पुणे: महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे ने शनिवार को नागरिकता कानून के खिलाफ विवादित बयानबाजी करते हुए कहा कि गैर-कानूनी रूप से पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आकर भारत में बसे प्रवासियों को 'उठाकर बाहर फेंक' दिया जाना चाहिए, क्योंकि वे देश पर अनावश्यक बोझ हैं. मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, "ये प्रवासी आते हैं और देशभर में फैल जाते हैं. राज्यों को उनका बोझ सहना पड़ता है. वे स्थानीय युवाओं की नौकरियां छीन लेते हैं. ऐसे प्रवासी चाहे जहां भी हों, उन्हें देश से बाहर कर दिया जाना चाहिए."


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एक तरफ जहां प्रवसी शरणार्थियोंको नागरिक दस्तावेज सौंपा जा रहा है, वहीं राज ठाकरे ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को लेकर केंद्र की बीजेपी सरकार पर तंज कसा. ठाकरे ने कहा, "यह खेल खेलने के लिए मैं केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को बधाई देता हूं. एक ही कदम (सीएए-एनआरसी) से देश में उभरे आर्थिक संकट से लोगों का ध्यान हट गया. वाह, क्या कमाल खेला!"


उन्होंने मांग करते हुए पूछा कि 135 करोड़ लोगों वाले देश में क्या सच में बाहर से लोगों को लाने की जरूरत थी? या फिर भारत शरणार्थियों के लिए एक धर्मशाला बन चुका है. मनसे प्रमुख ने इस बात पर भी हैरानी जताई कि क्यों कुछ धर्मो के लोगों को नागरिकता और अन्य लोगों को इससे वंचित रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार को पहले यह पता लगाना चाहिए कि सदियों से देश में रह रहे भारतीय मुस्लिम कौन है और पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए प्रवासी कौन है. यह पता लगाने के बाद उन्हें देश से निकाल देना चाहिए.


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ठाकरे ने कहा, "मेरी समझ में नहीं आता जब हमारी समस्याएं नहीं सुलझी हैं, तो हम क्यों शरणार्थियों को लेकर उन्हें नागरिकता दे रहे हैं? क्या शरणार्थियों को शरण देने के लिए केवल हम ही बचे हैं? सरकार को चाहिए कि पहले वह अपने लोगों के प्रति चिंता दिखाए."


नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ सड़क पर चल रहे विरोध प्रदर्शनों पर उन्होंने कहा कि उनमें से कितने भारतीय मुस्लिम है व कितने प्रवासी और क्या सरकार को इस बात की जानकारी है. उन्होंने कहा, "पुलिस को सब पता है, वे अपने अधिकार क्षेत्र में रहने वाले प्रवासियों के बारे में जानते हैं, लेकिन उनके हाथ बंधे हुए हैं. वे उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकते."