्था ज्यादा होती है. जहां खाने-पीने से लेकर बैठने और सुरक्षा की सुविधाएं आधी-अधूरी होती है. आपने रेलवे स्टेशन पर ऐसी कई तस्वीरें देखी होंगी और कई बार दिक्कतों का भी सामना किया होगा. हमारे देश में हर रोज 2 करोड़ से ज्यादा लोग ट्रेन में और करीब 4 लाख लोग फ्लाइट में सफर करते हैं. लेकिन एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन (Railway Stations) की सुविधाओं और उसके रख-रखाव में जमीन-आसमान का अंतर होता है. हालांकि ये भी सच है कि दोनों के किराए में भी काफी अंतर होता है. लेकिन अब रेलवे स्टेशन पर ही एयरपोर्ट जैसी सुविधाएं मिलने वाली है. अब रेलवे स्टेशन भी एयरपोर्ट की तरह बेहद आधुनिक और सुविधाओं से संपन्न होंगे.


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रेलवे स्टेशनों को स्मार्ट बनाने की तैयारी


सरकार ने देश के तीन अलग-अलग रेलवे स्टेशनों को SMART बनाने की तैयारी (Railway Stations Redevelopment Program) शुरू कर दी है. केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को देश के 3 रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. जिन रेलवे स्टेशनों को पुनर्विकास को मंजूरी दी गई है, उसमें नई दिल्ली रेलवे स्टेशन, अहमदाबाद का रेलवे स्टेशन और मुंबई का छत्रपति शिवाजी टर्मिनस शामिल है . इन तीनों स्टेशनों के redevelopment पर 10 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे.


अब आपको तीनों रेलवे स्टेशन (Railway Stations) की अभी और भविष्य की अलग-अलग तस्वीरों के बारे में बताते हैं. सबसे पहले नई दिल्ली स्टेशन के बारे में जानिए. नई दिल्ली रेलवे स्टेशन भारत का चौथा सबसे व्यस्त रेलवे स्टेशन है. यहां से रोज करीब 5 लाख यात्री सफर करते हैं जबकि करीब 350 ट्रेनें यहां से गुजरती है. फिलहाल इस स्टेशन पर यात्रियों के लिए सुविधाएं कम और दिक्कतें ज्यादा है. लेकिन 2026 तक इस रेलवे स्टेशन की पहचान बिल्कुल बदल जाएगी.


वहीं मुंबई का छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, देश के सबसे पुराने रेलवे स्टेशनों में शामिल है. इसे UNESCO ने World Heritage Site का दर्जा भी दिया है. इस स्टेशन से लंबी दूरी की ट्रेनों के अलावा लोकल ट्रेनें भी चलती हैं. अब इस रेलवे स्टेशन का भी redevelopment किया जा रहा है, जिसके वर्ष 2025 तक पूरा होने की संभावना है.


जबकि गुजरात के सबसे बड़े और वेस्टर्न रेलवे में आमदनी के लिहाज से दूसरे सबसे बड़े अहमदाबाद रेलवे स्टेशन का भी redevelopment होना है. इस स्टेशन पर पहले से ही कई सुविधाएं मौजूद है लेकिन इसे और बेहतर किया जा रहा है.


पहले चरण में 199 रेलवे स्टेशनों का पुर्नविकास


देश में फिलहाल 7 हजार से ज्यादा रेलवे स्टेशन (Railway Stations) है. इसमें बड़े रेलवे स्टेशन से लेकर हॉल्ट जैसे छोटे स्टेशन भी शामिल हैं. सरकार ने पहले चरण में इनमें से 199 रेलवे स्टेशनों के redevelopment की योजना (Railway Stations Redevelopment Program बनाई है. इनमें उन रेलवे स्टेशनों का चयन किया गया है, जहां सालाना 50 लाख से ज्यादा यात्री सफर करते हैं. इसके बाद दूसरे चरण में उन रेलवे स्टेशनों को विकसित किया जाएगा जहां हर साल 10 लाख से ज्यादा लोग यात्रा करते हैं. अभी तक 199 में से 32 रेलवे स्टेशन को विकसित करने का काम शुरू हो चुका है. यानी यहां पुनर्विकास का काम जारी है. जबकि 47 रेलवे स्टेशन के लिए टेंडर निकल चुके हैं. इसका मतलब ये हुआ कि इन 47 स्टेशनों का नया डिजाइन, अनुमानित खर्च, मास्टर प्लान सबको मंजूरी दे दी गई है और जल्द ही इन पर भी काम शुरू हो जाएगा. 


रि-डेवलपमेंट के बाद ये रेलवे स्टेशन किसी शॉपिंग मॉल की तरह होंगे. रेलवे पटरियों के ऊपर की जगह का इस्तेमाल किया जाएगा. आपको पटरियों पर गंदगी, टूटे हुए बेंच, जगह-जगह कूड़ा देखने को नहीं मिलेगा . शाम होते ही चारों ओर अंधेरा नहीं दिखेगा और ना ही रेलवे स्टेशनों पर जानवर घूमते दिखेंगे . पार्सल के सामान इधर-इधर बिखरे नहीं होंगे. ना ही लोगों की ट्रेन पकड़कर के लिए इधर-उधर भागना होगा और ना ही स्टेशन पर सिस्टम की अव्यवस्था होगी. रेलवे स्टेशन बिल्कुल Clean होंगे. वहां फूड कोर्ट, वेटिंग लाउंज, बच्चों के खेलने की जगह, कैफेटेरिया, मनोरंजन और शॉपिंग से जुड़ी अलग-अलग सुविधाएं होंगी, जैसा कि आपने एयरपोर्ट पर देखा है. स्टेशनों पर कई एस्केलेटर होंगे, साथ ही दिव्यांगों के लिए विशेष सुविधाएं होंगी.


गांधीनगर रेलवे स्टेशन दे रहा विकास की गवाही


गुजरात के गांधीनगर रेलवे स्टेशन का भी redevelopment किया गया था और पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका उद्घाटन किया था. शॉपिंग मॉल की तर्ज पर इस रेलवे स्टेशन को विकसित किया गया. आने वाले दिनों दिल्ली सहित देश के कई रेलवे स्टेशन ऐसे ही दिखेंगे. रेलवे स्टेशन तो बदल रहे हैं लेकिन इसके साथ ही यात्रियों को भी अपनी आदतें बदलनी चाहिए क्योंकि जितना देश का है उतना ही आपका और हमारा है.


आज देश में रेलवे स्टेशन (Railway Stations) और ट्रेन सेवा आम लोगों की लाइफलाइन तो बन गई लेकिन लोगों ने कभी रेलवे स्टेशनों को अपना नहीं समझा . इन स्टेशनों में गन्दगी फैलाई गई, दंगों के दौरान यहां तोड़फोड़ और आगजनी हुई और कई बार ट्रेनों और स्टेशनों से चीजें भी चुराई गईं. रेलवे स्टेशन पर फैले गंदगी के लिए यात्री ही काफी हद तक जिम्मेदार होते हैं. सफाईकर्मी हालांकि लगातार सफाई में जुटे हैं. लेकिन कुछ सफाईकर्मी लाखों यात्रियों की ओर से फैलाए जा रहे गंदगी को साफ नहीं सकते हैं. इसलिए हमें भी रेलवे को लेकर जवाबदेह बनना होगा.


रेल के प्रति हमें भी बदलना होगा नजरिया


ये भी विडम्बना है कि भारत के लोग जब Metro रेल में सफर करते हैं तो वो वहां गंदगी फैलाने से डरते हैं और ऐसा ही डर Airports पर भी दिखता है. इसी वजह से वहां आप चकाचौंध देखते होंगे. लेकिन रेलवे स्टेशनों (Railway Stations) के मामले में इन लोगों का नज़रिया बदल जाता है. इसलिए आज हम आपसे यही कहना चाहते हैं कि भारत में रेल नेटवर्क का रंग रूप बदलना उतना मुश्किल नहीं है, जितना मुश्किल ट्रेनों में सफ़र करने वाले लोगों की सोच को बदलना है. इसलिए विकास की चेन पुलिंग से परहेज कीजिए और Lifeline of the Nation जो रेलवे का slogan है, उसके साथ खुद को connect कीजिए.



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